नसीरुद्दीन शाह के असहिष्णुता बयान से सामने आया उनका दोहरा मापदंड

नसीरुद्दीन शाह

PC: Zeenews

ऐसा लगता है बॉलीवुड के कुछ कलकार चर्चा में आने के लिए कमर कस चुके हैं। अब एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने विक्टिम कार्ड खेला है और वो कह रहे हैं कि देश में असहिष्णुता बढ़ी है जिस वजह से उन्हें अपने बच्चों की चिंता सताने लगी है। उनकी इस चिंता को खत्म करने के लिए उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना के प्रमुख अमित जानी ने नसीरुद्दीन शाह के लिए पाकिस्तान का टिकट भी बुक कर दिया है और पाकिस्तान जाने के लिए कहा है। उन्होंने ये भी कहा है कि ज्यादा डर लगे तो हनुमान चालीसा पढ़ें। तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने नसीर के बयान पर असहमति जताते हुए इसे गैर-जिम्मेदार ठहराया है।

https://youtu.be/Uh18VUfQJvA

लेफ्ट लिबरल के यूट्यूब चैनल पर दो मिनट का एक वीडियो शेयर किया गया है जिसका शीर्षक ‘तथ्य’ है। इस वीडियो में नसीरुद्दीन शाह ने अपना गुस्सा और चिंता व्यक्त की है और वो भी इसलिए क्योंकि उनके मुताबिक आज देश असहिष्णु है। जिस देश ने उन्हें दौलत, शोहरत, रूतबा सब कुछ दिया आज वो देश के हालातों को लेकर जागे हैं और उन्होंने देश के हालात, समाज की परेशानियों के साथ अपने परिवार के बारे में बात की है।

एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने इस वीडियो में कहा है कि “इस वक्त समाज में जहर फैल चुका है। लोगों को खुली छूट मिल चुकी है। दोबारा इस जिन्न को बोतल में बंद करना आसान नहीं है।” उन्होंने गुस्सा और अपने बच्चों के लिए चिंता जाहिर करते हुए कहा, “मुझे देश में डर नहीं लगता लेकिन गुस्सा आता है। अपने बच्चों के लिए फिक्र होती है क्योंकि उनका मजहब ही नहीं है।“ एक्टर ने आगे कहा, “कई इलाकों में हम देख रहे हैं कि गाय की मौत को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है इंस्पेक्टर की मौत से। आज गाय की जान इंसान से ज्यादा कीमती है। आज कानून हाथ में लेने की खुली छूट है।“

नसीर ने आगे कहा कि, “मजहबी तालीम मुझे मिली थी और रत्ना(उनकी पत्नी) को थोड़ी बहुत मिली है। हमने अपने बच्चों को मजहबी तालीम नहीं दी है क्योंकि मेरा ये मानना है कि अच्छाई और बुराई का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है। दुनिया के बारे में हमारा जो विश्वास है जो मत है वो हमने उन्हें बताया है।“

इसके बाद अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए नसीर ने कहा, “कल को किसी भीड़ ने उन्हें घेर लिया तो उनके पास तो कोई जवाब नहीं होगा। ये हालात मुझे जल्द सुधरते नजर नहीं आ रहे हैं।“ नसीर ने ये भी कहा कि, “मुझे गुस्सा आता है और हर सही सोच रखने वाले को गुस्सा आना चाहिए।“

एक्टर नसीरुद्दीन शाह के इस बयान के बाद चारों तरफ उनकी आलोचना हो रही है यहां तक कि यूजर भी उन्हें लताड़ रहे हैं। कुछ इसे चुनाव पास आते ही राजनीतिक ड्रामा का नाम दे रहे हैं।

हालांकि, यहां सोचने वाली बात ये भी है कि नसीर को 1992 के मुंबई/भिवंडी दंगो में डर नहीं लगा और न ही 1993 में मुंबई दंगों में डर लगा, 2008 के मुंबई हमलें में भी डर नहीं लगा लेकिन अब जैसे ही लोकसभा चुनाव पास आ रहे हैं उन्हें डर लग रहा है जबकि मौजूदा सरकार के साढ़े चार सालों में आतंकी हमलों और अपराधों पर काफी लगाम लगा है। फिर भी उन्हें एक ऐसी सरकार में डर लग रहा है जहां आतंकी हमलों का ग्राफ तेजी से गिरा है। वाह! इनके दोहरे मापदंड के क्या कहने। एक पब्लिक फिगर होते हुए इस तरह की अफवाह को बढ़ावा देना आपको शोभा नहीं देता नसीर जी।

वैसे ये कोई पहली बार भी नहीं जब एक्टर नसीर का दोहरा रुख सामने आया है। दो साल पहले जब उरी हमले में देश के 19 जवान शहीद हुए थे तब देश में पाकिस्तानी कलाकारों के रुख से नाराजगी जताते हुए पाकिस्तानी कलाकारों के खिलाफ कदम उठाते गये थे। तब नसीर ने कहा था कि, “पाकिस्तान भारत का दुशमन नहीं, हमारा ब्रेनवाश किया जा रहा है।” जब उन्हें इस टिप्पणी के लिए ट्रोल किया जाने लगा था तब भी उन्होंने विक्टिम कार्ड खेला था और कहा था कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वो एक मुस्लिम हैं। इस वीडियो में भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया है। नसीर जी आपको जनता एक जिम्मेदार, अनुभवी और समझदार एक्टर मानती है उसके बावजूद आप इस तरह की टिप्पणी करते हैं और विक्टिम कार्ड खेलते हैं। क्या आप में जरा भी शर्म नहीं बची है?

वैसे आपको बता दें कि ये वही डरे हुए नसीर हैं जिन्होंने 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को दी जानी वाली फांसी  का विरोध किया था और इसे रुकवाने के लिए दायर की गयी दया याचिका पर हस्ताक्षर किया था और अब हाल ही में भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली को बदतमीज कहा जिसके लिए उन्हें काफी आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी।

माना एक जागरूक नागरिक होने के नाते आप अपना पक्ष रख रहे हैं लेकिन इतने समय से आप कहां थे? चुनाव आते ही तब आपको डर लग रहा है जब देश आतंक पर काफी लगाम लगा चुका है। कहीं आप वर्तमान सरकार में आतंकवाद की शून्य घटनाओं से तो चिंतित नहीं हैं ? क्योंकि अब आपको सुबह उठते ही आतंकवाद की घटनाएं पढ़ने को नहीं मिल रही है?  खैर, ये सरकार आपको किसी और आतंकवादी के लिए दया याचिका डालने का मौका नहीं देगी।

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