पापी पेट के लिए बॉलीवुड के कुछ कलाकार देश के खिलाफ जाने में जरा भी नहीं झिझकते और इसका बेहतरीन उदाहरण इन दिनों बॉलीवुड में अक्सर ही देखने को मिल जाते हैं। ये रहते भारत में हैं और यहीं की कमाई पर मौज उड़ाते हैं और शर्मनाक तरीके से भारत के खिलाफ ही जहर उगलते हैं। ये कभी पाकिस्तान के हिमायती बन जाते हैं तो कभी देश और उसकी सेना का अपमान करते दिख जाते हैं। इन्हें अपने विचार रखने की पूरी आजादी है और इस आजादी का कैसे दुरूपयोग किया जाए ये भी इन्हें अच्छी तरह से पता है। फिर भी ये लोग देश में अभिव्यक्ति की आजादी का रोना रोते हैं और देश में असहिष्णुता जैसे राग अलापतें हैं। ऐसा लगता है कि अब स्वरा भास्कर को कड़ी टक्कर देने के लिए नसीरुद्दीन शाह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। विक्टिम कार्ड खेलने के बाद एक बार फिर उन्होनें देश में असहिष्णुता का राग अलापा है। इससे जुड़ा एक और वीडियो उनका सामने आया है इससे पहले उनका बुलंदशहर में हुई हिंसा को लेकर उनका एक वीडियो सामने आया था। ये वीडियो एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के एक कैंपेन से जुड़ा है। इस वीडियो में वो संविधान, आजाद भारत की बात कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि भारत में धर्म के नाम पर नफरत की दीवार खड़ी की जा रही है। इस वीडियो को ऐमनेस्टी इंटरनैशनल इंडिया ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर भी किया है।
In 2018, India witnessed a massive crackdown on freedom of expression and human rights defenders. Let's stand up for our constitutional values this new year and tell the Indian government that its crackdown must end now. #AbkiBaarManavAdhikaar pic.twitter.com/e7YSIyLAfm
— Amnesty India (@AIIndia) January 4, 2019
इस वीडियो में नसीरुद्दीन शाह कहते हुये नजर आ रहे हैं कि, “अब हक़ के लिए आवाज़ उठाने वाले जेलों में बंद किये जा रहे हैं। कलाकार, फनकार, अदीब, शायर सबके काम पर रोक लगाई जा रही है। पत्रकारों को भी खामोश किया जा रहा है। मज़हब के नाम पर नफरतों की दीवारें खड़ी की जा रही हैं। मासूमों का क़त्ल हो रहा है। पूरे मुल्क में नफरत और ज़ुल्म का बेखौफ नाच ज़ारी है और इन सब के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों के दफ्तरों पर रेड डाल कर कर उनके लाइसेंस कैंसिल करके, उनके बैंक अकाउंट्स फ्रीज करके उन्हें खामोश किया जा रहा है। ताकि वो सच बोलने से कतराएं। हमारे ऐन की क्या यही मंज़िल है? क्या हमने ऐसे ही मूल्क के ख्वाब देखे थें, जहां इक्तिलाफ की कोई गुंजाइश ना हो। जहां सिर्फ अमीर और ताक़तवर की ही आवाज़ सुनी जाए, जहां गरीब और कमज़ोर को हमेशा कुचला जाए। जहां ऐन था उधर अब अंधेरा।”
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया जो भारत की आलोचना के लिए जाना जाता है नसीर उसके ब्रांड ऐम्बैसडर बने हैं। बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने ‘कश्मीर में मानव अधिकारों’ को लेकर ‘ब्रोकन फैमिलीज़’ के नाम से एक इवेंट किया और अपने इस इवेंट में भारत और सेना के खिलाफ नारे लगवाए थे जिसे लेकर बेंगलुरु पुलिस ने एमनेस्टी के खिलाफ देशद्रोह, समाज में नफरत फैलाने का केस दर्ज किया था। इससे बौखलायी एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने अब वर्तमान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। यही वजह भी है कि नसीर के बयानों का ये संस्था समर्थन कर रही है। नसीरुद्दीन शाह के दो मिनट 14 सेकंड के इस वीडियो में नसीर ने मोदी सरकार द्वारा मानवाधिकारों पर कथित हमले को लेकर काफी कुछ कहा और जो कहा वो एक झूठ के अलावा कुछ नहीं था। ऐसा लगता है साल 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की तरफ से प्रचार करने का जिम्मा उन्होंने अपने कंधों पर उठा लिया है और इसकी शुरुआत उन्होंने संविधान में निहित प्रत्येक भारतीय नागरिक को दिए गए अधिकारों से की है। तभी तो इस वीडियो में मानवाधिकारों को लेकर अपने कथित उच्च विचार रखे हैं।
इससे पहले उन्होंने एक वीडियो में देश के मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए अपने बच्चों के लिए डर को भी व्यक्त किया था जिसके लिए उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। देश की जनता उन्हें बॉलीवुड का एक जिम्मेदार, अनुभवी और समझदार अभिनेता मानती थी लेकिन जिस तरह के जहरीले बोल के लिए नसीरुद्दीन शाह चर्चा में हैं उससे उन्होंने अपनी ही बनाई हुई छवि को धूमिल कर दिया है। ये शर्मनाक है कि मोदी सरकार के प्रति अपनी नफरत में अंधे हो चुके नसीर इस तरह के दोहरा रुख अपना रहे हैं।
वैसे ये कोई पहली बार भी नहीं जब एक्टर नसीरुद्दीन शाह असली चेहरा सामने आया है। दो साल पहले जब उरी हमले में देश के 19 जवान शहीद हुए थे तब देश में पाकिस्तानी कलाकारों के रुख से नाराजगी जताते हुए पाकिस्तानी कलाकारों के खिलाफ कदम उठाते गये थे। तब नसीरुद्दीन शाह ने कहा था कि, “पाकिस्तान भारत का दुशमन नहीं, हमारा ब्रेनवाश किया जा रहा है।” जब उन्हें इस टिप्पणी के लिए ट्रोल किया जाने लगा था तब भी उन्होंने विक्टिम कार्ड खेला था और कहा था कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वो एक मुस्लिम हैं। ये वही डरे हुए नसीर हैं जिन्होंने 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को दी जानी वाली फांसी का विरोध किया था और इसे रुकवाने के लिए दायर की गयी दया याचिका पर हस्ताक्षर किया था।
हालांकि, ये भी समझ से परे हैं कि अगर देश में इतनी ही असहिष्णुता है और लोगों को अपना पक्ष रखने की आजादी नहीं है तो वो किस आधार पर खुलकर मौजूदा सरकार के खिलाफ तो बोल ही रहे हैं साथ ही आम जनता को भ्रमित करने का काम भी कर रहे हैं और तो और भारत की आलोचना करने वाली संस्था का समर्थन भी कर रहे हैं। ये देश में अभिव्यक्ति की आजादी ही तो है कि आप खुलेआम जहर उगल रहे हैं। असली चिंता तो आपको देश में भ्रष्टाचार, आतंकवाद से जुड़ी खबरें न मिलने की है। वहीं लेफ्ट लिबरल मीडिया भी नसीर के पक्ष में खड़ी है और आम जनता को गुमराह कर रही है।