हिंदी में एक पुरानी मशहूर कहावत है, “मरता क्या न करता”! यही हाल मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार का नजर आ रहा है। बहुमत से चूकने के बाद सपा-बसपा और निर्दलीय विधायकों के साथ सरकार बनाने वाली कांग्रेस को अब उसी के सहयोगी ऊंगलियों पर नचाने लगे हैं। इस बार मध्यप्रदेश में बसपा विधायक ने मंत्रीपद न देने पर मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार का हाल कर्नाटक सरकार की तरह करने की धमकी दी है।
दरअसल, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भारत बंद के दौरान हुए उपद्रव में कथित दलितों के ऊपर हुए मुकदमों को वापस कराने के बाद बसपा के हौसले बुलंद हैं। बसपा कांग्रेस पर दबाव बनाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस की इस कमजोरी पर बसपा उसे खूब ब्लैकमेल कर रही है। अब बसपा कांग्रेस पर और भी तरह-तरह के दबाव बना रही है। अब बसपा कांग्रेस मध्यप्रदेश में कांग्रेस को मंत्रिपद देने का दबाव बनाने में लगी है। यही नहीं, मंत्रीपद न देने पर मध्यप्रदेश का हाल कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार जैसा करने की धमकी दी है।
दरअसल, मध्य प्रदेश की पथरिया सीट से बसपा विधायक रमाबाई अहिरवार ने कमलनाथ सरकार को खुली धमकी दी है। विधायक ने साफ कहा है कि अगर उन्हें मंत्री पद नहीं दिया गया तो प्रदेश सरकार का हाल भी कर्नाटक जैसा हो सकता है। बसपा विधायक रमाबाई का कहना है कि बसपा के दो विधायक निर्वाचित हुए है। कांग्रेस ने सरकार बनाते समय वादा किया था कि हमें मंत्री बनाया जाएगा लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। वैसे ये कांग्रेस की पुरानी परंपरा रही है वो सत्ता पाने के अपने सहयोगी दलों के नेताओं को दरकिनार कर देती है लेकिन बसपा के साथ ऐसा करना इस पार्टी को महंगा पड़ सकता है। विधायक रमाबाई का कहना है कि उनके क्षेत्र के लोग उन्हें मंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में विधायक के भीतर मंत्री पद पाने की महत्वाकांक्षा उबाल मार रही है। अब इस चेतावनी पर कमलनाथ सरकार क्या कदम उठाती है ये देखना दिलचस्प होगा।
बता दें कि इससे पहले भी मायावती ने दलितों को लुभाने के लिए राजस्थान और मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को ब्लैकमेल करके ऊंगलियों पर नचा चुकी हैं। बसपा सुप्रीमों मायावती ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारत बंद के दौरान हुए उपद्रव में कथित दलितों के ऊपर हए मुकदमें वापस के लिए कांग्रेस पर दबाव बनाया था। मायावती का कहना है कि अगर कांग्रेस दलितों पर हुए मुकदमों को वापस नहीं लेती तो उनकी पार्टी राजस्थान और मध्यप्रदेश में इस पारिवारिक पार्टी को दिए अपने समर्थन को वापस ले लेगी। इतने में कांग्रेस के हाथ पांव फूल गये। मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने तो पिछले 15 सालों में नेताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं और अन्य पर दर्ज किए गए राजनीतिक मुकदमे वापस लेने की घोषणा तक कर दी। वहीं, राजस्थान में कांग्रेस मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मायावती की मांग पर समीक्षा करने की बात कही थी। मतलब की साफ़ है देश की सबसे पुरानी पार्टी मायावती की राजनीतिक ब्लैकमेलिंग के आगे झुक गयी है। अब बसपा विधायक की मांग के बाद से इस पुरानी पार्टी की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गयी हैं।
दरअसल हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में राजस्थान और मध्यप्रदेश में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिल सका। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी, दोनों में से किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। एक और जहां उसे 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा चुनाव में 99 सीटें तो वहीं 230 सीटों वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 114 सीटें मिली हैं। इस तरह से दोनों ही राज्यों में कांग्रेस बहुमत तक नहीं पहुंच सकी। ऐसे में दोनों ही राज्यों में उसे बसपा और निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ की जरूरत पड़ी। जिसका नतीजा यह हुआ कि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस को बसपा का साथ मांगना पड़ा। इसी बात का बसपा फायदा उठा रही है। अब बसपा कांग्रेस को कदम-कदम पर ब्लैकमेल कर रही है।
इससे अब एक बात तो स्पष्ट है कि राजस्थान और मध्यप्रदेश में क्रमश: 99 और 114 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस की सरकार मजबूर सरकार है। अब अगर अभी से एक-दो राज्यों में इस पार्टी का ये हाल है तो फिर आगामी लोकसभा चुनाव के बाद क्या होगा! मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने बसपा के समर्थन से सरकार तो बना ली है लेकिन इसे निभाना इतना आसान नहीं होने वाला है। बसपा गिनी चुनी सीटें देकर बीएसपी कांग्रेस को ब्लैकमेल करने में लगी है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ब्लैकमेल होने के लिए तैयार है। वास्तव में की बसपा की ब्लैकमेलिंग से मध्य प्रदेश 15 सालों के बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस को अब सत्ता से जाने का इतना डर लगा जिसके बाद पार्टी ने बिना देरी किये मायावती की मांग को स्वीकार कर लिया। तभी तो राजस्थान में गहलोत ने इस मामले की समीक्षा की बात कही है।