लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के लिए अब देश की राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच गठबंधन लगभग तय हो गया है। मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों पार्टियों के बीच तीन-तीन सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर सहमती बनी है जबकि एक सीट अन्य के लिए छोड़ी जाएगी। हालांकि, अभी इसकी अधिकारिक घोषणा नहीं है।
बता दें कि दिल्ली में लोकसभा की सात सीटें हैं जिसपर साल 2014 में बीजेपी ने कब्ज़ा किया था। इस बार बीजेपी को हराने के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का राग अलाप कर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी अब कांग्रेस के साथ ही हाथ मिलाने को तैयार हो गयी है। आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए इतनी हताश रहती थी लेकिन कांग्रेस पार्टी उसे अनदेखा करती रही लेकिन अन्य विपक्षी दल के दबाव के बाद इस पुरानी पार्टी को आप के साथ गठबंधन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। गठबंधन को लेकर मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी हेडक्वार्टर में सभी नेताओं और पदाधिकारियों की अहम बैठक बुलाई जिसमें आप के साथ गठबंधन को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक को देखते हुए आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा उम्मीदवारों की प्रेस कॉन्फ्रेंस तक कैंसिल कर दी जो आज दोपहर 12 बजे थी। कहा जा रहा है कि आज दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर आखिरी मुहर लग सकती है। खबरों के अनुसार दोनों ही पार्टियां तीन-तीन सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गयी हैं। हालांकि, इसकी अधिकारिक पुष्टि होना अभी बाकी है।
इससे पहले भी दोनों पार्टियों के बीच लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी को टक्कर देने लिए गठबंधन की बात चली थी लेकिन सीटों को लेकर सहमती नहीं बन पाई थी। इसके बाद 2 मार्च को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली की सैट में से 6 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर दी। वहीं दिल्ली के जन्तर मंतर पर हुई महागठबंधन रैली के बाद कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसी भी तरह के गठबंधन से साफ इनकार किया था। इससे पहले दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष और पूर्व सीएम शीला दीक्षित ने भी आम आदमी पार्टी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से साफ़ मना कर दिया था और कहा था कि ‘कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने में पूरी तरह से सक्षम है।’ हालांकि, आज मंगलवार को अचानक राहुल गांधी ने पार्टी हेडक्वार्टर में सभी नेताओं और पदाधिकारियों की अहम बैठक बुलाई जिसके बाद दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन को लेकर खबरें सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि अचानक इस फैसले के पीछे राष्ट्रीय महागठबंधन के घटकों का दबाव है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडु के साथ पश्चिम बंगाल की मुखिया ममता बनर्जी ने कांग्रेस पार्टी पर दबाव बनाया कि आम आदमी पार्टी भाजपा को हराने के लिए सक्षम पार्टियों के साथ गठबंधन करे। अन्य विपक्षी पार्टियों के दबाव के बाद दोनों पार्टियों के रुख में बदलाव नजर आया है। अब आम आदमी पार्टी उस पार्टी के साथ मिलकर दिल्ली में लोकसभा चुनाव लड़ेगी जिसके खिलाफ कभी वो मोर्चा खड़ा कर सत्ता में आई थी।
ये गठबंधन दर्शाता है कि विपक्षी दल बीजेपी को हराने के लिए कितने हताश हैं। वो अब अपनी विचारधारा और पार्टी लाइन को दरकिनार कर साथ आ रहे हैं।हालांकि, आगामी लोकसभा चुनाव में ये इस गठबंधन से इन पार्टियों को कितना फायदा होगा ये आने वाला वक्त ही बताएगा।