पुलवामा अटैक का जश्न मना रहे 5 हजार सोशल मीडिया अकाउंट एजेंसियों की रडार पर, की जा रही कड़ी कार्रवाई

पुलवामा आतंकी सोशल मीडिया

PC : PTI

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायिन हमले के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकी संगठन जैश-ए मोहम्मद और कश्मीर में छिपे उसके साथियों पर कड़ी कार्रवाई शुरू की है। इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियों ने आत्मघाती हमलावार आदिल अहमद डार के हमदर्दों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। जब इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के जवान मारे गए थे तो घाटी में कईं पाकिस्तान के हमदर्दों ने जश्न मनाया था। पत्थरबाजों व कश्मीर की आजादी की मांग करने वाले इन अलगाववादियों ने हमलावर डार को स्वतंत्रता सेनानी बताया था और आतिशबाजी करके खुशियां मनाई थीं। अब ऐसे लोगों पर एक-एक कर सुरक्षा एजेंसियों और सरकार का कहर ढ़हना शुरू हो गया है।

खबरों के अनुसार, पुलवामा के हमले के तुरंत बाद कश्मीर में “कश्मीर आजादी” स्लोगन के साथ लिखे मैसेज पूरे इंटरनेट पर तेजी से फैलना शुरू हो गए थे। सोशल मीडिया पर कई अकाउंट्स से पुलवामा फिदायिनी डार की फोटो लगाकर उसे फ्रीडम फाइटर बताया जा रहा है। सिर्फ कश्मीर से ही नहीं बल्कि देश भर में कई जगहों से आतंकी हमले पर खुशियां मनाते हुए सोशल मीडिया पोस्ट देखे गए हैं।

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खुफिया एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, देश में प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़े करीब 5000 अकाउंट्स इंटरनेट पर मौजूद हैं। ये अकाउंट्स सोशल नेटवर्किंग साइट्स ट्विटर, फेसबुक, टेलीग्राम आदि पर बनाए गए हैं। इन सभी अकाउंट्स से हमलावर आदिल डार को एक हीरो के रूप में दिखाया गया है। पुलवामा टेरर अटैक की फोटोज और वीडियो के साथ जश्न मनाते हुए पोस्ट इन अकाउंट्स से किये गए थे। इन अकाउंट्स में से ज्यादातर कश्मीर से हैं और कुछ देश के बाकी हिस्सों से बताए जा रहे हैं। इन अकाउंट्स का प्रयोग मजहबी संदेश प्रसारित करने में भी किया रहा है।

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सुरक्षा एजेंसियां अब ऐसे खातों को स्कैन कर रही हैं और उनकी लोकेशन प्राप्त करने की कोशिश कर रही हैं क्योंकि एजेंसियों को संदेह है कि पुलवामा हमले के पीछे कई स्थानीय लोगों का हाथ है। एजेंसियों को संदेह है कि इन स्थानीय लोगों ने डार को जरूरी विस्फोटक सामग्री जुटाने में मदद की है।

मीडिया खबरों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसी के सूत्रों ने बताया है कि, आतंकवादी कश्मीर के युवाओं को बहकाने के लिए हमले की तस्वीरों और वीडियो का इस्तेमाल कर रहे हैं। बता दें कि, गुरुवार को जैश-ए-मोहम्मद के हमले का जश्न मना रहे पाकिस्तान के हमदर्दों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। अधिकारी के अनुसार, ये आतंकी और उनके हमदर्द इंटरनेट पर बहुत एक्टिव रहते हैं। डिजिटल दुनिया उन्हें बहुत प्यारी लगती है। यहां वे ऐसे युवाओं को बरगलाते हैं, जो थोड़ी कट्टरवादी इस्लामिक विचारधारा रखते हैं। यही कारण था कि पुलवामा अटैक के तुरंत बाद पूरे जम्मू कश्मीर में इंटरने सेवा बंद कर दी गई थी।

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अधिकारी ने बताया कि, “कश्मीर के हालात चिंताजनक हैं। हम व्हाट्सएप ग्रुप में चल रहे संदेशों की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कई सारे चैट ग्रुप्स बनाएं हैं, जहां से वे युवाओं के दिमाग में मजहबी जहर भर रहे हैं।”

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यही कारण है कि, सुरक्षा एजेंसियां ​​व्हाट्सएप और टेलीग्राम के चैट ग्रुप्स पर आतंकी समर्थकों के कम्युनिकेशन की बारीकी से निगरानी कर रही हैं ताकि उनके बारे में अधिक जानकारियां जुटाई जा सके। अधिकारी ने कहा, “कश्मीर के हालात चिंताजनक हैं क्योंकि उन्होंने कई चैट रूम, पेज और व्हाट्सएप ग्रुप्स बनाए हैं, जहां से वे युवाओं को तथ्यों में हेरफेर करके धीरे-धीरे आतंकी जहर दे रहे हैं। इन ग्रुप्स पर में वे घाटी में मुसलमानों पर किए गए अत्याचारों के समाचार, तस्वीरें और वीडियो दिखाते हैं, जो कि सब फोटोशॉप किये हुए या फेक वीडियोज होते हैं।

एक मीडिया वेबसाइट को सुरक्षा एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये आतंकी कश्मीरियों को सीरिया के शरणार्थियों और भारतीय सैनिकों को इजरायली सैनिकों के रूप में दिखाते हैं। इन अकाउंट्स पर पाकिस्तानी मीडिया के समाचारों की वे क्लिपिंग्स शेयर की जा रही हैं जिसने डार को ‘स्वतंत्रता सेनानी’ बताया गया है।

आतंकियों के ये हमदर्द सोशल मीडिया पर अधिकतर फर्जी नाम के साथ अपने अकाउंट बनाते हैं लेकिन अब ये सब अकाउंट्स सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर हैं। धीरे-धीरे इन देश में छुपे इन गद्दारों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कईं लोगों के खिलाफ तो एफआईआर भी दर्ज हो चुकी हैं। सुरक्षा एजेंसियां और सरकार अपना काम कर रही हैं। सोशल मीडिया पर 5 हजार खाते स्केन किये जा रहे हैं। डिजिटल दुनिया पर हम सभी भी एक्टिव रहते हैं। यदि हमें भी इस तरह का कोई अकाउंट या देशविरोधी पोस्ट दिखाई दे तो तुरंत पुलिस को सुचना कर सुरक्षा एजेंसियों का सहयोग कर सकते हैं। हो सकता है कि उस पोस्ट के तार आंतकियों से जुड़े हों।

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