भारतीय मीडिया राष्ट्र हित के खिलाफ काम कर रही हैं। इसका एक और बड़ा उदाहरण सामने आया जब पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में सोशल मीडिया और भारतीय मीडिया के कुछ आर्टिकल्स का हवाला दिया क्विंट ने 6 जनवरी 2018 को एक बहुत ही निम्न स्तर का आर्टिकल पब्लिश किया था लेकिन जब इसे लेकर इस वेबसाइट की आलोचना हुई तो इसने आर्टिकल को डिलीट कर दिया। इसी आर्टिकल का इस्तेमाल पाकिस्तान ने जाधव को भारतीय एजेंसी RAW का जासूस साबित करने के लिए सहारा लिया। पाक बार बार भारत के खिलाफ अपने दावों को साबित करने के लिए क्विंट के इस पोस्ट को कई बार उद्धृत किया है। इस एकतरफा और पक्षपातपूर्ण आर्टिकल में क्विंट ने दावा किया है कि कुलभूषण जाधव भारतीय जासूस थे और उनकी उम्मीदवारी को रॉ के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ख़ारिज होने के बाद भी पक्का किया गया था। जाधव को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था और उसके पास से भारतीय पासपोर्ट भी बरामद किया गया था।
Qureshi refers to Chandan Nandy article published in @TheQuint. It's taken a journalist to raise the question of the passport issue, Qureshi#KulbhushanJadhav #ICJ pic.twitter.com/c56UXMMVVr
— Bar and Bench (@barandbench) February 19, 2019
क्विंट के इस आर्टिकल में दावा किया गया था कि कुलभूषण रॉ के लिए काम करते थे। आर्टिकल में लिखा है:
हालांकि, क्विंट ने भभारी आलोचनाओं के बाद इस आर्टिकल को हटा दिया था। अब यही सारे लेख अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पाकिस्तान द्वारा सबूत के तौर पर पेश किए जा रहे हैं। पाकिस्तान ये दावा कर रहा है कि ‘कुलभूषण जाधव को साल 2016 में 3 मार्च को बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ्तार किया गया था। जाधव रॉ से संबद्ध एक जासूस है। ‘ जबकि इसे साबित करने के लिए पाकिस्तान के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। वहीं वो भारतीय मीडिया के लेखों को ही अपना हथियार बना रहा है। द क्विंट न सिर्फ एक लेफ्टिस्ट का पसंदीदा पोर्टल है बल्कि ये देशहित के भी खिलाफ है।
सिर्फ क्विंट ही नहीं बल्कि पाकिस्तान ने 21 अप्रैल 2017 में वामपंथी करण थापर द्वारा इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक आर्टिकल का भी सहारा लिया। इस आर्टिकल में भारतीय विदेश मंत्रालय से कई सवाल किये गये थे। इस आर्टिकल के मुताबिक ‘कुलभूषण जाधव के पास दो पासपोर्ट थे। एक पासपोर्ट उनके असली नाम से था और दूसरा हुसैन मुबारक पटेल के नाम से था।‘
इससे पहले पाकिस्तान ने अपने दलील में मागज़ीन ‘फ्रंटलाइन’ के आर्टिकल को पेश किया जिसे 16 फरवरी 2018 को प्रवीण स्वामी ने लिखा था। इस आर्टिकल के मुताबिक कुलभूषण जाधव पाकिस्तान में भारत का जासूस था और भारत का इससे इंकार करना असंभव है। यही नहीं इसमें ये तक लिखा गया कि जाधव पाकिस्तान में किसी बड़े हमले के मिशन पर थे।
भारत की ही मीडिया देश विरोधी पत्रकारिता करती हैं और पाकिस्तान इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहा है। अपने ही देश के एक निर्दोष नागरिक को भारतीय मीडिया ने ही शक के दायरे में ला दिया है।
बता दें कि सोमवार को पूर्व भारतीय नेवी अफसर कुलभूषण जाधव को पाक द्वारा सुनाई गयी मौत की सजा को लेकर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में सुनवाई शुरू हुई। 21 फरवरी को पाकिस्तान द्वारा क्लोजिंग स्टेटमेंट दिए जाने के बाद इस मामले पर फैसले को रोक दिया जायेगा। सोमवार को भारतीय वकील हरीश साल्वे ने मजबूती के साथ दलील पेश की थी। इसके मंगलवार को पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने पाकिस्तान का पक्ष रखा और भारतीय मीडिया के आर्टिकल्स का सहारा लिया लेकिन उसके पास अपने तर्कों को सही साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं कर सका। हालांकि, यहां पाक द्वारा भारतीय मीडिया का अपने तर्कों को सही साबित करने के लिए सहारा लेना शर्मनाक है। राष्ट्रहित को परे रख पत्रकारिता करने वाली मीडिया संस्थाओं को शर्म आनी चाहिए। यही नहीं पाकिस्तान इस तरह के लेखों का प्रचार प्रसार अपने यहां भी काफी करता है।