मुलायम के मास्टरस्ट्रोक से बिगड़ने वाला है इस शख्स का राजनीतिक ग्राफ

Pc: The Financial Express

समाजवादी पार्टी के संरक्षक और कद्दावर नेता मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को संसद में कुछ ऐसा कहा जिससे बीजेपी पार्टी में खुशी और विपक्षी खेमे में हलचल मच गयी। 16वीं लोकसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने कहा, “प्रधानमंत्री को बधाई देना चाहता हूं कि पीएम ने सबको साथ लेकर चलने की कोशिश की है। मैं कहना चाहता हूं कि सारे सदस्य फिर से जीत आयें और आप दोबारा प्रधानमंत्री बनें।” मुलायम सिंह यादव से मिली इस तारीफ के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भी मुस्कुराते हुए आभार व्यक्त किया और कहा “अब तो मुलायम सिंह जी ने भी आशीर्वाद दे दिया है।” अपने इस बयान से मुलायम सिंह यादव ने एक तीर से कई निशाने लगाये हैं। जहां एकजुट विपक्ष को बड़ा झटका लगा है वहीं सपा की मुश्किलें भी बढ़ गयी हैं।

हालांकि, अगर मुलायम सिंह के इस बयान पर गौर करें तो इससे अगर किसी को सबसे ज्यादा नुकसान होने वाला है तो वो बहुजन समाज पार्टी को होगा। पहलवान से नेता बने मुलायम सिंह यादव अपने राजनीतिक करियर में भी चरखी दांव (चौंकाने वाला दांव) के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में ये भी उनका बड़ा दांव है। भले ही लोकसभा में मुलायम सिंह ने पीएम मोदी की तारीफ की हो लेकिन इस भाषण के कई मायने हैं। दरअसल, मुलायम सिंह यादव को भी पता है कि महागठबंधन कमजोर है और अगर वो देश का प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जाहिर भी करते हैं तो भी उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हो पायेगी। अनुभवी नेता मुलायम सिंह ये बात अच्छी तरह से समझते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष की तैयारी उतनी दमदार नहीं है। ये सच भी है। महागठबंधन में न तो कोई मजबूत नेता है और न ही इसमें एकजुटता है। ऐसे में ये गठबंधन कमजोर है और ये तो आम जनता को भी नजर आता है। ऐसे में वरिष्ठ और अनुभवी नेता मुलायम सिंह यादव को ये लग रहा होगा कि इस बार भी नरेंद्र मोदी ही हैं जो भारत के लिए एक बेहतर प्रधानमंत्री हो सकते हैं। उन्होंने सदन में कहा भी कि ‘हम लोग तो बहुमत के साथ आ नहीं सकते हैं, प्रधानमंत्री जी आप दोबारा प्रधानमंत्री बनें।’ उनके इस बोल पर पक्ष के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर खुशी जताई।

मुलायम सिंह के इस बयान से समाजवादी पार्टी की मुश्किल ये है कि वो मुलायम सिंह के खिलाफ बोल नहीं सकते और चुप रहने पर सियासी रणनीति बिगड़ सकती है। हालांकि, यहां बसपा के लिए मुलायम सिंह का ये बयान जरुर सबसे ज्यादा झटके वाला होगा क्योंकि इस पार्टी ने सपा के साथ प्रदेश में गठबंधन किया है। मायावती के इस गठबंधन का उद्देश्य राज्य में बसपा के अस्तित्व को बचाना है। ऐसे में मुलायम सिंह यादव के बयान से सपा-बसपा गठबंधन कमजोर पड़ सकता है जो मोदी के खिलाफ प्रदेश में अपनी चुनावी रणनीतियों को मजबूत कर रहा है। ऐसे में बीजेपी जरुर ही मुलायम सिंह यादव के इस बयान का आगामी चुनाव में अपने जीत की राह को सुनिश्चित करने के लिए इस्तेमाल करेगी।

मुलायम के बयान से दो चीजें होंगी। पहली, मायावती की पार्टी कमजोर होगी जो राज्य में महागठबंधन के कारण थोड़ा मजबूत हुई है। मायावती और मुलायम के बीच की कटुता किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में मुलायम का ये बयान मायावती के खिलाफ है और सपा के कुछ समर्थक का सपा-बसपा के गठबंधन की ओर झुकाव भी कम होगा। दूसरा, मायावती का राजनीतिक करियर जो पहले ही राज्य में पाने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है वो लगभग खत्म हो जायेगा और अखिलेश यादव इस तरह से राज्य में विपक्ष के तौर पर सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरेंगे।

दरअसल, मुलायम सिंह यादव ये अच्छी तरह से जानते हैं कि अखिलेश यादव का राजनीतिक ग्राफ तभी ऊपर की ओर तेजी से उठेगा जब उत्तर प्रदेश में दो तरफा लड़ाई होगी जिसमें सपा और बीजेपी मुख्य पार्टियां होंगी। इस दो तरफा लड़ाई में सपा और अखिलेश यादव दोनों ही प्रदेश की राजनीति में बने रहेंगे।

गौरतलब है कि जब साल 2017 में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था तब इस पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे मुलायम सिंह को लगता है कि अगर प्रदेश सपा-बसपा का गठबंधन होता है तो एक बार फिर पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ सकता है। समाजवादी पार्टी को सालों की मेहनत के बाद उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचाया है। ऐसे में वो इस पार्टी को डूबते हुए नहीं देखना चाहते हैं।

यही नहीं सपा के साथ बसपा जुड़े मुलायम सिंह नहीं चाहते क्योंकि मायावती और मुलायम के बीच पुरानी दुश्मनी रही है। वो भी जानते हैं कि अखिलेश यादव ममता बनर्जी और राहुल गांधी के समर्थन में हैं। ऐसे में ममता या राहुल जैसे नेता देश के प्रधानमंत्री बने उससे बेहतर उन्होंने पीएम मोदी का चुनाव किया।

अब मुलायम सिंह के इस बयान से समाजवादी पार्टी के मतदाता आधार में बिखराव जरुर देखने को मिलेगा क्योंकि आज भी यादवों के बीच मुलायम काफी लोकप्रिय नेता हैं। पहले ही शिवपाल सिंह यादव द्वारा अलग पार्टी बनाये जाने से सपा का मतदाता आधार बंट गया था। अब मुलायम का बयान से लोकसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा। ये तो आने वाले वक्त में ही पता चल पायेगा।                                  

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