नीरव मोदी ने भारत छोड़कर भागने के लिए भाजपा नेता को दी रिश्वत का दावा निकला झूठा

नीरव मोदी भाजपा

PC: India Today

देश के भगौड़ों के खिलाफ मौजूदा सरकार का कड़ा रुख अभूतपूर्व रहा है, जिसका एक बड़ा उदाहरण हमें इसी महीने 19 तारीख को देखने को मिला जब लन्दन में हीरा कारोबारी नीरव मोदी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। लेकिन देश में मौजूद कुछ भारत-विरोधी लोगों को यह खबर बिल्कुल भी रास नहीं आयी और सोशल मीडिया पर इस खबर को भी तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया जिससे केंद्र सरकार के खिलाफ माहौल बनाया जा सके। इस खबर के आने के बाद सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट खूब वायरल हुआ जिसमें यह दिखाया गया की नीरव मोदी ने लन्दन कोर्ट में यह कबूला है कि भाजपा नेताओं ने उसे देश से भगाने में मदद की और इसके लिए उन्होंने उनको 456 करोड़ रुपये की रिश्वत भी दी थी। इसे कई यूज़र्स ने जमकर रिट्वीट किया और लोगों में भाजपा-विरोधी भावनाओं को भड़काने का काम किया जाने लगा लेकिन बाद में यह सामने आया की वायरल हो रहा स्क्रीनशॉट एडिट किया हुआ है और यह खबर फेक है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट से इस झूठी खबर का खुलासा हुआ।

दरअसल, नीरव मोदी के गिरफ्तार होने के बाद न्यूज 18 इंडिया के आधिकारिक ट्वीट हैंडल से एक ट्वीट किया जिसमें लिखा था ”हजारों करोड़ का घोटाला करने वाला नीरव मोदी एक बैंक कर्मचारी की सूझबूझ से गिरफ्तार हुआ, जानें पूरा मामला”,

लेकिन वायरल पोस्ट में इसी ट्वीट को एडिट करके एक स्क्रीनशॉट तैयार किया गया जिसमें यह लिखा दिखाया गया ”लन्दन कोर्ट में नीरव मोदी का बयान, भागा नहीं भगाया गया भाजपा के नेताओं ने 456 करोड़ कमीशन लिया ।” कई यूज़र्स ने इस ट्वीट को आधार बनाकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। जैसे एक यूज़र ने लिखा “नीरव मोदी ने लंदन कोर्ट में बयान दिया है कि उसने 456 करोड़ रुपए का कमीशन दिया भाजपा नेताओं को, तब जाकर उसके भागने के लिए रास्ता तैयार किया गया।“ इंडिया टुडे ने अपनी फैक्ट चेक रिपोर्ट में इस खबर को झूठ पाया। दरअसल, नीरव मोदी ने गिरफ़्तारी के बाद ऐसा कोई बयान दिया ही नहीं है।

आपको बता दें कि 19 मार्च को नीरव मोदी को गिरफ्तार किया गया था और लन्दन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी को ठुकरा कर उन्हें 29 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेजा था। इससे पहले मोदी सरकार निचली अदालत में विजय माल्या के प्रत्यर्पण के केस को भी जीत चुकी है और ब्रिटेन की सरकार द्वारा तो माल्या के प्रत्यर्पण को मंज़ूरी भी दी जा चुकी है। माल्या मोदी सरकार के रुख से कितना हताश है, उसका अंदाजा आप उसके इसी ट्वीट से लगा सकते हैं जिसमें वह लिखता है “मैंने किंगफ़िशर कंपनी को बचाने के लिए उसमें 4000 करोड़ का निवेश किया, लेकिन एनडीए सरकार के दोहरे मापदंड के कारण मेरी कंपनी एवं उसमें काम करने वाले लोगों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया गया है।“

जाहिर है कि देश के भगौड़ों के खिलाफ ऐसे सख्त कदम उठाने से देश में मौजूद विपक्ष की हालत अब खराब हो चुकी है। विपक्षी पार्टियां नीरव मोदी एवं विजय माल्या को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोल चुकीं हैं लेकिन अब उनके खिलाफ हो रही ठोस कार्रवाई को लेकर भी उनको कोई संतोष नहीं है और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए अब उनके द्वारा फेक न्यूज़ का सहारा लिया जा रहा है। चुनाव नजदीक है और ऐसे में विपक्ष के पास मुद्दों की भारी कमी का होना उनके पक्ष को और ज़्यादा कमज़ोर कर सकता है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि अपनी हवा बनाने के लिए झूठी खबरों का सहारा लिया जाए।

Exit mobile version