सरकार से मतभेद रखने वाले पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की क्रिया युनिवर्सिटी के लिए हुई आईओई दर्जे की सिफारिश

क्रिया रघुराम राजन आईओई

PC: Livemint

हाल ही में कुछ दिनों पहले जियो यूनिवर्सिटी विवादों में थी। इसे लेकर खूब चर्चे हो रहे थे। कारण था, जियो यूनिवर्सिटी का आईओई यानी इन्स्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस की लिस्ट में जगह बना लेना। उस समय जियो यूनिवर्सिटी को लेकर सरकार पर जमकर हमला किया गया था। विवादों का कारण यह था कि, जो विश्वविद्यालय अभी बना ही नहीं है, वह आईओई में जगह कैसे पा गया। लेकिन अबकी बार पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की क्रिया यूनिवर्सिटी को इस लिस्ट में जगह मिली है। अब आप सोच रहे होंगे कि फिर इसमें नई बात क्या है तो आइए बताते हैं…

दरअसल, क्रिया यूनिवर्सिटी आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का विश्वविद्यालय है। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के क्रिया विश्वविद्यालय और भारती एयरटेल के सत्या भारती विश्वविद्यालय के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (आईओई) दर्जे की सिफारिश की गई है। केंद्र सरकार की विशेषज्ञ समिति ने शुक्रवार को दूसरी सूची जारी की। इस सूची में 7 सरकारी जबकि 12 प्राइवेट विश्वविद्यालयों के नाम शामिल हैं। अब कल यानी 10 दिसंबर को यूजीसी काउंसिल की बैठक में आईओई दर्जा देने पर फैसला होगा सरकार ने क्रिया विश्वविद्यालय को आईओई में जगह देने की सिफारिश उस समय की है, जब रघुराम राजन और सरकार के बीच मतभेद चल रहे हैं। खास बात यह है कि, रघुराम राजन के विश्वविद्यालय के लिए आईओई की सिफारिश होने पर लेफ्ट लिबरल मीडिया चुप है। लेफ्ट लिबरल और कथित बुद्धिजीवियों का मुंह अब बंद है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने जियो यूनिवर्सिटी के लिए आईओई की सिफारिश के बाद पूरे देश में बवाल किया था। पूरे देश में जियो यूनिवर्सिटी को लेकर केन्द्र सरकार पर हमला किया गया था।

बता दें कि, जियो यूनिवर्सिटी मुकेश अंबानी की यूनिवर्सिटी है। यही कारण था कि, इस यूनिवर्सिटी के लिए आईओई की सिफारिश के बाद हो-हल्ला शुरू हो गया था। लेकिन अब जबकि रघुराम राजन की क्रिया यूनिवर्सिटी को आईओई में शामिल किया गया है तो सबकी बोलती बंद हो गई है। इसका कारण यह है कि, रघुराम राजन कई बार सरकार के खिलाफ बोल चुके हैं।  

दरअसल, विश्वविद्यालयों को आईओई सूची में शामिल करने के पीछे का सरकार का उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों की ग्लोबल रैंकिंग में गिरते स्तर को सुधारना है। दरअसल विश्व के शीर्ष विश्वविद्यावयों या शैक्षणिक संस्थाओं में भारत के विश्वविद्यालय और संस्थाएं बुरी तरह पिछड़ रहे थे। इसी बात को गौर करते हुए देश के विश्वविद्यालयों की दशा व शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। इस सूची में शामिल विश्वविद्यालयों, संस्थाओं या फिर कागज पर दर्ज विश्वविद्यालयों को एक निर्धारित समय से पहले सरकार द्वारा तय मानक तक पहुंचना होता है। सरकार द्वारा तय मानकों में विश्वविद्यालयों को ग्लोबल रैंकिंग में भी निर्धारित रैंक लानी होगी। उसी आधार पर जियो यूनिवर्सिटी को आईओई की सूची में जगह दी गई है।

बता दें कि, आईओई दर्जा पाए 10 सरकारी संस्थानों को मानव संसाधन और विकास मंत्रालय द्वारा स्वायत्तता तो मिलेगी ही, साथ ही प्रत्येक को 1,000 करोड़ रुपये भी दिए जाएंगे। लेकिन निजी संस्थानों को सरकार की तरफ से ‘किसी तरह की’ वित्तीय मदद ‘नहीं’ मिलेगी। यानी निजी विश्वविद्यालय अपनी पैसे व अपने दम पर अपने विश्वविद्यालय का उत्थान करेंगे। इसलिए इसमें सरकार को घेरने की कोई जरूरत ही नहीं थी। लेकिन विपक्षी दलों और लेफ्ट लिबरल दलों ने जी भरकर रोना रोया। अब रघुराम राजन की क्रिया युनिवर्सिटी  का नाम आते ही उनके होठ सिल गए हैं।

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