कांग्रेस ने विवादास्पद नेता सालेह मोहम्मद को बनाया कैबिनेट मंत्री

कांग्रेस सालेह मोहम्मद राजस्थान

PC: Dainik Bhaskar

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने के लिए पहली कवायद शुरू की। उन्होंने 23 मंत्रियों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया, जिनमें से एक कांग्रेस गठबंधन सहयोगी लोकदल (रालोद) से भी है। इन सभी विधायकों को राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह मंत्री पद की शपथ दिलाई है। कैबिनेट मंत्रियों की सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम सालेह मोहम्मद (पोखरण से विधायक) का है, जो कि एक विवादास्पद व्यक्ति रहे हैं। उनके पिता गाजी फकीर का नाम भी बार-बार विवादों से जुड़ता रहा है।

दरअसल, 2013 में जब कांग्रेस सरकार राजस्थान पर शासन कर रही थी, उस समय जैसलमेर के एसपी पंकज कुमार चौधरी का ट्रांसफर कर दिया गया था। पंकज कुमार ने बाद में खुलासा किया था कि, पाकिस्तान के लिए काम कर रहे एक जासूस को कांग्रेस विधायक सालेह मोहम्मद के पेट्रोल पंप से पकड़ा गया था। चौधरी ने खुलासा किया था कि, पाकिस्तानी जासूस सुमेर खान पोखरण में आयोजित भारतीय वायु सेना के ऑपरेशन आयरन फिस्ट युद्ध अभ्यास की जानकारी पाकिस्तान में अपने हैंडलर को भेज रहा था।

सुत्रों के अनुसार, सुमेर खान कांग्रेस विधायक सालेह मोहम्मद के स्वामित्व वाले एक पेट्रोल पंप पर कर्मचारी था, इन्हीं सालेह मोहम्मद को अब राजस्थान की गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी ने यह भी कहा था कि, राज्य सरकार ने उनका शायद इसलिए ट्रांसफर कर दिया क्योंकि उन्होंने कांग्रेस विधायक सालेह मोहम्मद के पिता और पाकिस्तान के सूफी नेता दिवंगत पीर पगारा के शिष्य गाजी फकीर के खिलाफ हिस्ट्रीशीट फिर से खोल दी थी। यही नहीं, पंकज चौधरी ने एक टीवी चैनल से कहा था, “फकीर देश विरोधी गतिविधियों के आरोपों का सामना कर रहा है।” बता दें कि, गाजी फकीर अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों तरफ  सिंधी मुसलमानों के बीच एक प्रमुख धार्मिक नेता हैं। पाकिस्तान में भी उनके उतने ही मानने वाले हैं जितने कि जैसलमेर और आस-पास के जिलों में हैं।

गाजी फकीर के खिलाफ हिस्ट्रीशीट पहली बार 31 जुलाई, 1965 को तस्करी और देश विरोधी गतिविधियों के मामले में खोली गई थी। यह हिस्ट्री-शीट फ़ाइल 1985 में रहस्यमय तरीके से गायब हो गई थी । इसके बाद 1990 में एक नई फाइल तत्कालीन एसपी सुधीर प्रताप सिंह द्वारा खोली गई लेकिन उनका भी यह निर्णय लेने के 28 दिन बाद ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद मई 2011 में एएसपी गणपत लाल द्वारा इस हिस्ट्रीशीट को अवैध तरीके से बंद कर दिया गया था लेकिन बाद में इस फैसले को खारिज कर दिया गया क्योंकि यह एक एसपी स्तर के अधिकारी द्वारा नहीं लिया गया था। गणपत लाल उस समय जिला पुलिस प्रमुख के रूप में कार्यरत थे। इसके बाद जैसलमेर के एसपी पंकज चौधरी ने फकीर की हिस्ट्रीशीट को फिर से खोलने की कोशिश की और इसकी कीमत भी चुकाई।

द पायनियर की एक रिपोर्ट के अनुसार, श्रीकांत घोष द्वारा लिखित किताब ‘पाकिस्तान की आईएसआई: नेटवर्क ऑफ टेरर इन इंडिया’ में गाजी फकीर की राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, गाजी फकीर पर सीमा पार गतिविधियों में पाकिस्तान की मदद करने और पाकिस्तानियों को भारत में शरण देने का भी संदेह है। इस किताब में स्थानीय राजनीति में गाजी फकीर के प्रभाव और स्थानीय पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पाकिस्तानी जासूसों को रिहा कराने में उनकी भूमिका का भी वर्णन है। इस किताब के अनुसार, “फरवरी 1984 में बाड़मेर जिले के तत्कालीन कलेक्टर सीके मैथ्यू ने राष्ट्रीय प्रतिभूति अधिनियम के तहत ‘बूरेन-के-ताला’ के मुश्ताक अहमद की गिरफ्तारी की सुविधा दी थी। वह बार-बार भारतीय होने का दावा कर रहा था, लेकिन उसके पास से पाकिस्तानी पहचान पत्र पाया गया था। इसके बाद यह भी पता चला कि, उसने लाहौर में जासूसी की ट्रेनिंग ली था। जब मुश्ताक को गिरफ्तार किया गया तो वह पूरे विश्वास के साथ कह रहा था कि, वह जल्द ही बाहर आ जाएगा। बाद में उसकी बात सच भी हुई जब कांग्रेस के शीर्ष स्थानीय नेताओं के दबाव में उसे छोड़ना पड़ा।”

गाजी फकीर का बेटा सालेह मोहम्मद भी कई विवादों में शामिल रहा है। मई 2013 में, पुलिस के एंटी-शराब माफिया ऑपरेशन ‘वेलकम’ के दौरान सालेह मोहम्मद ने एक पुलिस कॉन्स्टेबल को पीट दिया था। 17 मई को भी जब पुलिस ने उन गुंडों का पीछा किया जो पर्यटकों के लिए परेशानी पैदा कर रहे थे और उनसे पैसे वसूल रहे थे, तो गुंडे पुलिस से बचने के लिए सालेह मोहम्मद के स्वामित्व वाले पेट्रोल पंप में छिप गए थे। जब पुलिस ने वहां से गुंडों को पकड़ने की कोशिश की, तो पेट्रोल पंप के मालिक ने पुलिस कॉन्स्टेबल को बुरी तरह पीट दिया था। गाजी फकीर और उनका बेटा सालेह मोहम्मद कांग्रेस पार्टी के लिए पश्चिमी राजस्थान में एक एक बड़ा वोट बैंक रखते हैं, शायद इसीलिए कांग्रेस पार्टी उन्हें इतना राजनीतिक समर्थन प्रदान करती है और इस बार भी कांग्रेस ने सालेह मोहम्मद का नाम केबिनेट मंत्रियों की सूची में शामिल करके उन्हें सम्मानित किया है। सालेह मोहम्मद कांग्रेस पार्टी के गहलोत खेमे के वफादार माने जाते हैं। ऐसे में साफ है कि, कांग्रेस पार्टी के लिए देश और देशवासियों की सुरक्षा से ज्यादा वोट बैंक मायने रखता है।

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