पहले धर्मांतरण करने वालों से छीना था आरक्षण, अब सवर्णों को आरक्षण देने वाला दूसरा राज्य बना झारखंड

झारखंड आरक्षण

PC: Oneindia Hindi

गुजरात के बाद अब झारखंड देश का दूसरा राज्य बन गया है जिसने अपने यहां उच्च जातियों के गरीब लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया है। मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में सात जनवरी को आर्थिक रूप से कमजोर उच्च जातियों के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का बड़ा फैसला लिया गया था। इसके बाद सरकार ने इस बिल को आठ जनवरी को लोकसभा और नौ जनवरी को राज्यसभा में पास कराया। दोनों सदनों से पास होने के बाद शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बिल को मंजूर दी है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलते ही सबसे पहले गुजरात ने गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण लागू किया था और अब बीजेपी शासित राज्य झारखंड में भी यह लागू हो गया है।

झारखंड के आरक्षण का यह लाभ 16 जनवरी यानी आज से सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन प्रक्रिया के दौरान मिलेगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मंगलवार को इसकी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 15 जनवरी के बाद शुरू होने वाले नामांकन में यह प्रावधान शामिल होगा। रघुवर दास ने कहा कि, आर्थिक रूप से कमजोर अनारक्षित वर्ग को मिलने वाला 10 फीसदी आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले 50 फीसदी आरक्षण के अतिरिक्त होगा। उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अनारक्षित वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए 10 फीसदी आरक्षण दिये जाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इसी पर राज्य सरकार ने प्रदेश के शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में इस आरक्षण का लाभ देने का निर्णय लिया है।

रघुवर दास की इस घोषणा के बाद झारखंड के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने झारखंड के आरक्षण कानून में संशोधन की तैयारी शुरू कर दी है। यहां पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अधिनियम-2001 में संशोधन कर नए प्रावधान जोड़ने होंगे। अभी तक नियुक्तियों और शैक्षिक संस्थानों में नामांकन में राज्य में 50 फीसदी आरक्षण लागू था।

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास राज्य की भलाई के लिए एक के बाद एक बड़े कदम उठा रहे हैं। झारखंड पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला राज्य बना था। बड़ी संख्या में कट्टरपंथीकरण के लिए पीएफआई पर हत्या और हिंसा के कई आरोप लगाये गये हैं। राज्य में पीएफआई की बढ़ती जड़ों को काटने के लिए उसपर प्रतिबंध लगाना साहसिक निर्णय था। इसके बाद रघुवर दास द्वारा एक और बड़ा फैसला लिया गया जिसके मुताबिक आदिवासी जिन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर इसाई या अन्य धर्म अपना लिया है उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा।

सीएम रघुवर दास की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार द्वारा झारखंड के राज्य विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी कानून को पारित किया गया जिसमें जबरदस्ती धर्म परिवर्तन पर 3 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना या दोनों और महिला, एसटी, एससी के धर्म परिवर्तन के मामले में 4 साल की सजा या 1 लाख रुपये जुर्माना या दोनों सजा का प्रावधान है। ये एक बहुत ही आवश्यक विधेयक था जिसे राज्य में लागू किया जाना जरुरी था क्योंकि राज्य में मिशनरियों का पहले से ही एक व्यापक नेटवर्क था और वो आदिवासियों और हाशिए वाले समुदायों को भोजन और चिकित्सा सुविधा देने का लालच देकर उनके धर्म का परिवर्तन करने में शामिल थे। धर्म परिवर्तन कर इसाई या अन्य धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं देने के रघुवर दास के फैसले की खूब तारीफ की गई थी और अब उच्च जातियों के गरीब तबके के लिए आरक्षण लागू कर उन्होंने बता दिया है कि, जनता की भलाई के किसी भी काम में वे पीछे नहीं रहने वाले हैं।

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