कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरीप्रसाद ने कहा, मोदी और इमरान की मिलीभगत से हुआ पुलवामा हमला

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PC: Azadsipahi

लगता है कांग्रेस पार्टी में देशविरोधी बयानबाज़ी करने की होड़ मची हुई है। एक के बाद एक नेता विवादित बयानों को देने में ज़रा भी संकोच नहीं कर रहे हैं। इसी लिस्ट में नया नाम कांग्रेस के राज्यसभा सांसद बीके हरिप्रसाद का जुड़ा है। पुलवामा हमले को लेकर उन्होंने एक बयान में कहा  ”पुलवामा हमले के पीछे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मैच फिक्सिंग है। ये हमला बिना मिलीभगत के संभव नहीं। पीएम मोदी को इस पर सफाई देनी चाहिए।’

उनकी इस बात का करारा जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बीके हरिप्रसाद ने यह बयान राहुल गांधी के इशारे पर दिया है। उन्होंने कहा ”कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के कहने पर बीके हरिप्रसाद ने ऐसा बयान दिया है, ऐसे बयान से स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ है”।

इससे पहले कांग्रेस के ही एक और नेता दिग्विजय सिंह तब विवादों में आये थे जब उन्होंने पुलवामा हमले को सिर्फ एक ‘दुर्घटना’ करार दिया था। उनकी इस बात का मुंहतोड़ जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा था कि ‘क्या दिग्विजय सिंह के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी की हत्या भी मात्र एक ‘दुर्घटना’ थी?’  नवजोत सिंह सिद्धू तो अपने बयानों से देश की वायुसेना पर ही सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा था कि भारतीय वायुसेना वहां पेड़ उखाड़ने गई थी या आतंकवादी मारने? आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना द्वारा पहले ही कहा जा चुका है कि निर्धारित ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया था, इसके बाद भी भाजपा पर हमला करने की कोशिश में कांग्रेसी नेता देश की महत्वपूर्ण संस्थाओं पर निशाना साध रहे हैं।

कांग्रेस के अलावा देश के अन्य विपक्षी दल भी कोई दूध के धुले नहीं हैं। आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल पहले ही कह चुके हैं कि पुलवामा हमला भाजपा ने कराया था। ममता बनर्जी भी भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के सबूत मांग चुकी है

इन सभी नेताओं पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि पाकिस्तानी मीडिया द्वारा इनके बयानों को हाथों-हाथ उठा लिया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता पाकिस्तान में ‘पोस्टर-बॉय’ बन चुके हैं। पीएम मोदी विपक्ष पर देश की सेना का मनोबल कम करने का आरोप भी लगा चुके हैं।

विपक्ष के इन बयानों को सुनकर यही कहा जा सकता है कि सभी दल ‘सुसाइडल मोड़’ पर हैं। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर टिप्पणी करते हुए नेताओं को अपने संयम तथा धैर्य का परिचय देना चाहिए। अपनी कही आधारहीन बातों को सच साबित करने के लिए विपक्ष के कुछ नेता क्रांतिकारी तरीकों को अपना रहे हैं। जैसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पूरी आईटी टीम को, विदेशी मीडिया में छपे एजेण्डावादी लेखों को बंगाली भाषा में अनुवाद करने के काम पर लगाया हुआ था। टीएमसी की पूरी आईटी टीम उन लेखों का अनुवाद करने में जुटी थी जिनमें भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक को संदेह की नज़र से देखा गया था।  ममता बनर्जी समेत पूरे विपक्ष को यह समझना चाहिए कि किसी राजनीतिक दल का आईटी सेल नहीं, बल्कि देश की जनता यह तय करती है कि सत्ता की चाबी किसे सौंपनी है।

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