पाकिस्तान को लगता है ये समझ आ गया है कि अब आतंक को पनाह देने और उसे बढ़ावा देने से उसके हालात ऐसे हो चुके हैं कि कोई भी देश उसके साथ खड़ा नहीं होना चाहता है। ऐसे में स्थिति और भयावह हो उससे पहले अब पाकिस्तान सरकार ने मान लिया है कि पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन ने मुंबई में 26/11 का हमला किया था। मुंबई आतंकी हमले का जिक्र करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि अब मुंबई हमलावरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जानी चाहिए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बृहस्पतिवार को ‘वाशिंगटन पोस्ट के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि, “पाक चाहता है कि ”मुंबई के हमलावरों के बारे में कुछ किया जाए।“ उन्होंने आगे कहा, “मैंने अपनी सरकार से इस मामले की स्थिति के बारे में पता करने के लिए कहा है। सरकार 2008 के मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं को इंसाफ के कठघरे में लाना चाहती है और ये पाकिस्तान के हित में है।“
बता दें कि पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी 26 नवंबर 2008 को समुद्री रास्ते से भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में घुसे थे और अंधाधुंध गोलीबारी की थी जिसमें 166 लोगों की जान गयी थी। इस हमले में सुरक्षबलों ने 9 आतंकियों को मार गिराया था और अजमल कसाब नाम के एक आतंकी को जिंदा पकड़ा था जिसे भारतीय अदालत के फैसले के बाद फांसी की सजा हुई थी। बार बार भारत ने पाकिस्तान पर आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने का दबाव बनाया लेकिन बार-बार वो इस आरोप को नकारता रहा लेकिन अब सोचने वाली बात ये है कि जो इस्लामिक गणराज्य हमेशा से मुंबई हमले के पीछे पाक के आतंकी संगठन के शामिल होने की बात को नकारता रहा है अचानक से उसके सुर कैसे बदल गये?
दरअसल, पाकिस्तान वित्तीय संकट से जूझ रहा है और उसपर सितंबर 2018 तक 31 लाख करोड़ रुपये का कर्ज और देनदारी हो चुकी थी और ये बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान ने आइएमएफ से 8 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता मांगी थी लेकिन अब पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है। बता दें कि, पाक वित्त मंत्री असद उमर और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के वॉशिंगटन स्थित मिशन के प्रमुख हेराल्ड फिंगर ने एक वीडियो लिंक के जरिए बातचीत की थी जिसमें आइएमएफ ने 15 जनवरी तक 8 अरब डॉलर की सहायता देने से पहले कई शर्ते रखीं। वास्तव में आईएमएफ ने पाक सरकार को आर्थिक असंतुलन को दूर करने के लिए ठोस आश्वासन देने के लिए कहा जिसके बाद ही पाक के इस प्रस्ताव को वो अपने कार्यकारी परिषद के पास भेजेगा। कर्ज समय पर न मिला तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति तबाह होने का खतरा और भी ज्यादा गहरा जायेगा। उधर अमेरिका ने भी पाक को कर्ज में पारदर्शिता लाने की मांग की है। अमेरिका पहले ही पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव बना रहा है। यही वजह है कि अमेरिका ने पाक को दी जाने वाली आर्थिक और सुरक्षा संबंधी राशि पर रोक लगा दी है। उधर चीन लगातार पाक पर कर्ज का भार बढ़ाकर उसपर दबाव बनाना चाहता है जिससे वो वन बेल्ट वन रोड की महत्त्वाकांक्षी योजना के लिए अपनी रणनीति को और मजबूत कर सके। इसके अलावा भारत भी लगातार पाकिस्तान पर आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव बना रहा है। यही वजह है कि भारत ने पाक में आयोजित होने वाले सार्क सम्मेलन में भी जाने से साफ़ इंकार कर दिया।
कुल मिलाकर आतंक को पोषित करने वाले इस इस्लामिक गणराज्य के पास आतंक के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है क्योंकि उसकी हरकतों की वजह से कोई भी राष्ट्र उसके साथ खड़ा नहीं होना चाहता और न ही उसकी मदद के लिए आगे आ रहा है। आईएमएफ ही एक आखिरी सहारा था लेकिन उसने भी मदद के लिए कई शर्तें रख दी है जिससे पाक की मुश्किलें और बढ़ गयी हैं। हालत ये है कि उसे आर्थिक संकट से जूझने के लिए भैंस और अंडे-मुर्गी का सहारा लेना पड़ रहा है। अब आतंकी संगठन के खिलाफ कार्रवाई करना उसकी मज़बूरी बन गयी है जिससे वो ये साबित कर सके कि वो आतंकी गतिविधियों के खिलाफ खड़ा है।