भारत में ‘असहिष्णुता’ का राग अलाप रहे इमरान खान को मोहम्मद कैफ का मुंहतोड़ जवाब

मोहम्मद कैफ इमरान खान पाकिस्तान

नसीरुद्दीन के बयान पर राजनीति थम नहीं रही है और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो इशारों इशारों में नसीरुद्दीन शाह के बयान को अपना समर्थन भी दे दिया था। भारत में ‘असहिष्णुता’ का राग अलाप रहे इमरान खान ने अपने बयान में कहा था कि वो नरेंद्र मोदी सरकार को ‘दिखाएंगे’ कि ‘अल्पसंख्यकों से कैसे व्यवहार करते हैं। इमरान खान के इस बयान पर पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ उन्हें आईना दिखाया है।  दरअसल, इमरान ने कहा था कि भारत के विपरीत नए पाकिस्तान में वो हर नागरिक के साथ एक जैसा व्यवहार करते हैं। इसके अलावा इमरान ने मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ भी की। उस जिन्ना की जिसने भारत को बांटने की मांग की थी वो भी अपने स्वार्थ के लिए। इसके बाद पूर्व क्रिकेट मोहम्मद कैफ ने इमरान के बयान को आड़े हाथों लिया और करार जवाब दिया है।

मोहम्मद कैफ ने अपने बयान में कहा, “विभाजन के वक्त पाकिस्तान में करीब 20% अल्पसंख्यक थे लेकिन अब दो फीसदी बचे हैं। वहीं दूसरे हाथ भारत में आजादी के बाद अल्पसंख्यकों की संख्या बढ़ी है। पाकिस्तान आखिरी देश होगा जो लेक्चर दे कि अल्पसंख्यों से कैसा व्यव्हार किया जाए।” मोहम्मद कैफ ने अपने इस एक ट्वीट से खान को ऐसा जवाब दिया है जिसके बाद वो अल्पसंख्यकों के हितैषी का राग अलापने से पहले अपने गिरेबान में जरुर झांक लेंगे। इसके साथ ही ये बयान ये समझाने के लिए काफी होगा कि ‘असहिष्णुता’ भारत में नहीं बल्कि उनके देश में है।

मोहम्मद कैफ से पहले इमरान के बयान पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी जवाब देते हुए ट्विटर पर कहा था, “पाकिस्तानी संविधान के अनुसार, केवल एक मुस्लिम राष्ट्रपति बनने के लिए योग्य है। भारत में वंचित समुदायों के कई राष्ट्रपति रहे हैं। खान साहब को हमसे समावेशी राजनीति और अल्पसंख्यक अधिकारों के बारे में सीखना चाहिए।” ओवैसी के इस बयान ने पहले ही इमरान के दावों की धज्जियां उड़ा दी थी और अब मोहम्मद कैफ के जवाब ने पाकिस्तान की फजीहत में चार चाँद लगा दिए हैं।

दरअसल, इमरान ने एक ट्वीट में लिखा था, “मोहम्मद अली जिन्ना को जब लगा कि मुसलमान के साथ हिंदू एक समान बर्ताव नहीं करेंगे, तब उन्होंने अलग देश की मांग की। नए पाकिस्तान में हम ये सुनिश्चित करेंगे कि हमारे यहां अल्पसंख्यकों के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाए, न कि भारत की तरह।” इमरान खान बार बार अल्पसंख्यक के मुद्दे पर भारत को घेरने का प्रयास किया लेकिन इस तथ्य को भारत के अल्पसंख्यक भी मानते हैं कि भारत में हर धर्म के लोगों को समान अधिकार और महत्व दिया गया है न कि पाकिस्तान की तरह जो अपने ही देश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करता है। जिस जिन्ना की तारीफों के वो पुल बाँध रहे हैं इमरान खान उसी जिन्ना के लालच की वजह से 1947 में देश बंट गया था। ये जिन्ना ही थे जिन्होंने 1936 में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच मानसिक बंटवारे की लकीर जिन्ना ने खींची थी। इमरान खान अपने देश के हालातों को सुधारने की बजाय भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं। चीन का गुलाम बनता रहा पाकिस्तान चीन द्वारा मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार पर नहीं बोलता है और भारत के मामलों में टांग अड़ाता है।

ऐसा लगता है कि भारत को घेरने का प्रयास कर रहे इमरान खान को ऐसा कहते वक्त शायद उन्हें यह ख्याल नहीं आया कि उनके यहां आज भी कितने अल्पसंख्यक हिंदुओं को जेलों में कैद किया है। अब शायद मोहम्मद कैफ के जवाब से उनके दिमाग की बत्ती जल गयी होगी।

 पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर सालों से जुल्म होते आ रहे हैं। आज भी पाकिस्तान की जेलों में भारत और पाकिस्तान के न जाने कितने निर्दोष कैदी आज भी कैद हैं। उनका दोष बस ये है कि वो अल्पसंख्यक हैं। कई बार ऐसी खबरें आती रहती हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं को नाना प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन मुद्दों पर तो इमरान खान ने कभी दखल नहीं दिया लेकिन पड़ोसी देश के आंतरिक मुद्दों में दखल देने के लिए तुरंत उनका बयान आ गया। इस बयान से कहीं न कहीं उनका उद्देश्य भारत की आंतरिक राजनीति में दखल देना है। ऐसा लगता है कि इमरान खान आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाक पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसे में उन्हें भारत के आंतरिक मामलों पर बयानबाजी की बजाय पहले अपने देश की खस्ताहाल हो चुकी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए प्रयास करने चाहिए।

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