पिछले चार सालों से लगातार देश के कई राज्यों हार चुकी कांग्रेस के लिए तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत जैसे संजीवनी बनकर आई। इस जीत के साथ ही महत्वाकांक्षाएं भी मुंहजोर होने लगीं। तीनों ही राज्य में इस राष्ट्रीय पार्टी के समक्ष मुख्यमंत्री किसे बनाये के सवाल ने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। हालांकि, मध्य प्रदेश में कमलनाथ को सीएम पद पर बैठाने का फैसला हो चुका है लेकिन राजस्थान में अभी भी सीएम की दावेदारी को लेकर पेंच फंसा हुआ है जो आज शाम तक साफ़ हो जायेगा।
खबरों की मानें तो अशोक गहलोत का नाम लगभग तय है लेकिन सचिन पायलट ने भी राहुल गांधी से मुलाक़ात कर अपनी दावेदारी को पेश की थी। पायलट समर्थकों ने और खुद पायलट ने राहुल गांधी के समक्ष कुछ ऐसे मुद्दे रखे जिससे उनकी दुविधा बढ़ गयी। इस दौरान सचिन पायलट ने पीएम मोदी की जाति का उल्लेख भी किया। जातिवाद और परिवारवाद की राजनीति करने वाली कांग्रेस के लिए ये कोई नयी बात नहीं है लेकिन इस दौरान जो सचिन पायलट ने कहा उससे एक बार फिर से ये साबित हो जाता है कि कांग्रेस किसी को भी पद देने के लिए उसका कद देखती है, नाम और जाति देखती और ये भी देखती है वो कितने बेहतरीन तरीके से चापलूसी करते हैं।
आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार, सचिन पायलट ने अपनी दावेदारी पेश करते हुए कहा कि, “मैं किसी जाति की राजनीति नहीं करता, फिर मुझ पर गुर्जर होने की बात क्यों चस्पा की जा रही है। कह रहे हैं कि 4.5 प्रतिशत गुर्जर हैं, लेकिन मैंने सभी जातियों को साथ मिलाकर राजनीति की है।” सचिन ने पीएम मोदी की जाति पर टिप्पणी करते हुए आगे कहा, “जाति ही मायने नहीं रखती वरना तेली समाज से आने वाले पीएम मोदी को जोरदार बहुमत कैसे मिलता?” कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री चुने जाने पर उन्होंने कहा, “सियासी विश्लेषक कहते हैं कि मध्य प्रदेश में जाति मायने रखती है, लेकिन वहां कमलनाथ को चुना गया, जिनकी जाति मसला नहीं बनी।”
इससे स्पष्ट है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए इसपर जाति भी एक बड़ी समस्या है। सचिन पायलट अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं यहां तक कि उनके समर्थकों ने तो कांग्रेस को धमकी भी दे डाली है। खैर, यहां सवाल तो ये उठता है कि राज्य का मुख्यमंत्री किस आधार पर बनाया जा रहा है? राजनीतिक ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर या जाति के आधार पर या गांधी परिवार से करीबी रिश्ते के आधार पर या बस राहुल की पसंद की लिस्ट में शामिल है उसी आधार पर?
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की गयी है। कमलनाथ का गांधी परिवार से काफी करीबी रिश्ता रहा है और वो संजय गांधी के सबसे ख़ास दोस्त भी थे। सालों से वो कांग्रेस में हैं और अपनी वफ़ादारी निभाते हैं घोटालों में भी हिंसा में भी या यूं कहें बस आदेश मिलता है और वो तैयार रहते हैं। यही वजह रही होगी जब मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री बनाने की बात आई तो राहुल गांधी नहीं बल्कि सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने कमलनाथ के नाम पर मुहर लगाई और बहुत ही आसानी से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए। अब सचिन पायलट और अशोक गहलोत को लेकर पेंच फंसा हुआ है क्योंकि पार्टी अशोक को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाना चाहती है लेकिन सचिन राजस्थान का ‘पायलट’ बनने के लिए अड़ गये हैं।
हालांकि, सचिन ने अपने दावों के साथ ये भी कहा है कि पार्टी हाई कमान का जो भी फैसला होगा वो स्वीकार करेंगे लेकिन जिस तरह का माहौल राजस्थान में देखने को मिल रहा है उसे देखकर ऐसा लगता नहीं है कि राहुल गांधी के फैसले से पार्टी के कार्यकर्ता खुश होंगे। उधर मीडिया रिपोर्ट्स अशोक गहलोत का नाम लगभग तय बता रही हैं लेकिन फिर भी पार्टी की मुश्किल अभी खत्म नहीं हुई है। यहां दो नेता हैं जिनके समर्थक अपने पसंदीदा नेता को सीएम बनते हुए देखना चाहते हैं ऐसे में यहां पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व पर भी बात आ गयी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी जो निर्णय लेते हैं उसे स्वीकारा जायेगा या फिर एक बार फिर से पार्टी में टकराव की स्थिति को बरकरार रखने के लिए सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को मामले में दखल देना होगा।