उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार को विपक्षी कितना भी बदनाम करने का प्रयास करें, लेकिन सच तो सच ही रहता है। ताजा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि जब से योगी आदित्यनाथ ने सूबे की बागडोर संभाली है, उत्तर प्रदेश में अपराध का ग्राफ तेजी से गिरा है। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने भी इस बात की पुष्टि भी कर दी है कि प्रदेश में अपराध का ग्राफ तेजी से गिरा है। पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने कहा है कि, ‘पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल के मुकाबले मौजूदा सरकार के समय अपराध कम हुए हैं।‘ सिंह ने बताया कि पुलिस के आंकड़े के अनुसार अब डायल-100 पर भी कम मामले दर्ज हो रहे हैं। ओपी सिंह ने गुरुवार को सिद्धार्थनगर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि सभी मामले दर्ज किये जा रहे हैं और कुल मिलाकर राज्य में पूर्व की सरकारों के कार्यकाल के मुकाबले मौजूदा समय में अपराध कम हुए हैं। वहीं दूसरी ओर उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि योगी सरकार आई है, राज्य में हुए ताबतोड़ एनकाउंटर के कारण वो विपक्ष के निशाने पर ही रही लेकिन, अपराध में गिरावट कहीं न कहीं एनकाउंटर को लेकर अपराधियों में व्याप्त डर ही है।
पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने इसकी पुष्टि के लिए बाकायदे आंकड़े भी उपलब्ध कराए। आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में राज्य में बलात्कार के 4272 मामले सामने आए थे जो घटकर साल 2018 में 3946 हो गये। इसी तरह जहां साल 2017 में प्रदेश में हत्या के 4324 मामले हुए तो वहीं साल 2018 में ये संख्या 4018 रही।
इसके अलावा साल 2017 में डकैती के 251 मामले दर्ज हुए थे जबकि साल 2018 में इसमें 42.63% की गिरावट हुई और इस अवधि में 144 मामले ही दर्ज हुए। इसके अलावा लूट के मामलों में भी 22.1% की कमी आई।
फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में भी साल 2017 के मुकाबले 2018 में 30.43% की कमी आई। इसके अलावा राहजनी, दहेज हत्या, हिंसक टकराव आदि की वारदातें भी कम हुई हैं।
हालांकि इस दौरान थानों में दर्ज मुकदमों की संख्या में 10.15% की बढ़ोतरी हुई है। साल 2017 में जहां 3,10,810 मुकदमे दर्ज हुए थे, वहीं साल 2018 में यह आंकड़ा 3,42,355 रहा। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि योगी सरकार में उत्तर प्रदेश पुलिस पर जनता का विश्वास बढ़ा है। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में बलात्कार, हत्या, अपहरण और लूट की घटनाओं में जनवरी से दिसंबर 2017 के मुकाबले वर्ष 2018 में तेजी से गिरावट आई है।
पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने मीडिया को बताया कि, “साइबर अपराध नियंत्रित करने के लिए पुलिस आईआईटी कानपुर और बिटस पिलानी जैसे संस्थानों की मदद ले रही है।“
ओपी सिंह ने आगे बताया कि पुलिस ने एक एप्प भी लांच किया है। उन्होंने बताया कि इसके जरिए प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है। सप्ताह भर में 50 हजार लोगों ने इस एप्प को डाउनलोड किया है।” इसका मतलब ये है कि उत्तर प्रदेश पुलिस अब डिजिटल दुनिया से जुड़ रही है। इससे आम जनता को शिकायत दर्ज करवाना और पुलिस के लिए काम करना आसान हो गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के कामों की सराहना करते हुए डीजी ने बताया कि ऑपरेशन मुस्कान के तहत हो रही कार्रवाई के कारण लापता बच्चे सकुशल वापस अपने घर पहुंच पा रहे हैं। उसके अलावा आत्मरक्षा से जुड़े अभियान के तहत महिलाओं को मजबूत किया जा रहा है। सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा ‘आपरेशन डेस्ट्राय’ के तहत अश्लील साहित्य को नष्ट किया गया है।
पुलिस महानिदेशक ने उत्तर प्रदेश पुलिस के कामकाज की तारीफ करते हुए बताया कि आने वाले समय में पुलिसिंग प्रौद्योगिकी और क्षमता पर आधारित होगी। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि पुलिस में जनता का भरोसा बढ़ा है। अपराधियों में पुलिस का खौफ बढ़ा है। पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने तो यहां तक बताया कि पुलिस को पूरी तरह से राजनैतिक दबाव से मुक्त कर दिया गया है। जिसके कारण पुलिस मुक्त होकर काम कर पा रही है और राज्य में अपराध का ग्राफ गिरा है। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि विपक्षी योगी सरकार को बदनाम करने के लिए कितना भी शोर मचा लें, लेकिन वास्तविकता तो यह है कि राज्य में अपराध का ग्राफ तेजी से गिर रहा है।