रिट्वीट-लाइक क्यों हो रहे हैं कम ? क्या इसके पीछे है कोई साजिश?

ट्विटर भारत

PC: NDTV Khabar

अचानक से ट्विटर पर रिट्वीट-लाइक के कम होने से भारत के लोग काफी परेशान हैं और इसकी ट्विटर इंडिया से शिकायत भी की गयी। कुछ लोग इसे ट्विटर का फर्जी एकाउंट्स पर क्रैकडाउन बता रहे हैं लेकिन सवाल ये भी उठता है कि अगर ऐसा है तो ये क्रैकडाउन भारत और Twitter के बीच चल रहे विवाद के बाद ही क्यों? वो भी ये ज्यादातर राईट-विंगर ट्विटर अकाउंट के साथ ही क्यों हो रहा है या जो मंत्रियों के एकाउंट्स के साथ ही क्यों हो रहा है? ऐसा लगता है कि ट्विटर अब पूर्ण रूप से कांग्रेस का मुखपत्र बन गया है। ये हम यूं ही नहीं कह रहे जिस तरह से राहुल गांधी के ट्वीट पर रिट्वीट-लाइक बढ़ रहे हैं उसे देखकर आप भी समझ जायेंगे कि Twitter किस तरह से भेदभाव कर रहा है।

ट्विटर पर इस परेशानी से जूझ रहे केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अब ‘शाण्डिल्य गिरिराज सिंह’ ने लिखा, “ये ट्वीट 2000 से ज़्यादा RT हो चुका था, 7:45 में 957 RT हो गया और 2 मिनट बाद घट के 378 RT हो गया। ये क्या हो रहा है”

वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा की भी यही शिकायत है जो राहुल गांधी के झूठ पर एक के बाद एक खुलासे करते हैं।

यहां तक कि अरुण जेटली के ट्विटर अकाउंट पर भी रिट्वीट-लाइक तेजी से घट गये।

वैसे ये कोई पहली बार नहीं है इससे पहले भी ट्विटर पर राजनीतिक भेदभाव करने और दक्षिणपंथी विचारधारा के खिलाफ एक्शन लेने के भी आरोप लग चुके हैं। इसके साथ ही ट्विटर पर राईट-विंग और बीजेपी से जुड़े एकाउंट्स को ब्लॉक करने के भी आरोप लगे थे। भेदभाव और एक विचारधारा का समर्थन करने के खिलाफ दक्षिणपंथी संगठन यूथ फॉर सोशल मीडिया डेमोक्रेसी के सदस्यों ने ट्विटर के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था।  जिस तरह का परिदृश्य अभी नजर आ रहा है उसे देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के लिए Twitter मुश्किलों का सबब बन सकता है। अब रिट्वीट-लाइक के कम होने के पीछे की वजह भी भारत सरकार और ट्विटर के बीच चल रहा विवाद माना जा रहा है।

बता दें कि भारत सोशल मीडिया पर नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने, डाटा की निजता और आगामी लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के सही इस्तेमाल से जुड़े मामले को लेकर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से (IT) से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने ट्विटर के सीईओ को समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा था। जब Twitter के सीईओ समिति के समक्ष पेश नहीं हुए तो लोकसभा सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति द्वारा ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी और अन्य वरिष्ठ अधिकरियों को समन भेज दिया गया। ये जरुरी भी था क्योंकि ट्विटर जब अमेरिका और ब्रिटेन के समक्ष पेश हो सकता है तो भारत के समक्ष उसे पेश होने में क्या परेशानी है?संसदीय समिति के समक्ष पेश न होकर इस कंपनी ने भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान किया और लोगों के Twitter हैंडल पर उनके री-ट्वीटस और लाइक्स कम कर रहा है। जब इसकी शिकायत की गयी तो वो सफाई दे रहा है कि ‘ट्विटर में कुछ प्रॉब्लम’ हो रही है और जल्द ही इसे सही कर लिया जायेगा। अगर सच में ट्विटर के समक्ष ऐसी कोई प्रॉब्लम है तो वो इसे जल्द ही सही कर ले तो अच्छा है क्योंकि यूजर्स भी इससे काफी परेशान हैं।

बता दें कि  फेसबुक, गूगल और ट्विटर पर राजनीतिक विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने के लिए भारत सरकार काम कर रही है। ये तीनों ही वैश्विक स्तर पर समाचार प्रसारित करने वाले सबसे बड़े मंच हैं लेकिन आज के समय में इन तीनों का ही इस्तेमाल फेक न्यूज़ को फ़ैलाने और एजेंडे के प्रचार प्रसार के लिए किया जा रहा है। यही नहीं जातिवाद और सांप्रदायिकता का जहर भी इसके जरिये कुछ अराजक तत्व फैला रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार ने इसपर चिंता जाहिर की है और भविष्य में इसपर रोक लगाई जा सके इसके लिए इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से (IT) से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने सोशल मीडिया के प्रबंधकों व वरिष्ठ अधिकारियों को समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा था लेकिन इसपर ट्विटर की प्रतिक्रिया शर्मनाक थी।

इतने बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्म होने के बावजूद Twitter का ये व्यवहार शर्मनाक है जो भारत की जनता के प्रति पक्षपात और भेदभाव से परिपूर्ण है। इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को जनता की आवाज कहा जाता है। ऐसे में अगर ट्विटर ऐसा भेदभावपूर्ण व्यवहार करेगा तो आम जनता तो वही झूठ देखेगी जो कांग्रेस पार्टी और लिबरल्स दिखाएंगे। जल्द ही भारत सरकार को इसके खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की जरूरत है।

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