भारत का रक्षा बजट पाकिस्तान के कुल बजट से कहीं ज्यादा

रक्षा बजट पाकिस्तान

PC: Jagran

मोदी सरकार ने अपना पांचवा और चुनाव से पहले का आखिरी बजट पेश कर दिया है। इस बज़ट में मोदी सरकार ने जनता को एक से बढ़कर एक सौगातें दीं। बज़ट में मोदी सरकार ने वैसे तो हर वर्ग का ख्याल रखा है लेकिन इसमें जरूरतमंदों और मध्यमवर्ग के लिए विशेष राहत दिये गये हैं। इस बजट में एक रोचक बात यह भी है कि भारत का अकेले रक्षा बज़ट ही पाकिस्तान के पूरे बजट से भी ज्यादा है। यह पहली बार है, जब देश का रक्षा बजट बढ़कर 3 लाख करोड़ पहुंच गया है। इससे पहले साल 2017-18 वाले बज़ट में यह 2,95,511.41 करोड़ रुपये था। इसके अलावा मोदी सरकार ने 2014 में वन-रैंक-वन-पेंशन के लिए किये गये वादे को भी पूरा किया है। मोदी सरकार पहले से ही इसके लिए 35,000 करोड़ रुपये दे चुकी है।     

इस बजट में सबसे मजेदार बात ये है भारत का रक्षा बज़ट पाकिस्तान कुल बजट से भी ज्यादा है। साल 2018-19 के लिए पाकिस्तान का कुल बजट 4.75 लाख करोड़ है। अगर इसे हम भारतीय रुपये में बदलें तो यह 2.41 करोड़ रुपये होता है। जबकि भारत का अकेले रक्षा बजट ही 3 लाख करोड़ है। यानी अगर हम प्रतिशत में कहें तो भारत का रक्षा बजट ही पाकिस्तान के कुल बजट से लगभग 20 प्रतिशत ज्यादा है। आलम यह है कि पाकिस्तान के पास इतना बज़ट ही नहीं है कि वह भारत के साथ कोई प्रत्स्पर्धा कर पाए। पाकिस्तान एक गरीब देश होने के साथ लोकतांत्रिक पैमाने पर असफल देश रहा है। 

मोदी सरकार के आने से भारत की रक्षा से जुड़ी संस्थाएं तेजी से बढ़ रही हैं। देश की डिफेंस इंडस्ट्री को और गति देने के लिए मोदी सरकार ने कई नीतियां लागू की हैं। यहां तक कि भारत सरकार ने एक नया डिफेंस प्रोक्योर मीन्ट पॉलिसी (डीपीपी) की शुरुआत की है। यह 2016 से सक्रिय रूप से काम कर रहा है। इसके कारण से रक्षा के क्षेत्र में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट भी तेजी से बढ़ा है। मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले यह मात्र 26 प्रतिशत था जो अब बढ़कर 49 प्रतिशत हो गया है। हालांकि 2015-16 में एफडीआई केवल 56 लाख रुपये ही था जिसके कारण सरकार को एफडीआ को मंजूरी देनी पड़ी।

इससे पहले देश को जब मुलायम सिंह जैसा जातिवादी रक्षामंत्री मिला था तो उस समय रक्षा के क्षेत्र में भारत को कुछ खास बढ़ोत्तरी देखने को नहीं मिली थी। आज मोदी सरकार की अगुवाई में देश को निर्मला सीतारमण जैसी रक्षामंत्री मिली है। डीएसी ने भारतीय सेना के मुख्य युद्ध टैंक अर्जुन के लिए बख्तरबंद वसूली वाहन की खरीद को भी मंजूरी दी जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन  द्वारा डिजाइन और विकसित किए गए हैं और बीईएमएल द्वारा निर्मित किए जाएंगे। इससे पहले अक्टूबर में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने नौसेना के लिए चार P 1135.6 युद्धपोतों की खरीद को मंजूरी दी थी। इस तरह से निर्मला सीतारामण हर स्तर पर देश की सेना और उसके लिए बजट समेत तमाम योजनाओं में तमाम सुधार करके देश की सेना को विश्वस्तरीय बनाने में लगी हैं।  

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