हाई कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार दोषी करार दिया है

सज्जन कुमार सिख

PC: Inkhabar

साल 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले में आखिर 34 सालों बाद सिख समुदाय के लिए एक के बाद एक अच्छी खबर सामने आ रही है। साल 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े एक मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार को हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया है और कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। दरअसल, 29 अक्टूबर को न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था। आज हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को 1984 में दंगों की आपराधिक साजिश रचने के लिए दोषी करार दिया है। बता दें कि 30 अप्रैल 2013 को ट्रायल कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था और पूर्व पार्षद बलवान खोखर, कैप्टन भागमल व गिरधारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सज्जन कुमार को बरी किये जाने को हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी थी।

हाई कोर्ट ने सज्जन को हिंसा कराने और दंगा भड़काने का दोषी पाया है। दरअसल, ये मामला एक हत्याकांड से जुड़ा है जब नवंबर 1984 में दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को मार दिया गया था। इस हत्याकांड में कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार पर भी आरोपी पाए गये थे लेकिन उन्हें सालों बाद सजा सुनाई गयी है।

बता दें कि साल 1984 में सिख विरोधी दंगों के दौरान जानबुझकर सेना की तैनाती में देर की गयी थी और पुलिस ने भी सी मामले में दखल देने से इंकार कर दिया था। इसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ, एचकेएल भगत, जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार पर आरोप लगे थे कि उन्होंने दंगाइयों का नेतृत्व किया जिन्होंने सिखों को मारा था। दरअसल, पुलिस का मामले में हस्तक्षेप न करना भी इन नेताओं और पुलिस की एक बड़ी साजिश थी। इस मामले में अब सज्जन कुमार दोषी पाए गये हैं और उन्हें सज्जा भी सुना दी गयी है।

इससे पहले सिख समुदाय को सिख विरोधी दंगे मामलों में बड़ी खबर मिली थी। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में शुरू हुए सिख विरोधी दंगों में हत्या के दो दोषियों को अदालत ने सजा सुनाई थी। अदालत ने अपने फैसले में एक अभियुक्त को फांसी तो दूसरे को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके अलावा कोर्ट ने दोनों दोषियों को 35-35 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इन्हें 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगा मामले में महिलापुर इलाके में दो सिखों की हत्या के लिए दोषी पाया गया था। कांग्रेस की वजह से इन ममलों में देरी होती रही लेकिन केंद्र की मोदी सरकार के हस्तक्षेप के बाद से दंगा पीड़ितों को न्याय मिल रहा है। इस फैसले के कुछ ही दिनों बाद सिख विरोधी दंगे के पीड़ितों के लिए एक और बड़ी खबर सुनने को मिली है।

सिख विरोधी दंगे मामले में न्याय के मिलने से सिखों में मोदी सरकार पर विश्वास और मजबूत होता जा रहा है। इससे उनका झुकाव मोदी सरकार और बीजेपी की ओर बढ़ा है। वास्तव में न्याय प्रक्रिया में देरी हुई है लेकिन अगर पिछली सरकारों ने सही दिशा में प्रयास किये होते तो इस मामले में पहले ही पीड़ितों को न्याय मिल जाता। हालांकि, राजनीतिक लाभ के लिए अक्सर इस मुद्दे को मुद्दा ही बने रहने दिया गया जो शर्मनाक है।

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