बाला साहब के रोल में खूब जंचे नवाजुद्दीन, पहले दिन ही ‘ठाकरे’ ने बॉक्स ऑफिस पर मचाया धमाल

ठाकरे सिद्दीकी बायोपिक

PC: Sanjeevni Today

अपने प्रशंसकों का इंतराज खत्म करते हुए बाला साहब ठाकरे की बायोपिक ‘ठाकरे’ आज रिलीज हो गई। अभिजीत पनसे के निर्देशन में बनी इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अभिनय ने दर्शकों को उनका लोहा मानने को मजबूर कर दिया है। सिद्दीकी ने इस बायोपिक में बाला साहब ठाकरे के व्यक्तित्व के साथ पूरा-पूरा न्याय किया है। यही कारण है कि, इस बायोपिक ने दर्शकों का दिल जीत लिया है और यह बॉक्स ऑफिस पर शेर की तरह दहाड़ रही है। बायोपिक में महाराष्ट्र के अभूतपूर्व कद्दावर नेता बाल ठाकरे की जीवन कहानी को बड़े ही शानदार तरीके से दर्शाया गया है।

बता दें कि बाल ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति के एक कद्दावर नेता थे। पूरा महाराष्ट्र उनके एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार था। बाला साहेब ठाकरे ने महाराष्ट्र में राजनीतिक पार्टी शिव सेना का गठन किया था। महाराष्ट्र में बाला साहेब की तूती हर पार्टी में बोलती थी। कहा जाता है कि किसी भी पार्टी का कोई भी नेता मुंबई जाने पर बिना उनसे मिले नहीं लौटता था। सीधे कहूं तो बाला साहेब के यहां हाजिरी देना उसके लिए अनिवार्य था।
अभिजीत पानसे के निर्देशन में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने इस फिल्म में खुद को बाबा साहेब के किरदार को बखूबी जिया है। यह फिल्म पूरी तरह से बाल ठाकरे को समर्पित एक श्रद्धांजलि है।

‘ठाकरे’ की कहानी शिव सेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे के बारे में है। बाला साहेब का उदय महाराष्ट्र के राजनीतिक पटल पर 60 और 70 के दशक में हुआ था। फिल्म में उन्हें दक्षिण भारतीय और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दिखाया गया है। फिल्म में 1993 के मुंबई धमाकों से जुड़े दृश्यों को भी दिखाया गया है। इसमें बाला साहेब की एक लंबे कानूनी लड़ाई को दिखाया है।
इस फिल्म में मजेदार बात यह है कि इसमें अभिनय नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने किया। सिद्दिकी खुद भी मुसलमान समुदाय से आते हैं। इसके बावजूद उन्होंने इस किरदार को पूरी तन्मयता से अपने अंदर उतारा जिससे मुसलमान कांपते थे। इस फिल्म में एक और रोचक बात यह है कि यह फिल्म सुबह के 4.15 बजे रिलीज हुई। माना जा रहा है कि भारत में फिल्मों के इतिहास में यह पहली बार है, जब कोई फिल्म इतनी सुबह रिलीज हुई।

बता दें कि बाला साहेब ठाकरे महाराष्ट्र के एक कट्टर नेता थे। वो मराठा राजनीति, बाबरी विध्वंस, मुंबई दंगे, दक्षिण भारतीयों पर हमला, वैलेंटाइन डे का विरोध, यूपी-बिहार के लोगों का महाराष्ट्र में विरोध, पाकिस्तान के खिलाफ उनकी सोच जैसी तमाम बातों को लेकर विवादों में रहे थे।

फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि किस तरह से इन तमाम आरोपों के बाद भी बाला साहेब ठाकरे इतने बड़े जनसमुदाय के प्रिय नेता बने रहे। ये फिल्म पूरी तरह से इसी के इर्द गिर्द घूमती है। दर्शकों ने तारीफ करते हुए कहा कि फिल्म बहुत शानदार थी। हालांकि इसे करीब से जानने के लिए आपको सिनेमाघरों तक आना होगा।

इस फिल्म के रिलीज होने से दर्शकों को अतीत में हुई घटनाएं, आतंकी हमलों समेत तमाम त्रासदियों के बारे में जानकारी हुई। इस फिल्म से दर्शकों को पता चला कि आखिर क्यों बाला साहेब जैसे व्यक्तित्व का उदय हुआ। शायद यही कारण है कि विपक्षी दलों को यह फिल्म रास नहीं आ रही है। क्योंकि उन्हें पता है कि अतीत की त्रासदी देखकर लोगों का रुझान देशभक्ति की ओर होगा जिससे भाजपा को फायदा होगा।

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