आजम खान ने ‘खून का सौदा’ जैसी बातें कहकर सेना को राजनीति में घसीटा

आजम खान

PC: Amar Ujala

अपने विवादित बयानों के लिए पूरे देश में मशहूर समाजवादी पार्टी के ‘क्रांतिकारी नेता’ आजम खान ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार ने अब जवानों के खून का भी सौदा कर लिया है। दरअसल, वो भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान में की गई एयर स्ट्राइक पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा “पहली बार ऐसा हुआ है कि सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर वोट मांगा जा रहा है। यानि कि फौजियों की जिंदगी पर वोट गिने जा रहे हैं और बक्से भरे जा रहे हैं। ये पहली बार हो रहा है कि सरहदों का भी सौदा हो गया। वर्दी, सिर और खून का सौदा हो गया। इन पर सरकारें नहीं बननी चाहिए।“

अपने इस बयान के माध्यम से वो भाजपा पर सेना का राजनीतिकरण करने का आरोप मढ़ रहे थे, लेकिन स्वयं आजम खान ने ‘खून का सौदा’ जैसी बातें कहकर सेना को अपनी स्तरहीन राजनीति में घसीटने का काम किया है। आजम शुरू से ही घटिया एवं स्तरहीन राजनीति करते आये हैं। वे अपने घटिया बयानों से देश की सरकार तो क्या, देश की सेना पर भी निंदनीय आरोप लगा चुके हैं। देश के पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव के बेहद नजदीकी और सपा के कद्दावर नेता आजम खान ने छत्तीसगढ़ के सुकमा में महिला नक्सलियों द्वारा शहीद सैनिकों के गुप्तांग काटने के मामले में सेना पर भी विवादित टिप्पणी की थी. ऐसा ही घटिया बयान देते हुए उन्होंने कहा था, “महिलाएं फौज के प्राइवेट पार्ट्स काटकर साथ ले गयीं। उन्हें हाथ से शिकायत नहीं थी। सिर से नहीं थी। पैर से नहीं थी। जिस्म के जिस हिस्से से उन्हें शिकायत थी, वे उसे काटकर ले गए। इतना बड़ा संदेश है, जिसपर पूरे हिंदुस्तान को शर्मिंदा होना चाहिए और सोचना चाहिए कि हम दुनिया को क्या मुंह दिखाएंगे?’ इस बयान में स्पष्ट रूप से आजम खान देश की सेना पर रेप का आरोप लगाया था जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज़ हुई थी।

इससे पहले वो देश की सेना में धर्म-आधारित मतभेद पैदा करने की भी नाकाम कोशिश कर चुके हैं। उन्होंने अपने एक बयान में कहा था “कारगिल युद्ध में भारत को फतह दिलाने वाले जवान हिन्दू नहीं बल्कि मुस्लिम थे।“ हैरानी की बात तो यह कि ऐसी शर्मनाक बयानबाज़ी करने के बावजूद समाजवादी पार्टी के आलाकमान द्वारा इनपर कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई। आजम खान पीएम मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी अपमानसूचक शब्दों से संबोधित कर चुके हैं।

दरअसल, ऐसे राजनेता समाजवादी पार्टी की ‘अनमोल सम्पत्ति’ के तौर पर काम करते हैं। ऐसा लगता है कि इस तरह की बयानबाज़ी आजम खान से जानबूझकर करवाई जाती है ताकि ऐसे बयानों को पसंद करने वाले कुछ ‘विशेष वर्ग’ के लोगों को अपने साथ जोड़कर रखा जा सके। समाजवादी पार्टी बाद में अक्सर उनके द्वारा दिए इन बयानों से किनारा कर लेती है और हर बार ‘उनकी निजी सोच’ का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया जाता है। लेकिन आज तक कभी भी उनपर ठोस कार्रवाई नहीं की गई जिससे की उनको कोई सबक मिल सके।

जब भी आजम खान जैसे नेता ऐसे विवादित बयान देते हैं, देश की मीडिया इन्हें तुरंत अपने ‘प्राइम टाइम’ में जगह देने के लिए तैयार रहती है जिसके बाद उन्हें फिर ऐसे बयान देने की प्रेरणा मिलती है। मीडिया में छाए रहने के लिए ये नेता किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। ना तो कभी इनकी पार्टी ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई की, और ना ही कभी कानून इन पर शिकंजा कस पाया, ‘बड़े नाम’ जो ठहरे!

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