‘अस सलाम अलैकुम’ न कहने पर प्रिंसिपल ने की छात्र की पिटाई

प्रिंसिपल छात्र स्कूल

PC: Hindustan Times (Representative Image)

छोटे बच्चों को स्कूल-कॉलेजों में धर्म परिवर्तन के लिए अंदर ही अंदर कितना प्रताड़ित किया जाता है, वो हिंदू संस्कृति से दूर करने के लिए कितने आघात से गुजारा जाता है, बच्चों को कितना कुछ सहना करना पड़ता है, ये सारी बातें इस खबर से साफ हो जाएगी। ये मामला उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से का है। यहां के एक स्कूल में बच्चों द्वारा टीचर को इस्लामिक तरीके से अभिवादन न करने पर बुरी तरह से पीटे जाने का मामला सामने आया है। छात्र ने बताया कि ‘गुड मॉर्निंग’ कहने पर उसे टीचर ने पीटा। बच्चों ने बताया की उनकी पिटाई कोई और नहीं बल्कि खुद स्कूल के प्रिंसिपल ने की। बच्चों ने प्रिंसिपल द्वारा पिटाई की शिकायत वहां पर दौरे पर आई प्रमुख सचिव से जाकर कर दी। मामले की जांच की गई तो जांच में शिक्षको को दोषी पाया गया जिसके बाद प्रिंसिपल निलंबित कर दिया गया है।

मुख्य विकास अधिकारी प्रेरणा शर्मा ने बताया, “प्रमुख सचिव और जिले की नोडल अफसर डिंपल वर्मा रविवार को जिले के दौरे पर आई थीं। इसी दौरान वो तिलहर क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र बिलहरी स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय देखने गयी थीं।” मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि उसी समय प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 6 में पढ़ने वाला छात्र प्रियांशु भी ग्रामीणों के साथ पहुंच गया। छात्र ने प्रमुख सचिव से सारी घटना बताई। छात्र ने बताया कि प्रिंसिपल चांद मियां से “जब हम लोग गुड मॉर्निंग कहते हैं, तो वो कहते हैं हमसे ‘अस सलाम अलेकुम’ कहो।” मुख्य विकास अधिकारी  ने बताया कि पीड़ित छात्र प्रियांशु ने कहा कि “हम लोग ‘अस सलाम अलेकुम’ नहीं बोल पाते तो प्रधानाचार्य बुरी तरह पीटते हैं।” पिटाई से छात्र प्रियांशु के गर्दन पर चोट भी आई है। इस चोट को देखने के बाद प्रियांशु की चिकित्सीय जांच कराई गई। प्राथमिक जांच की रिपोर्ट जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सौंपी गई है। इसके साथ ही प्रिंसिपल के निलंबन की कार्रवाई की जा रही है।

ऐसे में भले ही इस मामले में दोषी टीचर को सजा मिल गई हो लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि देश में चोरी-छिपे अंदर ही अंदर हिंदू धर्म पर प्रहार किया जा रहा है। उन्हें हिंदू रीति-रिवाज और संस्कृति से दूर किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें पीटा जा रहा है। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है लेकिन सारे मामले प्रकाश में नहीं आ पाते हैं। ज्यादातर मामले दबा दिए जाते हैं। बच्चे डर के मारे सारी शिकायतें घर पर या अधिकारी तक पहुंचा ही नहीं पाते हैं। ये इत्तेफाक ही था कि जांच अधिकारी मौके पर आई थीं नहीं तो यह मामला भी दब जाता और बच्चे अंदर ही अंदर रोकर रह जाते।

इन सारी घटनाओं के बाद भी लिबरल मीडिया को ये सब दिखाई नहीं देता है। लिबरल मीडिया को इस्लाम प्यारा और भाईचारे वाला धर्म दिखाई पड़ता है। लिबरल मीडिया को सारी कमियां केवल हिंदू धर्म में ही दिखाई पड़ती हैं। ऐसे में अब अभिभावकों को इस बात के लिए जागरूक रहना पड़ेगा कि कहीं उनके बच्चे के ऊपर भी तो ऐसा कोई दबाव नहीं डाला जा सहा है।

Exit mobile version