जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हुए बड़े फिदायिन हमले के बाद से ही देश की रक्षा एजेंसियां और सरकार बड़े फैसले लेती दिख रही है। मोदी सरकार का कहना है कि आतंकियों ने बड़ी गलती कर दी है और उन्हें सबक सिखाया जाएगा। इसी कड़ी में सरकार ने कल सुरक्षाबलों को पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान कर दी थी। अब आज सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि, सरकार ने घाटी में रह रहे अलगाववादियों और हुर्रियत नेताओं को दी जा रही सुरक्षा हटाने के निर्देश दिये हैं। बताया जा रहा है कि, ये निर्देश रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी किये गए हैं। इसमें कहा गया है कि, जम्मू और कश्मीर में रह रहे हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा हटा दी जाए।
Big: Govt Sources confirm that security given to all Hurriyat separatists in Kashmir will be withdrawn in the next 48 hours. Orders for the same have been given. Fallout of the Pulwama terror attack. More details likely soon.
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) February 15, 2019
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शुक्रवार शाम को ही इस बात के संकेत दे दिये थे। उन्होंने कहा था कि, ‘जम्मू कश्मीर में कुछ लोग हैं जिन्हें पाकिस्तान और आईएसआई से फंड मिलता है। मैं अधिकारियों से कहूंगा कि उनको दी गई सुरक्षा की समीक्षा की जाए।’ उनके इस बयान के बाद से ही इस बात के आसार लग रहे थे कि, सरकार हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा हटा सकती है। अब सूत्रों के अनुसार सरकार ने इसके लिए निर्देश भी दे दिये हैं।
HM Rajnath Singh in Srinagar: There are some elements here who take money from Pakistan and ISI. I have told the officers that the security provided to such people should be reviewed. #PulwamaAttack https://t.co/6x1wB45uGJ
— ANI (@ANI) February 15, 2019
गौरतलब है कि, कश्मीर में ऐसे कई हुर्रियत नेता हैं जो घाटि के युवाओं के दिमाग में जहर घोलने का काम करते हैं। ये लोग भारत में रहकर ही भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करते हैं। यह विडंबना ही है कि ऐसे अलगाववादियों और हुर्रियत नेताओं को भारत सरकार से कई सारी सुविधाएं मिलती हैं। जम्मू कश्मीर की विधानसभा में 1 अप्रैल 2015 को पेश हुई एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने अगलाववादी नेताओं समेत कश्मीर में कुल 1472 राजनीतिक नेताओं व कार्यकर्ताओं को सुरक्षा दे रखी है। इस सुरक्षा में सरकार ने 506.75 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। राजनीतिक कार्यकर्ता के नाम पर इन लोगों को सुरक्षा दी जा रही है। सरकार इन लोगों के लिए सुरक्षा गार्ड, गाड़ियों के डीजल और होटल में ठहराने के प्रबंध आदी पर खर्च करती है। इन्ही सब सुविधाओं के कारण ही ये लोग कश्मीर में ऐश करते आ रहे हैं। सरकार द्वारा ये सुविधाएं वापस लेने से कश्मीर के इन अलगाववादियों को बड़ा झटका लगा है।
Big: Security given to all Hurriyat separatists in Kashmir to be withdrawn forthwith.
— We, the people of India (@India_Policy) February 15, 2019
गौरतलब है कि, जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को अब तक का सबसे बड़ा फिदायिन हमला हुआ। आतंकियों ने बेहद कायराना तरीके से विस्फोटक से भरी गाड़ी को सेना के वाहन पर दे मारा। इस हमले में इस्तेमाल किया गया विस्फोटक इतना शक्तिशाली था कि उसकी आवाज 10-12 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। यहां तक कि पुलवामा से जुड़े श्रीनगर के कुछ इलाकों तक भी यह धमाका सुनाई दिया। तबाही का ऐसा खौफनाक मंजर देख स्थानीय निवासियों का दिल दहल गया था। हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। इस हमले में देश के 44 जवान शहीद हो गए हैं। इस घटना के बाद से ही भारत सरकार कड़े कदम उठा रही है।
सुरक्षाबलों को दी पूरी छूट
मोदी सरकार ने कल ही सुरक्षाबलों को पूर्ण स्वतंत्रता दे दी थी ताकी वे कश्मीर में रह रहे आतंकियों और पाकिस्तान को सबक सिखा सके। सरकार ने सुरक्षाबलों से कहा है कि जवाबी कार्रवाई का समय और स्थान वे स्वयं ही तय करें। पीएम मोदी ने बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि, शहीद जवानों के खून की हर बूंद का बदला लिया जाएगा और आतंकियों को चून-चूनकर मारा जाएगा।
मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा लिया वापस
इस फिदायिन हमले के बाद भारत ने कल पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा भी वापस ले लिया है। इससे अब पाकिस्तान से भारत आने वाली सामग्री पर सीमा शुल्क बढ़ जाएगा। बता दें कि, भारत ने पाकिस्तान को साल 1996 में यह दर्जा दिया था। मोदी सरकार के इस फैसले से पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की स्थिति और बदतर हो जाएगी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घिरा पाकिस्तान
भारत सरकार ने इस हमले के बाद बड़ी तेजी से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की तैयारी की है। इसी कड़ी में विदेश सचिव विजय गोखले ने चीन सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों और 20 अन्य देशों के राजदूतों से बातचीत की है। विदेश सचिव ने इन सब को पुलवामा आतंकवादी हमले में पाकिस्तान की भूमिका से अवगत कराया है। गोखले ने इन राजदूतों से साफ शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान को अपनी धरती से चल रहे आतंकवादी समूहों को हर तरह का सहयोग और वित्तीय मदद तत्काल बंद करनी चाहिए। विदेश सचिव ने राजदूतों को बताया कि पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल उसकी राष्ट्रीय नीति के एक हथियार के रूप में कर रहा है।
इसके बाद अब हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस लेकर सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। आने वाले दिनों में उम्मीद की जा रही है कि, बदले की कार्रवाई करते हुए भारत पाकिस्तान को करारा जवाब देगा।