‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के रिलीज़ से बौखलाए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर किया हंगामा, जलाए पुतले

कांग्रेस द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर प्रदर्शन

PC: prabhatkhabar

फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ 11 जनवरी को रिलीज़ हो गयी। इस फिल्म को देखने के लिए लोगों की भीड़ सिनेमा घरों में भी खूब देखने को मिली। फिल्म के रिलीज़ के दौरान कोई हंगामा या हिंसा न हो इसके लिए सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद कांग्रेस यूथ विंग ने दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब व छत्तीसगढ़ में तोड़फोड़ व हंगामा किया। इस हंगामे की वजह से कई जगहों पर फिल्म के प्रदर्शन को बीच में ही रोक दिया गया तो कहीं अगला शो नहीं दिखाया गया।

 सेंट्रल कोलकाता के चांदनी चौक इलाके के हिंद सिनेमा में तो फिल्म को रिलीज़ के कुछ देर बाद रोक दिया गया। यही नहीं इस दौरान  युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने फिल्म के निर्माताओं और अभिनेताओं के खिलाफ न सिर्फ नारेबाजी की बल्कि उनके पोस्टर भी जलाए।  एक सिनेमा हॉल की स्क्रीन तक फाड़ दी गई। कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मामले की जानकारी देते हुए कहा, “सुरक्षा कारणों के चलते ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ की दोपहर की स्क्रीनिंग रद्द कर दी गई, क्योंकि हॉल के बाहर एक समूह द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा था।”

मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में भी इस फिल्म को लेकर खूब हंगामा देखा गया। इंदौर में भारतीय जनता पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं और पुलिस में मल्टीप्लेक्स में फिल्म न देखने की इजाजत देने को लेकर बहस भी हो गयी। पंजाब में तो कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं ने एक मॉल को घेर लिया और अनुपम खेर का पुतला भी फूँका। इसके अलावा पंजाब के कई और जगहों पर भारी विरोध प्रदर्शन भी देखा गया। वहीं, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय पर एनएसयूआइ ने फिल्म का विरोध किया।

दरअसल, ये फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह पर लिखी गई किताब द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर पर आधारित है जिसे संजय बारू ने लिखा था। संजय बारू 2004 से 2008 के बीच प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार थे। इसी किताब के आधार पर बनी इस फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के विवादित कार्यकाल को दिखाया गया है। उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री यूपीए 1 और 2 का नेतृत्व किया था। उनका कार्यकाल भ्रष्टाचार और कई मामलों को लेकर चर्चा में रहा था। कहा जाता था कि प्रधानमंत्री तो डॉक्टर मनमोहन सिंह थे लेकिन वो सिर्फ नाम के थे क्योंकि सभी बड़े फैसले सोनिया गांधी लिया करती थीं। या यूं कहें पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र रहा था। क्या बोलना है और क्या फैसला करना है ये सब वही तय करती थीं। कुल मिलाकर एक परिवार ने दस सालों तक देश को बंधक बनाकर रखा था। डॉक्टर मनमोहन सिंह सिर्फ इसलिए प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे क्योंकि गांधी परिवार का उत्तराधिकारी अभी तैयार नहीं था। मतलब एक परिवार ने पार्टी और देश पर अपनी कमान को कायम रखने के लिए डॉक्टर मनमोहन सिंह को सत्ता थमाई थी। ये फिल्म 11 जनवरी को रिलीज़ हो रही है और रिलीज़ के बाद कई खुलासे जनता के सामने आने वाले हैं। जब फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ था तभी से इस फिल्म के हर सीन और डायलॉग को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा में था। फिल्म में अनुपम खेर पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह की भूमिका में हैं। वहीं अक्षय खन्ना संजय बारू की भूमिका में हैं। सोनिया गांधी की भूमिका में अभिनेत्री सुजैन बर्नट हैं। सभी ने फिल्म में बेहतरीन अभिनय किया है। फिल्म को देखकर ऐसा लगता है जैसे संजय बारू की किताब में लिखी हर बात को कलाकारों ने पर्दे पर उतारने की पूरी कोशिश की है। जब इस फिल्म के ट्रेलर के रिलीज़ होने के बाद फिल्म को लेकर कांग्रेस पार्टी आपत्ति जताई थी। यही नहीं पत्र लिखकर धमकी भी दी थी।

अब जब फिल्म 11 जनवरी को रिलीज़ हो गयी है तो कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा काटा। अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वास्तव में कांग्रेस पार्टी का अभिव्यक्ति की आजादी और भाषण को दबाने का इतिहास काफी लंबा रहा है। हमेशा से इस पारिवारिक पार्टी ने सिर्फ परिवार का हित देखा है और देश में भ्रष्टाचार और हिंसा को बढ़ावा दिया है। किसी भी सच्ची घटना को पर्दे पर उतारा जाता है तो कांग्रेस उसे प्रदर्शित होने से रोकती है खासकर तब जब मुद्दा कांग्रेस पार्टी से जुड़ा है। अब कांग्रेस पार्टी फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर के रिलीज़ को लेकर विरोध कर रही है जिसमें किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए

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