कांग्रेस हमेशा से ही लोकलुभावन वादों के लिए जानी जाती रही है। सालों से कांग्रेस ने गरीबी हटाओ के नारे के साथ जनता से वोट लिए लेकिन गरीबी आज तक नहीं गई। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान किसानों को 10 दिन में कर्ज माफ करने का वादा किया था। राजस्थान में तो चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेसी नेताओं ने रैलियों में कहा था कि, अगर राज्य के किसानों का कर्ज दस दिन में माफ नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री बदल दिया जाएगा। अब कांग्रेस राज्य में चुनाव जीत गई है। अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री व सचिन पायलट ने उप मुख्यमंत्री की शपथ भी ले ली है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं कर्जमाफी के लिए दस दिन की समय सीमा भी पास आती जा रही है लेकिन कर्जमाफी के लिए कांग्रेस का रवैया ढुलमुल ही नजर आ तक रहा है। अशोक गहलोत तो कर्जमाफी की गेंद अब केंद्र सरकार के पाले में डालने की भी कोशिश कर रहे हैं।
अशोक गहलोत ने तो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही राजस्थान की आर्थिक स्थिति पर चिंता प्रकट कर दी। अशोक गहलोत ने कहा कि, राज्य सरकार तो अपना काम करेगी ही लेकिन, पीएम मोदी को भी आगे बढ़कर राज्य सरकार को यह भरोसा देना चाहिए कि, डोंट वरी, चुनौती भरे इस काम को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार उनके साथ है। गहलोत ने उम्मीद जताई कि, केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार राजस्थान में कांग्रेस सरकार को पूरा सहयोग करेगी। इस तरह मुख्यमंत्री की शपथ लेने से पहले ही अशोक गहलोत ने कर्जमाफी की गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी थी। वहीं कर्जमाफी के एक सवाल पर सीएम गहलोत ने रविवार को कहा था कि, कांग्रेस अपना काम करेगी, बीजेपी को अपना काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, अब बीजेपी विपक्ष में है, तो यह उनका फर्ज है कि वो सवाल उठाए। अगर वो ऐसा नहीं करेंगे, तो जनता उन पर सवाल उठाने लगेगी। जहां चुनाव प्रचार में राहुल गांधी दस दिनों में कर्ज माफी का लगातार वादा करते रहे वहीं अब जब राज्य में कांग्रेस की सरकार बन गई है तो कर्जमाफी पर गहलोत कोई संतोषजक जबाव नहीं दे रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि, कांग्रेस के चुनावी वादे के मुताबिक किसानों के 99 हजार करोड़ रुपए के कर्जे कैसे माफ होंगे।
कर्जमाफी के लिए लाना होगा नया बजट
बता दें कि, पिछली सरकार अंतिम बजट में कर्ज सीमा 28 हजार करोड़ रुपये में से 24557 करोड़ ले चुकी है और अब सरकार का उधार लेने का कोटा पूरा हो चुका है। ऐसे में कर्ज माफी के लिए नया बजट लाना होगा। वह इसलिए, क्योंकि जितना रुपया कर्ज माफी के लिए आवश्यक है, उसका मौजूदा बजट में कोई प्रावधान ही नहीं है। गौरतलब है कि, सिर्फ को-ऑपरेटिव बैंक ने ही 15 हजार करोड़ बांट रखें हैं। इनमें शॉर्ट और मिड टर्म लोन शामिल हैं। इसी के साथ प्राइवेट और स्टेट सेक्टर के बैंकों का भी करीब 80 हजार करोड़ रुपये का कर्ज किसानों पर बकाया चल रहा है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने की हां लेकिन कर्ज तले डूब जाएगी सरकार
मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने चुनाव जीतने के लिए कई लोकलुभावन वादे किये थे जिसमें किसानों की कर्जमाफी का भी वादा था। कांग्रेस ने यहां 82 लाख किसानों के 2 लाख रुपये तक के सभी कर्ज माफ़ करने का वादा किया था। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नए सीएम कमलनाथ ने कर्जमाफी के कागजों पर साइन भी कर दिये हैं लेकिन इसे एग्जिक्यूट करना बहुत मुश्किल लग रहा है। बता दें कि, मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले साल के बजट में लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का घाटा पेश किया था। इससे स्पष्ट है कि, सरकार कर्जमाफी के लिए या तो जनता को टैक्स के बोझ तले दबाएगी या फिर वादे पूरे ही नहीं होंगे। बता दें कि, कर्नाटक की जीडीपी मध्य प्रदेश से लगभग दोगुनी है और कर्नाटक सरकार ने किसानों की कर्जमाफी के लिए 34 हज़ार करोड़ रुपये दिए थे। ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार लगभग आधे बजट के साथ 50 हज़ार करोड़ की कर्ज माफ़ी और 28 हजार करोड़ का बेरोजगारी भत्ता कहां से देगी? कर्नाटक सरकार ने किसानों की कर्जमाफी के लिए ग्यारह शर्तें रखी थीं जिस वजह से चार महीने में सिर्फ 400 किसानों का ही कर्ज माफ़ हो पाया है। जाहिर सी बात है कि, मध्य प्रदेश सरकार भी कुछ ऐसा ही करेगी। अब इसमें कोई दो राय नहीं है कि, कमलनाथ सरकार के आने के बाद राज्य का घाटा जो पहले से ही 30 हज़ार करोड़ रुपये है वो कई गुना बढ़ने वाला है।
राजस्थान में तो गहलोत सरकार के कहीं से भी किसानों की कर्जमाफी के आसार नहीं दिख रहे हैं। पहले से ही सरकार इतना कर्ज ले चुकी है कि, कांग्रेस को कर्जमाफी के लिए नया बजट लाना होगा। अब देखना यह है कि, राजस्थान में पार्टी दस दिन की समय सीमा से पहले कर्जमाफी के अपने वायदे से मुकरती है या फिर जनता को गुमराह करने का काम करती है।