गजब का है कुंभ का सीवेज ट्रीटमेंट, जियो ट्यूब का हो रहा प्रयोग, संगम में एक बूंद गंदगी नहीं

कुंभ शौचालय गंगा

PC: Divyasandesh

आस्था की नगरी कहे जाने वाले प्रयागराज में इस समय आस्था का पर्व कुंभ अपने शबाब पर है। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालू इस वर्ष के कुंभ के गवाह बन रहे हैं। इस वर्ष योगी आदित्यनाथ ने कुंभ को विश्वस्तरीय बना डाला है जिसके कारण भारत के साथ-साथ दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालू आ रहे हैं। इसलिए इस वर्ष संख्या भी अन्य वर्षों की संख्या से कहीं अधिक है। यहां करोड़ो श्रद्धालू डुबकी लगा रहे हैं, ठहर रहे हैं, भोजन कर रहे हैं, नित्यक्रिया कर रहे हैं। यहां कई शौचालय की भी व्यवस्था की गयी है ऐसे में दूर शहरों में या फिर किसी दूसरे देश में बैठा कोई भी व्यक्ति अगर घर बैठे अंदाजा लगाएगा तो उसे यही लगेगा कि कुंभ में बेहद गंदगी, मल-मूत्र के कारण बदबू होगी, महामारी फैलाने वाली स्थिति होगी। जबकि वास्तविकता ये है कि इस समय यहां आपको अद्भुत शांति और पवित्रता से भरपूर माहौल मिलेगा। अब आपके मन मे सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। तो आइए हम जानते हैं कि किस तरह से प्रशासन ने ये व्यवस्था की है।

आंकड़ों की मानें तो कुंभ में एक लाख से ज्यादा शौचालय और 46 नाले हैं। तकरीबन 3500 एकड़ और 20 सेक्टरों में मेला क्षेत्र फैला है। इसके बावजूद गंगा और यमुना में कोई भी गंदगी नहीं जा रही है। गंगा, यमुना बिल्कुल निर्मल हैं। इसका कारण है कि इतनी बड़ी तादाद में बने शौचालय की गंदगी और नालों के कचरों के प्रबंध के लिए प्रशासन ने सीवेज को सीधे ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाने का प्रबंध किया है। इसके लिए प्रशासन ने पूरे प्रयागराज शहर में छह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। यही नहीं, मेला क्षेत्र से थोड़ी दूर हटकर दो जगह मिनी प्लांट भी लगाए गए हैं।

गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, जल निगम के महाप्रबंधक पीके अग्रवाल ने बताया कि इन प्लांट से 268 एमएलडी (मिलियन लीटर रोजाना) का ट्रीटमेंट होता है। कुंभ मेले की वजह से सामान्य दिनों के मुकाबले ये मात्र तीन एमएलडी अतिरिक्त हो जाती है। सारा सीवेज ट्रांसपोर्टेशन के जरिये प्लांट तक लाया जाता है।

महाप्रबंधक अग्रवाल ने बताया कि सीवेज के अलावा कुल 46 नालों के पानी का ट्रीटमेंट किया जाता है। इनमें से छह नालों का मॉड्युलर ट्रीटमेंट नीरी (नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिग रिसर्च इंस्टीट्यूट) के जिम्मे है। चार नालों का एनपीसीसी और पांच नालों का दायित्व गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के पास है। बाकी नालों का बायोरेमेडिएशन यानी जैविक उपचार किया जाता है।

मॉड्युलर ट्रीटमेंट की इस तकनीक में जियो ट्यूब का प्रयोग का किया जाता है। जियो ट्यूब की खूबी ये है कि नाले के ठोस कचरे को छान लेता है। यानी पानी इतना साफ हो जाता है कि प्रवाहित होकर गिरे तो नदी के पानी की स्वच्छता पर कोई असर न हो।

अधिकारियों के मुताबिक बायोरेमेडिएशन ट्रीटमेंट की प्रक्रिया में एक्टिवेटेड माइक्रोब्स पानी को गंदा करने वाले तत्वों को खा लेते हैं। सीवेज ट्रीटमेंट में ये बैक्टीरिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके जरिए भारी धातु और जहरीले केमिकल कम हो जाते हैं।

बता दें कि इस बार कुंभ का थीम ‘स्वच्छ कुंभ, सुरक्षित कुंभ रखा गया है। इस थीम के माध्यम से भारत दुनिया को स्वच्छता और सुरक्षा का संदेश दे रहा है। इस कुंभ में 1 लाख 22 हजार इको-फ्रेंडली शौचालय स्थापित किए गए हैं, 40000 से ज्यादा स्ट्रीट लाइट भी लगाई गई हैं।

इसके अलावा प्रयागराज शहर में सुरक्षा के लिहाज से कुंभ के लिए प्रदेश सरकार की ओर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। अधिकारियों के अनुसार इस मेले में देश और दुनिया से बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं। पर्यटकों की सुविधा को देखते हुए रेलवे प्रशासन की ओर से कई स्पेशल ट्रेनें भी चलाई गई हैं। यही नहीं, उत्तर प्रदेश रोडवेज की ओर से विशेष कुंभ बसें भी चलाई गई हैं, जो अलग-अलग शहरों से लोगों को प्रयागराज तक पहुंचाएंगी।

इस तरह से तकनीकि और दृढ़ इच्छा शक्ति से प्रशासन ने कुंभ मेला क्षेत्र की इस चुनौती को बेहद गंभीरता से लेते हुए इस चुनौती को बखूबी निभाया है। यही कारण है कि इतनी बड़ी जनसंख्या को एक छोटे से क्षेत्र में निवास करने के बावजूद सफाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य जैसे सुविधाएं एकदम चुस्त दुरुस्त हैं। जो भी यहां आ रहा है, वह प्रशासन और योगी सरकार की तारीफ करते हुए लौट रहा है।

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