‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ और ‘उरी’ पर लेफ्ट लिबरल गैंग की शर्मनाक टिप्पणी

उरी द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर लिबरल

लंबे समय से प्रतीक्षारत फिल्म ‘उरी’ और ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ तमाम विरोंधों और अड़चनों को पार करती हुई रिलीज हो गई। फिल्म ने आम जनता के बीच खूब तारीफें लूटी। फिल्म देखने वाले हर किसी ने कहा कि फिल्म बहुत बेहतरीन है। कई युवाओं ने कहा कि जिस कहानी को हम किताबों में 1 महीने में पढ़ पाते, उसे सिर्फ तीन घंटे में फिल्म में देख भी लिया। युवाओं का कहना था कि हर किसी को ये फिल्म देखनी चाहिए लेकिन वामपंथी प्रोपेगंडा फैलाने वालों को ये फिल्म पसंद नहीं आई। वो इस फिल्म खूब आलोचना कर रहे हैं। उन्हें इस फिल्म में कमियां ही कमियां नजर आ रही है

बता दें कि ये वही लेफ्ट प्रोपेगंडा फैलाने वाले लोग हैं जो पद्मावत फिल्म का ये कहकर समर्थन करते हैं कि फिल्म को विरोध करना अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है। वो उड़ता पंजाब, मुक्काबाज, मुल्क, मनमर्जियां, वीरे दी वेडिंग जैसी तमाम फिल्मों के लिए जोरदार प्रचार करते हैं और रिव्यू लिखते हैं। वहीं, जिस फिल्म में देशभक्ति या राष्ट्रवाद जैसी भावनाएं दिखाई जाती हैं, उनका विरोध करने में ये तनिक भी पीछे नहीं हटते। उन फिल्मों का विरोध करते समय इन्हें अभिव्यक्ति की आजादी की याद नहीं आएगी।  

फिल्म का इतना विरोध किया गया कि कुछ राज्यों में फिल्म के प्रदर्शन पर ही रोक लग गयी। मजेदार बात ये है कि चुनाव नजदीक आते ही कुछ नेता भी फिल्म के रिलीज के बाद अपने इसके विरोध में ट्वीट करने लगे जिससे उनके शीर्ष नेता खुश हो सकें। जैसी की उम्मीद थी उमर अब्दुल्लाह, निधि राजदान जैसे लोगों ने न सिर्फ एक्सीडेंटल प्राइमे मिनिस्टर फिल्म की आलोचना की बल्कि फिल्म के कलाकारों का भी मजाक उड़ाया। नेशनल कान्फ्रेंस के कश्मीरी नेता उमर अब्दुल्ला ने फिल्म को एक स्टार देते हुए इसे प्रोपेगंडा बताया। लेखिका, स्तंभकार और उपन्यासकार शोभा डे ने अपने एक ट्वीट से आलोचना का निम्न स्तर दर्शाया :

इसके बाद एनडीटीवी, इंडियन एक्सप्रेस और यहां तक कि द वायर भी एक एक करके आलोचना की सूची में शामिल होते गये।

वहीं दूसरी ओर टाइम्स ऑफ इंडिया की कंसल्टिंग एडिटर सागरिका घोष ने ट्विट किया:     

इन सभी में मजेदार बात ये थी कि ये वही लोग थे, जो पद्मावत और उड़ता पंजाब फिल्म को रिलीज कराने के लिए अभिव्यक्ति की आजादी जैसी चीजों की दुहाई दे रहे थे। वास्तव में इनका उद्देश्य पंजाब, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों अपनी पार्टी को सत्ता में लाना था। अपने इस प्रोपेगंडा में वो बहुत हद तक कामयाब भी हुए लेकिन फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ का विरोध सारे विपक्षी इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उस फिल्म में कुछ भी छिपाया नहीं गया है। उस फिल्म में बिल्कुल साफ-साफ दिखाया गया है कि कैसे यूपीए के हाई कमान ने डॉक्टर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर तो बैठा दिया लेकिन उन्हें बड़े फैसले लेने का हक नहीं दिया।  यहां तक कि उरी भी इन लेफ्ट लिबरल गैंग के आलोचकों से बच नहीं पायी। जहां एनडीटीवी, इंडियन एक्सप्रेस जैसे न्यूज पोर्टल्स ने फिल्म ‘उरी’ को कम स्टार दिए तो वहीं ‘द वायर’ और ‘Film Companion’ ने मोदी सरकार को इसके जरिये निशाना बनाने का प्रयास किया। यकीन न हो तो आप खुद ही देख लीजिये:   

Film Companion ने न सिर्फ फिल्म ‘उरी’ के राष्ट्रवादी स्वर बेतुका बताया बल्कि सुचित्रा त्यागी ने तो अपने एक वीडियो में इस फिल्म के उस दृश्य का मजाक उड़ाया जिसमें एक छोटी बच्ची अपने पिता के शहीद होने पर रो रही थी।   

 जिस तरह से उस बच्ची लड़की ने अपने पिता के शहीद होने के बाद भी जो साहस दिखाया था वो सलाम करने वाला था फिर भी इसे मैनिपुलेटिंग सीन कहना कहां तक उचित है ? लेकिन  सुचित्रा त्यागी प्रतिक्रिया शर्मनाक थी। प्रधानमंत्री मोदी के लिए नफरत समझ आती है लेकिन देशभक्तों से क्या परेशानी है?    

यही नहीं ‘द वायर’ की पत्रकारिता भी निम्न स्तर की नजर आई जिसने पहले ट्रेलर पर टिप्पणी की थी अब फिल्म पर भी की।हालांकि, इतनी आलोचनाओं के बावजूद फिल्म ‘उरी’ और द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ को जनता खूब पसंद कर रही हो। यही नहीं उरी ने तो पहले ही दिन 8.5 करोड़ की कमाई की जबकि ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ ने कुल 3.5 करोड़ की कमाई की है। उम्मीद करते हैं कि ये बुद्दिजीवी वर्ग ‘राकेट्री’ ‘बाटला हाउस’ द ताशकंद फाइल्स’ के लिए तैयार रहे क्योंकि ये फिल्में एक बार फिर से लेफ्ट लिबरल गैंग को परेशान करने वाली हैं। 

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