सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में सभी याचिकाओं को किया खारिज

राफेल सुप्रीम कोर्ट

PC: eenaduindia

राफेल मुद्दे पर बेवजह घेरने का प्रयार कर रही कांग्रेस को सर्वोच्च न्यायालय ने जबरदस्त झटका दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कहा है कि राफेल की खरीद में सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। राफेल के सौदे में किसी भी प्रकार की गैरकानूनी प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ राफेल मामले में दायर की गई सभी प्रकार की जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस तरह से मोदी सरकार को राफेल मामले में क्लीन चिट मिल गई।

बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्षी दलों के सह पर राफेल की खरीदारी को लेकर लंबे समय से घोटाले का आरोप लगाते रहे हैं। जनता के मन में भ्रम पैदा करने के लिए राहुल गांधी लंबे समय से मोदी सरकार को घेरते आ रहे हैं। वो लगातर हर मंच से राफेल का राग अलापते रहे हैं। इसी को लेकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के नेताओं और वकीलों ने इस मुद्दे पर जनहित याचिका भी दायर किए थे। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इस मामले में सीबीआई जांच के लिए कोर्ट ने मामला दायर करने का आदेश दे।

इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई में कोर्ट में सरकार और याचिकाकर्ताओं की अपील सुनी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि खरीद की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कोई भी गड़बड़ी नहीं हुई है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पूरी पारदर्शिता के साथ साक्ष्य रखे। सभी पक्षों को सुनने के बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में दायर सभी जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया।

मामलें में क्लीन चिट देते हुए न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने कहा, “हम सरकार को 126 विमान खरीदने पर विवश नहीं कर सकते, और ये सही नहीं होगा कि कोर्ट केस के हर पहलू की जांच करे… कीमत की तुलना करना कोर्ट का काम नहीं है…’। माननीय मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, “पसंद का ऑफसेट पार्टनर चुने जाने में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है, और व्यक्तिगत सोच के आधार पर रक्षा खरीद जैसे संवेदनशील मामलों में जांच नहीं करवाई जा सकती…” उन्होंने आगे कहा, “हमें ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली, जिससे लगे कि कमर्शियल तरीके से किसी खास कंपनी को लाभ दिया गया…” सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि प्रक्रिया पर संदेह करने का अवसर नहीं है… कोई भी देश पूरी तैयारी के बिना रहने का खतरा नहीं उठा सकता… ये कोर्ट के लिए सही नहीं होगा, यदि वो अपील प्राधिकरण की तरह सभी पहलुओं की जांच करने बैठ जायें… इसमें कोई शक नहीं कि विमान हमारी ज़रूरत है और उनकी गुणवत्ता पर भी सवाल नहीं है। हमें 4th और 5th जनरेशन के विमानों की ज़रूरत है। जो हमारे पास नहीं है. विमान सौदे की निर्णय प्रक्रिया सही। हमने राष्ट्रीय सुरक्षा और सौदे के नियम कायदे दोनों को जजमेंट लिखते समय ध्यान में रखा है।

बता दें कि इससे पहले राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए राफ़ेल बनाने वाली कंपनी दसॉ के सीईओ ने भी एक इंटरव्यू में कहा था, “कंपनी ने रिलायंस के साथ अपनी मर्ज़ी से समझौता किया है, किसी दबाव में नहीं। 2012 से ही रिलायंस से उनकी बात चल रही थी। इस सौदे में रफ़ाल की क़ीमत कम हुई है। वहीं, कांग्रेस ने उनके इस बयान को रटा-रटाया इंटरव्यू बताया। जबकि बीजेपी ने राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की।”

इसके बावजूद अपनी हरकतों से बाज न आते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जनता के बीच भ्रम और गुमराह की स्थिति बनाए रखा। इस मामले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के साथ प्रशांत भूषण ने याचिका दाखिल की थी लेकिन अब सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

अब, जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मादी सरकार को क्लीन चिट दे दी है तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी समेत सभी विपक्षी दल मोदी सरकार से माफी मांगेंगे या फिर से अपना वही ‘घोटाला हुआ है’ का घिसा पिटा राग अलापेंगे।

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