दूसरा कैराना बन रहा दिल्ली का यह इलाका, हिंदुओं ने घरों के बाहर लगाए ‘मकान बिकाऊ हैं’ के पोस्टर

पलायन हिंदू मकान दिल्ली

PC : Epostmortem

कैराना का नाम तो आपने सुना ही होगा। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में स्थित वही कैराना, जहां पर साल 2013 में हिंदुओं ने बड़ी संख्या में पलायन किया था। यहां सांप्रदायिक दंगों के बाद हिंदुओं ने अपनी सुरक्षा के लिए पलायन का रास्ता अपनाया था। आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि वही कैराना जैसे हालात देश की राजधानी दिल्ली में भी पैदा हो गए हैं।

दिल्ली के सराय रोहिल्ला में स्थित तुलसीनगर अब दूसरा कैराना बनने जा रहा है। यहां कई हिंदू घरों के बाहर ‘बिकाऊ’ के पोस्टर चस्पा किये हुए हैं। हिंदुओं के घरों के बाहर जो पोस्टर चस्पा हैं उसमें लिखा हुआ है, “ये मकान बिकाऊ है। दिल्ली पुलिस हमें सुरक्षा देने में असमर्थ है। हम पर मकान बेचने का दबाव बनाया जा रहा है।”

मीडिया खबरों के अनसार, तुलसी नगर में कुल जनसंख्या में से सिर्फ 5 से 10 पर्सेंट जनसंख्या ही हिंदुओं की है। यहां हिंदुओं का आरोप है कि, आए दिन समुदाय विशेष के लोग उन्हें धमकाते रहते हैं। इन लोगों का कहना है कि, बार-बार पुलिस में शिकायत करने के बाद भी दिल्ली पुलिस उन्हें कोई सुरक्षा प्रदान नहीं कर रही है।

एक हिंदी टीवी चैनल ने इस मामले की लोकल रिपोर्टिंग भी की है। इसमें बताया गया है कि, लोगों ने घरों में ताले लगा रखे हैं और घर के बाहर बिकाऊ के पोस्टर लगाए हुए हैं। वीडियो में टीवी रिपोर्टर जहां से रिपोर्टिंग कर रहा है उसी के पास एक मस्जिद भी स्थित है। मस्जिद से सटे हुए मकान पर भी ताला और पोस्टर लगा हुआ है। खबरों के अनुसार दर्जन भर मकानों के बाहर बिकाऊ के पोस्टर चस्पा हैं जो कि वाकई डराने वाला है। अब सवाल यह है कि आखिर राष्ट्रीय राजधानी में आखिर यह कैसा माहोल पनप रहा है जहां से हिंदू पलायन करने का मजबूर हैं।

बता दें कि, यह कोई पहली बार नहीं है जब दिल्ली से हिंदुओं के पलायन की खबर आई हो। इससे पहले भी दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में स्थित ब्रह्मपुरी इलाके से लोगों के पलायन की खबरें आई थीं। यहां भी लोगों ने अपने घरों के बाहर यह मकान बिकाऊ है लिखना शुरू कर दिया था। हिंदू और मुसलमानों के बीच यहां व्याप्त सांप्रदायिक तनाव के चलते लोगों ने अपने घरों के बाहर ‘घर बिकाऊ है’ का बोर्ड लगाना शुरु कर दिया था। यहां विवाद एक मकान को मस्जिद में तब्दील करने की प्रक्रिया को लेकर शुरू हुआ था।

इस कारण गली में पुलिस फोर्स की भी तैनाती की गई थी। स्थानीय लोगों ने बताया था कि, यहां हिन्दू परिवार के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसीलिए लोगों ने यहां अपने घरों के बाहर मकान के बिकाऊ होने की प्लेट लगाई थी।

दरअसल, यहां एक प्लस्टिक की फैक्ट्री चल रही थी, फैक्ट्री बंद होने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग उसे मस्ज़िद बनाने लगे और वहां नमाज़ होने लगी जिसका लोगों ने विरोध किया था। ये बात जब पुलिस तक पहुंची तो फैक्ट्री को ताला लगा दिया गया था लेकिन ताला फिर खुल गया और फिर नमाज़ शुरू हो गई व लाऊड स्पीकर भी बजने लगे। हिन्दू परिवारों का कहना था कि, जुम्मे के दिन वहां बाहर से बहुत ज्यादा संख्या में लोग आते हैं और गली में ही नमाज़ पढ़ते हैं। लोगों का आरोप था कि वहां आए दिन झगड़े होते हैं इसलिए तंग आकर मकान बेचकर जाना पड़ रहा है।

हिंदुओं के पलायन की खबरें देश भर से समय-समय पर आती रही हैं। पिछले साल पश्चिम बंगाल में एक हिंदू त्योहार के दौरान सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। यहां मालदा, दक्षिण 24 परगना और आसनसोल जिलों में दंगे भड़के थे जिसमें कई लोगों की जान गई थी। उसके बाद आसनसोल जिले से हिंदुओं की आबादी पलायन करने लगी थी। कश्मीर के हालात तो किसी से भी छुपे नहीं है।

यही कारण है कि, विश्व हिंदू परिषद देश भर में अपने मूल स्थानों से ‘जबरन पलायन’ करने वाले हिंदुओं को लेकर सर्वे करा रही है। वीएचपी के इस अभियान का नाम ‘पलायन नहीं, पराक्रम’ है। विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि ये अभियान हिंदुओं को ऐसे संगठनों के खिलाफ सशक्त बनाने के लिए शुरू किया गया है जिनकी वजह से उन्हें अपने मूल स्थानों को छोड़ना पड़ा। कैराना की घटना के बाद वीएचपी 17 राज्यों में ऐसा सर्वे कर रही है।

दिल्ली में इस तरह की घटनाएं चौंकाती हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी में लोगों को असुरक्षा के कारण पलायन करना पड़े यह एक बड़ी विडंबना है। आज सूचना तकनीकि बहुत तेजी से बढ़ी है लेकिन इसके बावजूद लुटियंस मीडिया को अब तक दिल्ली के तुलसीनगर में रहने वाले हिंदुओं की पीड़ा नजर नहीं आई। ये वही मीडिया है जो सीरिया और बाग्लादेश के लोगों के पलायन करने पर खूब मातम मनाती है लेकिन जब देश की राजधानी में हिंदू पलायन करने पर मजबूर हैं तो उसने चुप्पी साध रखी है।

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