100 फिल्म मेकर्स मोदी के खिलाफ एकजुट, कहा, BJP को न करें ‘वोट’

फिल्म मेकर्स पीएम मोदी

PC: boltahindustan

देश की राजनीति में इन दिनों बॉलीवुड का भी रंग देखने को मिल रहा है। जहां एक तरफ पीएम मोदी से कई बड़े सितारे मुलाकात करने को लेकर चर्चा में थे वहीं दूसरी तरफ कुछ फिल्मकारों का एक अलग ही रुप देखने को मिल रहा है। द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार देशभर के तकरीबन 100 फिल्म मेकर्स ने आगामी लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को वोट न देने की अपील की है। इनमें से अधिकांश स्वतंत्र फिल्म निर्माता हैं। इन फिल्म मेकर्स के अनुसार मोदी सरकार के शासनकाल में देश में लोकतंत्र खतरे में है। इन सभी के मुताबिक बीजेपी के शासनकाल में ध्रुवीकरण और नफरत की राजनीति में बढ़ोत्तरी हुई है। ये सभी फिल्म मेकर्स लोकतंत्र बचाओ के तहत एकजुट हुए है। ये सभी वो फिल्म मेकर्स हैं जिनकी फिल्में बक्स ऑफिस पर कुछ कमाल भी नहीं दिखा पाती। ऐसा लगता है कि पब्लिसिटी के लिए ये फिल्म मेकर्स इस तरह की अपील कर रहे हैं। हालांकि, किसी भी फिल्ममेकर्स ने इस रिपोर्ट को लेकर अभी तक कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक जो फिल्म निर्माता बीजेपी का विरोध कर रहे हैं उनमें आनंद पटवर्धन, एसएस शशिधरन, सुदेवन, दीपा धनराज, गुरविंदर सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, कबीर सिंह चौधरी, अंजलि मोंटेइरो, प्रवीण मोरछले देवाशीष मखीजा और उत्सव के निर्देशक और संपादक बीना पॉप जैसे नामी फिल्मकार भी शामिल हैं। इन सभी का मानना है कि मोदी सरकार में धुव्रीकरण और घृणा की राजनीति में बढ़ोतरी हुई है। दलितों, मुसलमान और किसान हाशिए पर हैं। बीजेपी पर आरोप में ये भी कहा कि साल 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से देश का धार्मिक रूप से धुव्रीकरण किया किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के विरोध में की गयी इस संयुक्त अपील में कहा गया है कि, “हम सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से अलग हैं पर हम हमेशा एकजुट रहे हैं। एक राष्ट्र के रूप में। इस बेहतरीन देश के नागरिक होने पर हमेशा गर्व है।” इसके साथ इन फिल्म मेकर्स ने देश की जनता से बीजेपी के खिलाफ वोट करने और ऐसी सरकार चुनने की अपील की है जो भारत के संविधान का सम्मान करती है, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करती है। हालांकि, इन फिल्म निर्माताओं ने ये नहीं बताया कि वो किस पार्टी की बात कर रहे हैं जो भारत के संविधान का सम्मान करती है, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करती है। 

हालांकि, इन फिल्म निर्माताओं में आनंद पटवर्धन, दीपा धनराज जैसे कुछ ऐसे नाम भी हैं जिनका विवादों से या तो नाता रहा है या अपनी फिल्मों के लिए ये सुर्ख़ियों में रहे हैं। फ़िल्मकार आनंद पटवर्धन अयोध्या विवाद की पृष्ठभूमि पर एक फिल्म बनाई थी जिसे यूट्यूब पर बैन भी किया गया था। राम को लेकर उनके विचार हिंदू विरोधी थे। इसके अलावा जब पीएम मोदी के साथ साल के शुरुआत में कई बड़े सितारों के साथ फोटो वायरल हुई थी तब बॉलीवुड को न समझ और कमजोर कहा था। वहीं मशहूर दस्तावेज़ी फ़िल्मकार दीपा धनराज ने रोहित वेमुला और दलित छात्र आन्दोलन दस्तावेज़ी फ़िल्म ‘वी हैव नॉट कम हेयर टू डाई’ बनाई थी। रोहित वेमुला हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र थे जिनकी खुदखुशी के बाद इस मामले को दलित जाति से जोड़कर राजनीतिकरण किया गया था। जबकि जांच में ये साबित हुआ था कि रोहित वेमुला दलित था ही नहीं। ऐसा लगता है दीपा ने भी इस फिल्म के जरिये अपना हित साधने का प्रयास जरुर किया।इन निर्माताओं ने जिस तरह से अपने फायदे के लिए और अपना एजेंडा साधने के लिए देश की जनता से अपील की है वो शर्मनाक है।

वहीं, जब देश के प्रधानमंत्री से राष्ट्र निर्माण में फिल्मों के योगदान को लेकर बॉलीवुड स्टार्स के साथ चर्चा कर रहे थे तब ये सभी फिल्म मेकर्स गायब थे। राष्ट्र निर्माण में भले ये फिल्म मेकर्स अपना योगदान न दें लेकिन आम जनता को भड़काने और झूठे राग अलापने का काम बखूबी कर रहे हैं। देश में जिस गति के साथ बड़े विकास कार्य किये गये हैं वो इन सभी को नजर नहीं आते। ये सभी तब कहां थे जब विपक्ष देश की सेना पर सवाल उठा रही थी? तब कहां थे जब दलित समुदाय को भड़काने का विपक्ष काम कर रहा था? वास्तव में ये सभी पीएम मोदी के खिलाफ अपनी नफरत के कारण आम जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं।

अगर द हिंदू की इस रिपोर्ट में सच्चाई है तो हम इन फिल्म मेकर्स से यही कहना चाहेंगे कि 2014 के लोकसभा चुनाव में आम जनता ने नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री चुनाव था। ऐसे में पीएम मोदी एक बार फिर से देश के प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं ये आम जनता पर छोड़ दीजिये। आगामी लोकसभा चुनाव के नतीजों के सामने आते ही आप सभी जनता का जवाब भी मिल जायेगा।

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