अरविंद केजरीवाल और उनके विधायकों ने इतनी कितनी ग़ैर-क़ानूनी जायदाद बना ली कि, लोकायुक्त को ब्योरा देने से डर रहे?

दिल्ली केजरीवाल

PC: Satya Hindi

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का वादा करके व लोकपाल की मांग करके सत्ता में आने वाले आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल अब लोकायुक्त का कहना नहीं मान रहे हैं। अब इससे अधिक अजीब भला क्या होगा कि जिस लोकपाल के लिए केजरीवाल अन्ना हजारे संग आंदोलन करके राजनीति में आए थे, अब उसी की अनदेखी की जा रही है और अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया जा रहा। इसे लेकर केजरीवाल की चारो तरफ किरकिरी भी हो रही है।

लोकायुक्त ने दिल्ली के सभी विधायकों से संपत्ति का ब्योरा मांगा था। लोकायुक्त द्वारा विधायकों से संपत्ति का ब्योरा मांगे जाने पर सोमवार को मात्र तीन विधायकों ने अपनी सपत्ति का ब्योरा दिया। इन विधायकों में भाजपा के विजेंद्र गुप्ता, मनजिंदर सिंह सिरसा व आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा शामिल हैं। इन विधायकों के संपत्ति संबंधी ब्योरे को लोकायुक्त ने स्वीकार कर लिया है। लेकिन आम आदमी पार्टी के 51 विधायकों ने लोकायुक्त के समक्ष अपनी संपत्ति का ब्योरा जमा करने से साफ मना कर दिया है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि संपत्ति का ब्योरा मांगना लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

इसके अलावा आम आदमी पार्टी के 13 अन्य विधायकों ने भी लोकायुक्त के समक्ष सोमवार को कोई जानकारी नहीं दी। इन 13 विधायको में खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री और लोकपाल बिल की मांग करने वाले शख्स अरविंद केजरीवाल समेत उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन और गोपाल राय शामिल हैं। बता दें कि लोकायुक्त ने सभी विधायकों को जवाब दाखिल करने के लिए 27 फरवरी तक का समय दे दिया है।

इस संबंध में लोकायुक्त ने सुनवाई करते हुए कहा कि एक मंत्री सहित आप के 51 विधायकों ने जवाब दाखिल कर दिया है और सभी के जवाब कमोबेश एक समान हैं। आम आदमी पार्टी विधायक वंदना कुमारी, महेंद्र यादव, एनडी शर्मा, मदन लाल, एसके बग्गा व अन्य विधायकों ने पेश होकर अपना जवाब दाखिल किया। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने लोकायुक्त को पत्र लिखकर संपत्ति का ब्योरा जमा करने के लिए जारी नोटिस को वापस लेने का आग्रह किया है।

बता दें कि लोकायुक्त जस्टिस रेवा खेत्रपाल ने विधानसभा अध्यक्ष के पत्र को रिकॉर्ड पर ले लिया। लोकायुक्त ने पत्र का रिकॉर्ड करके कहा कि इस पर अगली सुनवाई पर विचार किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष ने लोकायुक्त को भेजे पत्र में कहा है कि दिसंबर 2018 में केंद्र सरकार ने इस बारे में नया दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके तहत सरकार को जनप्रतिनिधियों व उनके आश्रितों की संपत्तियों और देनदारियों का ब्योरा जमा करने के लिए एक प्रारूप जारी करना है। अभी प्रारूप जारी नहीं हुआ है, ऐसे में उन्हें (लोकायुक्त) विधायकों को भेजे गए नोटिस को वापस ले लेना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष ने भी खूबसूरत सा बहाना बनाते हुए कहा कि संपत्ति का ब्योरा मांगना फिलहाल लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

वहीं दूसरी ओर विधायकों ने भी बहाना बनाते हुए कहा है कि चूंकि सरकार ने अभी कोई प्रारूप जारी नहीं किया है, ऐसे में अभी इस बारे में कोई कानून नहीं है। कानून के अभाव में लोकायुक्त विधायकों से संपत्ति का ब्योरा नहीं मांग सकते। वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि “जनलोकपाल के नाम पर सत्ता में आने वाले अपनी सम्पति क्यों छिपा रहे हैं?” वहीं मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी ट्विट किया, मैं अरविंद केजरीवाल से पूछना चाहता हूँ  से  इतनी कितनी ग़ैर-क़ानूनी जायदाद बना ली आप लोगों ने 4 साल में कि आज अपनी संपत्ति का सार्वजनिक ब्योरा देने से भी डर कहे हो? क्या ऐसे होते हैं क्रांतिकारी लीडर।  

ऐसे में सवाल तो उठते ही हैं कि आखिर केजरीवाल किस मुंह से भ्रष्टाचार मिटाने की बात करते हैं। आखिर ऐसी कौन सी बात है जो अपनी संपत्ति सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं। हालांकि बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब केजरीवाल ने यू टर्न लिया है। अब देखना यह है कि केजरीवाल आगे किन मुद्दों पर चुनाव लड़ते हैं। आगे केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी किन मुद्दों पर जनता के सामने वोट मांगने निकलती है।

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