अटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण के खिलाफ दायर की अवमानना याचिका

अटॉर्नी जनरल सुप्रीम कोर्ट प्रशांत भूषण

PC: wikipedia

बुरहान वानी जैसे देशद्रोहियों की वकालत करने वाले आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और वकील प्रशांत भूषण अब एक नए विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं। उन पर अदालत की अवमानना की अर्जी लगाई गई है। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सीबीआई के अंतरिम प्रमुख एम नागेश्वर राव की नियुक्ति पर प्रशांत भूषण के हाल के बयानों से कोर्ट को कथित रूप से घसीटे जाने को लेकर उनके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अदालत की अवमानना की अर्जी लगाई है। इन बयानों में प्रशांत भूषण ने अदालत पर भी तंज कसा था।

यह अवमानना की याचिका भूषण के 4 दिन पहले के बयानों (ट्वीट्स) को आधार बनाकर दायर हुई है। भूषण ने एक फरवरी को ट्वीट कर कथित रूप से कहा था कि, ऐसा जान पड़ता है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, शायद प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक का फर्जी विवरण प्रस्तुत किया गया।

अटॉर्नी जनरल ने अपनी याचिका में कहा कि प्रशांत भूषण ने जान-बूझकर अटार्नी जनरल की ईमानदारी पर सवाल खड़े किये हैं। बता दें कि अटार्नी जनरल ने ही एक फरवरी को सुनवाई के समय सुप्रीम कोर्ट में उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक का ब्योरा दिया था। याचिका में वेणुगोपाल ने कहा कि प्रशांत भूषण के हाल के बयानों से कोर्ट को कथित रूप से घसीटा जा रहा था, जिस कारण कोर्ट की अवमानना हो रही थी।

गौरतलब है कि, सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ के सामने सीलबंद लिफाफे में चयन समिति की बैठक का ब्योरा रखा था। यह सुनवाई नए सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति के लिए पिछले महीने आयोजित हुई थी। वेणुगोपाल ने यहां बताया था कि केंद्र सरकार ने एम नागेश्वर राव को अंतरिम सीबीआई निदेशक नियुक्त करने के लिए चयन समिति की अनुमति ली थी। बता दें कि, चयन समिति में स्वयं प्रधानमंत्री, सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश होते हैं। बता दें कि शीर्ष अदालत आईपीएस अधिकारी राव को अंतरिम सीबीआई निदेशक नियुक्त किये जाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका की सुनवाई कर रही थी।

ये सभी तथ्य इस बात की ओर इशारा करते हैं कि प्रशांत भूषण ने सरकार, अटॉर्नी जनरल, सुप्रीम कोर्ट और यहां तक ​​कि खुद प्रधानमंत्री का कद भी खराब कर करने की कोशिश की है।

बता दें कि, ये वही प्रशांत भूषण हैं जिन्होंने बुरहान वानी के एनकाउंटर पर सवाल उठाए थे। आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता एवं वकील प्रशांत भूषण ने कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इसको लेकर कई लोगों को संदेह है। भूषण ने कहा था, “यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह कोई फर्जी मुठभेड़ है। कई लोगों को इसको लेकर संदेह है।’ उन्होंने कहा कि वानी की पृष्ठभूमि की जांच किए जाने की जरूरत है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह क्यों आतंकवादी बना। ऐसे और भी कई मामले हैं जिनमें भूषण विवादों में घिरे रहे हैं। इस बार प्रशांत भूषण ने जो बयानबाजी की है उससे तो उनके करियर पर ही संकट आ गया है। कोर्ट की अवमानना को लेकर उन पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

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