ध्रुव राठी ने एक बार फिर से फैलाई फेक न्यूज

ध्रुव राठी

(PC: Quint)

भारत के सबसे बदनाम यूट्यूबर ध्रुव राठी ने एक बार फिर वही किया जिसके लिए वे जाने जाते हैं। उन्होंने एक बार फिर सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फ़ैलाने का काम किया। राठी ने मोदी सरकार पर अडानी ग्रुप के साथ साठगांठ करने का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया “मुबारक हो भक्तों, मोदी सरकार ने भारत के सबसे घने जंगलों की 1,70,000 हैक्टेयर जमीन को अडानी ग्रुप को बेच दिया। हसदेव जंगल में कोयला खदान के लिए अडानी ग्रुप को पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से आज्ञा दे दी गई। वर्ष 2009 में सरकार द्वारा इस क्षेत्र को ‘नो गो एरिया’ घोषित कर दिया गया था।“

https://twitter.com/SquintNeon2/status/1108815261048754176

ध्रुव राठी के इस ट्वीट को उनके समर्थकों ने बिना किसी पुष्टि के खूब रीट्वीट किया। राठी का यह प्रोपेगंडा सफल होने ही वाला था कि दो घंटे से भी कम समय में उस ट्वीट पर अडानी ग्रुप की भी प्रतिक्रिया आई जिससे ध्रुव राठी की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। अडानी ग्रुप ने उस ट्वीट पर कमेंट किया “हम आपके द्वारा लगाए गए आधारहीन एवं दुर्भावनापूर्ण आरोपों पर आपत्ति जताते हैं। ना तो हमने किसी जमीन को खरीदा है और ना ही सरकार ने हमें कुछ बेचा है। छत्तीसग़ढ में हमारी कोई खदान नहीं है। अगर आप अपने खिलाफ किसी कानूनी कार्रवाई से बचना चाहते हैं तो कृपया इस गलत जानकारी वाले ट्वीट को तुरंत डिलीट कर दें।“

अडानी ग्रुप से ऐसा तगड़ा जवाब मिलने के बाद ध्रुव राठी ने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया और एक अन्य ट्वीट करते हुए लिखा “मैंने अपने ट्वीट को इसलिए डिलीट किया क्योंकि किसी अखबार की खबर के आधार पर मैं अपने खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहता। ये रही एक अन्य रिपोर्ट, देखिये कैसे चौकीदार नरेंद्र मोदी देश के जंगल बेच रहे हैं।“

जैसा हमने आपको बताया, ध्रुव राठी के लिए फेक न्यूज़ फैलाना कोई नई बात नहीं है। अपने मोदी-विरोध के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए वे अक्सर ऐसा करते रहते हैं। इससे पहले केरल में आई भयंकर बाढ़ के समय उन्होंने फेसबुक पर फेक न्यूज़ फैलाते हुए यह दावा किया था कि भाजपा शाषित राज्यों ने केरल की सहायता के लिए एक रुपया भी नहीं दिया, लेकिन जब उन्हें लोगों द्वारा ट्रोल किया गया, उसके बाद उनकी अक्ल ठिकाने आई और हर बार की तरह उस बार भी उन्होंने अपनी पोस्ट को डिलीट कर दिया।

कुछ समय पहले राठी ने सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट शेयर किया था जिसमें उसने यह दिखाने की कोशिश की थी कि भाजपा अपने प्रचार अभियान में ढेर-सारा पैसा खर्च करती है। हालांकि, उनकी बोलती तब बंद हो गयी जब एक यूज़र ने एक स्क्रीनशॉट कमेंट कर राठी को यह दिखाया कि कैसे उन्होंने रफाल डील पर बनाई एजेंडापूर्ण वीडियो को यूट्यूब पर जमकर प्रचारित करवाया था। पहले तो ध्रुव राठी ने कहा कि यह स्क्रीनशॉट नकली है और यह फोटोशॉप किया हुआ है और वे कभी अपनी वीडियो को पैसा देकर प्रमोट नहीं करवाते। लेकिन जब और यूज़र्स ने भी इसी बात को दोहराया तो उन्होंने हास्यासपद जवाब देते हुए कहा कि पता नहीं उनकी वीडियो को कौन प्रमोट करवा रहा है।

लगभग हर विषय के ‘एक्सपर्ट’ ध्रुव राठी का फेक न्यूज़ फ़ैलाने में कोई मुकाबला नहीं कर सकता। देश का मुख्यधारा मीडिया भी उनकी पोल खोलने की बजाय अक्सर उनका गुणगान करते हुए दिखाई देता है। एक तरफ जहां बीबीसी उन्हें अपने यूट्यूब चैनल पर बुलाकर उनकी कमाई के बारे में जानने का उत्सुक रहता है, तो वहीं दूसरी तरफ एनडीटीवी के रविश कुमार जैसे क्रांतिकारी पत्रकार उनका लाइव इंटरव्यू लेकर उनके चैनल को प्रमोट कर चुके हैं। हालांकि, दूसरी तरफ यह भी सच्चाई है कि आईसीयू में पड़े एनडीटीवी को आज स्वयं प्रमोशन की जरूरत है। बहरहाल, अभी तो ऐसा ही लगता है मानों मात्र मोदी-विरोध ही किसी भी व्यक्ति के लिए मुफ्त में प्रमोशन पाने का सबसे आसान तरीका रह गया है।

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