लोकसभा चुनाव से पहले जनता कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन में दरार  

मायावती अजीत जोगी

PC: newpowergame.com

हम तो डूबेंगे ही सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे। ये कहावत हमें छ्त्तीसगढ़ की पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बयान पर याद आ रहा है, जिसमें उन्होंने छ्त्तीसगढ़ में अपनी पार्टी की करारी शिकस्त के लिए बसपा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। अजीत जोगी का मानना है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की नैया का बुरी तरह डूबने का कारण बसपा प्रमुख मायावती से हाथ मिलाना रहा। वो बसपा को अपनी हार के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं। उनका मानना है कि बसपा से गठबंधन कर लेने की वजह से जनता कांग्रेस पार्टी की छवि सतनामी और जनजाति वर्ग की पार्टी बनकर रह गई जिसके चलते जनता कांग्रेस को सभी वर्गों का वोट नहीं मिल पाया। यही वजह है कि उनकी पार्टी चुनाव में बुरी तरह से शिकस्त खा गई। ये बातें अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस ने समीक्षा बैठक के बाद कही हैं।

इसी बात को लेकर अजीत जोगी की जनता कांग्रेस पार्टी और बसपा के बीच सूबे के नये गठबंधन को लेकर घमासान जारी है। इस जिसके चलते गठबंधन में दरार पड़ती जा रही है। आलम यह है कि दोनों पार्टियां अपनी-अपनी हार का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रही हैं। यहां तक कि अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस ने समीक्षा बैठक में इस बात के पूरे संकेत दे दिये हैं कि वह बसपा जैसी पार्टियों को अपने आसपास भटकने भी नहीं देगी क्योंकि जोगी को लगता है कि इससे उनकी गलत इमेज समाज में जाती है। ​

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले खुद को किंगमेकर के रूप में देख रहे अजीत जोगी के लिए छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में हार बड़ा झटका साबित हुआ। कांग्रेस यहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और बसपा ने मिलकर यहां सिर्फ 7 सीटें जीती थीं। चुनाव से पहले माना जा रहा था कि छातीसगढ़ में हुए त्रिकोणीय मुकाबले जोगी और बसपा के मैदान में आने से कांग्रेस के वोटों में भारी कटौती होगी लेकिन ये गठबंधन ऐसा करने में नाकमयाब रही थी।

बता दें कि इस समय दोनों ही पार्टियों में हार को लेकर समीक्षा मंथन होने के बाद नेता कार्यकर्ता सब, एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ कर खुद को बचा रहे हैं। अजीत जोगी ने पिछले दिनों अपनी पार्टी का श्वेत पत्र जारी किया था और पार्टी ने मंथन किया था।

अजीत जोगी की पार्टी, जनता कांग्रेस ने मंथन के बाद उन 21 बिंदुओं को चिह्नित किया था। बता दें कि कई दिनों से अजीत जोगी की पार्टी में कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच अंतर्कलह निकलकर सामने आ रही है। वहीं दूसरी ओर गठबंधन में दरार दिनों-दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रवक्ता इकबाल रिजवी का कहना है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पूरी मेहनत की, लेकिन ये बात सामने आई है कि गठबंधन के दूसरे दल की वजह से नुकसान हुआ। वहीं दूसरी ओर बसपा के प्रदेश प्रभारी एमएल भारती का कहना है कि हमारी पार्टी के कार्यकर्ता बड़ी ही इमानदारी के साथ चुनाव में काम किया था, लेकिन अजीत जोगी की पार्टी के कार्यकर्ताओ ने ठीक से काम नहीं किया इस लिए हमे नुकसान उठाना पड़ा।

बता दें कि गठबंधन में स्थिति यह आ गई है कि बसपा सूबे की 11 सीटों में से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का दम भर रही है। जो यह बताने को पर्याप्त है कि यह गठबंधन लगभग टूट चुका है। चुनावी पंडितों का मानना है कि अभी तो यह शुरुआत है। आगे अजीत जोगी और मायावती की पार्टी के बीच में आने वाले समय में सीटों को लेकर एक ओर नया घमासान देखने को मिल सकता है। गठबंधन में मतभेद कुछ इस कदर है कि दोनों ही पार्टियां सूबे की 11 लोकसभा सीटों पर अपनी-अपनी दावेदारी अलग तरह से करनी शुरू कर दी हैं।

इस तरह से जानकारों का कहना है कि गठबंधन टूट चुका है। यह बीजेपी के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा इससे दोनों का जनाधार एक बार फिर से बंट सकता है। पहले ही छत्तीसगढ़ में बसपा का जनाधार कमजोर है जनता कांग्रेस के साथ गठबंधन से इस पार्टी को फायदा हुआ था। इससे बीजेपी को अपनी रणनीति तय करने में आसानी होगी। जल्दी ही इस फूट की चिंगारी अन्य दलों तक भी पहुंच सकती है। अब देखना यह होगा कि चुनाव नजदीक आते-आते अन्य राज्यों में गठबंधन का क्या होता है। 

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