उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से झटका मिलने के बाद अब कांग्रेस पार्टी को बिहार में भी बड़ा झटका लगा है। यहां राजद ने भी कांग्रेस के साथ कुछ ऐसा ही किया है जैसा उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा ने किया है। बुधवार को राजद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से राजद 20 से 22 सीटों लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। इसपर वरिष्ठ नेता ने ये भी कहा कि चूंकि प्रदेश में पार्टी का जनाधार व्यापक है इसलिए पार्टी इतना डिजर्व करती है।
इस दावे के बाद से कांग्रेस जो बिहार में ‘फ्रंटफूट’ से चुनाव लड़ने की रणनीति बना रही थी उसपर पानी फिर सकता है। कांग्रेस इस राज्य में 15 सीटों से चुनाव लड़ने का दावा कर रही थी जो अब पूरा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। बिहार में राजद के समर्थकों का हवाला देते हुए राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि राजद का व्यापक जनाधार है इसीलिए पार्टी 20 से 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हम राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत भी दर्ज करेंगे। राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे के इस बयान से कांग्रेस को यूपी के बाद बिहार में भी बड़ा झटका लग सकता है जो फ्रंटफूट से खेलने की रणनीति बना रही थी।
महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात करते हुए पूर्वे ने आगे कहा कि अभी सीट शेयरिंग पर आखिरी फैसला आना बाकी है। उन्होंने आगे कहा, ‘गठबंधन की तमाम पार्टियों के नेताओं ने बातचीत चल रही है और सबकी सहमति से ही सीटों का बंटवारा तय होगा। हमारे पार्टी अध्यक्ष लालू जी के मार्गदर्शन और हमारे नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जो भी फैसला होगा वो जल्द सबके सामने होगा।‘
बिहार में राजद के सहयोगियों की बात करें तो कांग्रेस समेत जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), भाकपा, उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) हैं जो बिहार में मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें राजद ने सिर्फ 4 सीटें ही जीती थीं जबकि कांग्रेस सिर्फ 2 सीटें ही जीत पाई थी। वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए के घटक दल ने 31 सीटें जीतीं थीं जबकि अकेले बीजेपी ने 22 सीटें जीती थीं।
ऐसे में अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद कम से कम 20 सीटों पर भी चुनाव लड़ेगी तो कांग्रेस के हिस्से में महज 10 सीटें ही आ सकेंगी। वहीं, उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी को 4, जीतन राम मांझी की पार्टी को 2, भाकपा को 2, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और शरद यादव की पार्टी को 1-1 सीटें मिल सकेंगी। इससे पहले तेजस्वी यादव भी ये स्नाकेट दे चुके हैं कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में 20-22 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इससे पहले तेजस्वी यादव ने भी 20 सीटों पर लड़ने का इशारा किया था।
अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस की योजना को बड़ा झटका लग सकता है जो बीजेपी, सपा और बसपा के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की योजना बना रही है। पहले ही उत्तर प्रदेश में इस पार्टी को झटका लग चुका है अब बिहार में भी इसके लिए अच्छे संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। सपा-बसपा गठबंधन ने पहले ही आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 75 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं और बाकि सीटें अन्य सहयोगियों के लिए छोड़ दी हैं। यहां दोनों ही पार्टियों ने कांग्रेस को दरकिनार कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शायद बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन में कांग्रेस पार्टी के लिए कोई जगह नहीं है। हाल ही में जिस तरह के हालात नजर आ रहे हैं वो भी सी ओर इशारा कर रहे हैं। यहां तक कि क्षेत्रीय पार्टियां तक कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहती हैं और अगर साथ भी होती हैं तो उनकी कुछ शर्तें हैं। उत्तर प्रदेश के बाद अब ऐसा लग रहा है कि बिहार में भी कांग्रेस का बंटाधार होने वाला है।