अजय माकन और एचएस फुल्का के इस्तीफे के पीछे की असली वजह

अजय माकन फुल्का आम आदमी पार्टी

PC: The Wire

अन्ना हजारे आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी अब पूरी तरह से भूल चुकी है कि उसे किसलिए जनता ने चुना था। जिस कांग्रेस के खिलाफ अन्ना हजारे ने आंदोलन किया था अब वो उसी कांग्रेस पार्टी के साथ गलबहियां करने को तैयार है। यही कारण है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टियों के दो बड़े नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस के दिल्ली अध्यक्ष अजय माकन और आम आदमी पार्टी के नेता एच एस फुल्का ने इस्तीफा दे दिया है। एक ओर अजय माकन ने जहां प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है तो वहीं एच एस फुल्का ने तो आम आदमी पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के कारण में एक ओर जहां अजय माकन ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है तो वहीं दूसरी ओर एच एस फुल्का ने पंजाब में ड्रग्स के खिलाफ आंदोलन की तैयारी करने की बात कहकर इस्तीफा दे दिया है।

बता दें कि साल 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था। इस हार के बाद अजय माकन को दिल्ली का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था। ऐसे में जिस समय दिल्ली में माकन को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया, उस समय दिल्ली में आम आदमी पार्टी की प्रचंड बहुमत वाली सरकार आ चुकी थी। दूसरी ओर कांग्रेस का कोई भी सदस्य 70 सदस्यों की दिल्ली विधानसभा में मौजूद नहीं था। ऐसे माहौल में आम आदमी पार्टी सरकार की नीतियों का विरोध और दिल्ली की जनता के बीच आम आदमी पार्टी का विरोध और कांग्रेस को संभालने की जिम्मेदारी अजय माकन और प्रदेश कांग्रेस संगठन को दी गई थी।

माना जा रहा है कि इस परिस्थिति में लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन का रुझान देखते हुए जनता और कार्यकर्ताओं के बीच होनेवाली किरकिरी से बचने के लिए अजय माकन ने पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया है। अजय माकन नहीं चाहते कि जिस पार्टी के खिलाफ पिछले चार साल तक वो दिल्लीवासियों के बीच आवाज बुलंद करते दिखे हैं, उसी पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव में सुर से सुर मिलाए। खबरों की मानें तो अजय माकन नहीं चाहते थे कि इस तरह का कोई फैसला उनके दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए हो। इसी से बचने के लिए उन्होंने ऐसा फैसला लिया है।

वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एच एस फुल्का ने भी पार्टी की नीतियों से असंतुष्ट होकर इस्तीफा दे दिया। फुल्का ने एक ट्विट करके इस बात की पुष्टि की है। ट्वीट करते हुए फुल्का ने लिखा, “मैंने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और इसे सीएम केजरीवाल को सौंप दिया है। हालांकि उन्होंने मुझे इस्तीफा देने से मना किया, लेकिन मैंने जोर दिया।” फुल्का ने साफ कहा कि 2012 में जिस अन्ना मूवमेंट को एक पार्टी की शक्ल दी गई थी, वो फैसला अब गलत साबित हो रहा है।

राजनैतिक विशेषज्ञों की मानें तो फुल्का के इस कदम के पीछे दिल्ली विधानसभा में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने संबंधित विवाद भी है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो फुल्का आगामी लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के खिलाफ थे। लेकिन, आम आदमी पार्टी के आलाकमान ने कहीं न कहीं कांग्रेस के साथ गठबंधन का मन बना लिया है।

बता दें कि फुल्का कई मौकों पर बोल चुके थे कि अगर लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस साथ लड़ेंगे तो वो पार्टी से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कांग्रेस को 1984 दंगों का आरोपी करार दिया था। ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में सत्ता की इतनी भूख है कि वो पार्टी के पुराने नेताओं की बातों को नजरअंदाज करके निर्णय ले रहे हैं। अब देखना ये होगा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अपने गठबंधन पर जनता को क्या जवाब देते हैं।

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