यूपीए सरकार के समय होती थी हर महीने 9000 फोन और 500 ईमेल की टैपिंग, आरटीआई से हुआ खुलासा

यूपीए आरटीआई

PC: Indian Express

हाल ही में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। केन्द्रीय मंत्री ने बताया है कि, यूपीए-2 सरकार में लोगों के मोबाइल फोन पर होने वाली बातचीत और मेल को ट्रैक किया जाता था। राठौड़ ने एक आरटीआई का हवाला देते हुए बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में हर महीने में 9 हजार फोन और 500 ईमेल टैप किए जाते थे। इस नए खुलासे ने सबको चौंका दिया है।

2013  में दायर की गई एक आरटीआई से पता चला है कि, पूर्व यूपीए सरकार भी हर महीने 7,500 से 9,000 फोन कॉल्स की रिकॉर्डिंग करवा रही थी। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस आरटीआई आवेदन से मिली जानकारियों के हवाले से यह भी बताया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान हर महीने लगभग 300 से 500  ई-मेल की जांच भी की जा रही थी।

बता दें कि, यह आरटीआई प्रसेनजीत मंडल ने दायर की थी। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह खुलासा प्रसेनजीत मंडल द्वारा लगाई गई एक आरटीआई पर अगस्त, 2013 में केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से दिए जवाब के आधार पर किया है। बता दें कि, 2013  में ही अमृतानंद देवतीर्थ ने भी ऐसी ही एक आरटीआई दायर की थी। इस आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया था कि, टेलीग्राफ एक्ट के तहत केंद्रीय जांच एजेंसियों को फोन कॉल और ई-मेल इंटरसेप्शन के अधिकार दिए गए हैं। ये अधिकार केंद्र की दस एजेंसियों के पास हैं जिनमें इंटेलिजेंस ब्यूरो, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, रॉ, डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली पुलिस के आयुक्त शामिल हैं। उस समय मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और ए राजा सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री थे। जबकि शिवराज पाटिल देश के गृह मंत्री थे।

मजेदार बात यह है कि, शुक्रवार को इस फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उल्टे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही निशाना साधा। कांग्रेस अध्यक्ष ने राहुल गांधी को ‘असुरक्षित तानाशाह’ भी कहा था। इसके बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोर्चा सम्हाला। वित्तमंत्री ने एक जवाब में कहा था कि इस मुद्दे पर विपक्षी दल ‘राई का पहाड़’ बनाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि यहां राई मौजूद ही नहीं है।

बता दें कि, दायर की गई आरटीआई के जवाब में पाया गया कि, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान 2013 में सरकारी एजेंसियों को कानूनी तौर पर निगरानी करने के लिए अधिकार दिए गए थे। इन एजेंसियों में इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी), सीबीडीटी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) डीआरआई जैसी संस्थाएं शामिल थीं। आरटीआई से प्राप्त जानकारी ने कांग्रेस की करतूतों का पर्दाफाश कर दिया है लेकिन, अपने झूठ का मुखौटा हटने के बावजूद कांग्रेस अभी भी उल्टे केन्द्र सरकार पर ही अपने झूठ का ठीकरा फोड़ रही है।

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