पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने वाले 111 ‘गरीब’ किसानों की कौन कर रहा है फंडिंग?

पीएम मोदी किसान वाराणसी

PC : (PC: Indian Express)

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी पर्व आने वाला है और सभी पार्टियाँ बड़े जोर-शोर से अपने प्रचार में लगी है। सभी पार्टियों द्वारा अपने विरोधियों को पटखनी देने के लिए नए-नए तरीकों का इजाद किया जा रहा है। इसी बीच पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से एक चौंकाने वाली घटना सामने आयी है। दरअसल तमिल नाडु के 111 किसानों ने पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। तमिल नाडु के किसान नेता पी. अय्याकन्नू ने शनिवार को धमकी दी कि यदि भाजपा द्वारा अपने घोषणापत्र में कृषि उपज का लाभकारी मूल्य देने समेत उनकी अन्य मांगों को नहीं माना गया तो राज्य के 111 किसान पीएम मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगे। उसने यह भी कहा कि अगर भाजपा उनकी मांगों को मान लेती है तो वे अपने इस फैसले को वापस ले लेंगे।

अगर आप किसानों के इस आंदोलन को एक सामान्य आंदोलन समझ रहे हैं तो आप ग़लतफ़हमी में हैं। इस आंदोलन को दरअसल इसमें शामिल होने वाले लोग इसे विशेष बनाते हैं। स्वघोषित किसान नेता अय्याकन्नू के समूह के कईं किसान इससे पहले दिल्ली में जाकर भी धरना प्रदर्शन दे चुके हैं।  वे देश की राजधानी में आकर ‘ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोर्डिनेशन कमिटी’ के बैनर तले मोदी सरकार के खिलाफ हुंकार भर चुके हैं। हालाँकि यह प्रदर्शन तब विवादों में आया था जब इसमें शामिल कईं ‘किसान’ पैसा लेकर सिर्फ फोटो खिंचाने स्टेज पर पहुंचे हुए थे। इतना ही नहीं, किसान संघर्ष कोर्डिनेशन कमिटी का खुद कम्युनिस्ट समूहों के साथ जुड़ाव भी सत्यापित किया गया था। यानि कुल मिलाकर राजनीति से प्रेरित उस ‘किसान आंदोलन’ का आयोजन किया गया था और देश की मीडिया ने इसे खूब प्रकाशित भी किया था।

गरीब किसानों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने वाला अय्याकन्नू पेशे से एक वकील है और अपने क्षेत्र का जाना-माना गुंडा है तथा कईं बार रेत माफिया से जुड़े होने के आरोप भी उस पर लग चुके हैं। पिछले बार वह खबरों में तब आया था जब उसने एक महिला को थप्पड़ मारा था, और वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उस महिला ने गुंडे अय्याकन्नू को मंदिर में राजनीतिक विज्ञापन करने से रोका था। जब भाजपा के राष्ट्रिय सचिव एच राजा ने इस बात की निंदा की तो उसने उनको धमकाते हुए कहा था कि वे अब तमिल नाडु में खुले-आम नहीं घूम पाएंगे।

अपने आप को गरीब कहकर लाइमलाइट में छाए रहने वाले इन किसानों का वाराणसी से चुनाव लड़ने पर इसलिए भी सवाल उठाना लाज़मी है कि क्या ये ‘गरीब किसान’ नामांकन के लिए दी जाने वाली 25,000 रुपये की सुरक्षा राशि को अदा करने में सक्षम हैं? इसको लेकर एक ट्विटर यूज़र ने बड़ा अहम् ट्वीट किया है,”तथाकथित किसान एवं पेशे से लोगों को भड़काने वाले अय्याकन्नू ने वाराणसी से 111 किसानों का नामांकन भरने का ऐलान किया है। एक व्यक्ति के नामांकन भरने की जमा राशि है 25,000 रुपये। क्या ये गरीब किसान 111 किसानों के नाम के 27 लाख 75 हजार रुपये देने में सक्षम हैं, इन्हे कौन पैसा दे रहा है?”

सवाल लाज़मी भी है। क्या यह किसानों की आवाज़ उठाने की कोई मुहीम है या फिर अपने राजनीतिक प्रोपेगंडा चलाने के लिए फिर से कम्युनिस्टों द्वारा गरीब किसानों को मोहरा बनाया जा रहा है। अगर वाकई ऐसा है तो यह देश के किसानों एवं लोकतान्त्रिक प्रणाली में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए किसी झटके से कम नहीं है।

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