वाराणसी ही नहीं बल्कि बिहार की इस धार्मिक नगरी में भी 5 सालों में हुआ है अभूतपूर्व विकास

गया केंद्र

(PC:superbindiatours.com)

भारत का इतिहास शहरों की कहानी है, शहरीकरण का उदय और पतन। लेकिन शहरों की कहानी हमारे इतिहास की किताबों में दिलचस्प तरीके से नहीं बताई गई है। आर्थिक-उदारीकरण के बाद से, देश में शहरों की कहानी वास्तव में फिर से शुरू हुई है। आने वाले दशकों में, कई शहर प्रमुखता से बढ़ेंगे और कईं शहरों का पतन होगा। अगर हम इतिहास की बात करें, तो पूरी मानव सभ्यता शहरीकरण के उदय तथा पतन के बारे में ही है। जब भी मानव ने प्रगति की है, शहरों की प्रगति भी प्रमुखता से हुई है। चाहे वह सिंधु घाटी की सभ्यता हो या महान गुप्त साम्राज्य, जिसे भारत का स्वर्ण युग माना जाता है, इन सभी महान सभ्यताओं के केंद्र में शहरीकरण ही था।

गया, बिहार राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर और मगध डिवीजन की राजधानी, मोदी सरकार की राष्ट्रीय विरासत शहर विकास और वृद्धि योजना (HRIDAY) के तहत अब पूरी तरह बदल दिया गया है। यह शहर सभी धर्मों (हिंदू, जैन और बौद्ध) के लिए महत्वपूर्ण रहा है और रामायण व महाभारत में भी इसका वर्णन हुआ है। यह वह स्थान है जहाँ बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ और यहीं भगवान राम ने पिता दशरथ का पिंडदान किया। यह बौद्ध धर्म में चार पवित्र जगहों में से एक है और महाबोधि मंदिर परिसर भी यहाँ स्थित है। 2015 में शुरू की गई HRDAY योजना के तहत इस शहर को 40.04 करोड़ रुपये का कोष आवंटित किया गया था।

मोदी सरकार ने इस योजना में 12 शहरों (अजमेर, अमरावती, अमृतसर, बादामी, द्वारका, गया, कांचीपुरम, मथुरा, पुरी, वाराणसी, वेलंकन्नी और वारंगल) की पहचान की थी और उनके कायाकल्प के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इसी के साथ राज्य सरकारों को भी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाले शहरों के लिए धन आवंटित करने के लिए कहा गया था। आइकन साइट विकास योजना के तहत, केंद्र सरकार अपने कॉर्पोरेट घरानों को विकास और सौंदर्यीकरण के लिए चयनित साइटों को आवंटित करती है। ये कॉरपोरेट घराने ही लागत वहन करते हैं, जबकि परियोजना संबंधित स्थान को प्रशासन द्वारा निर्धारित किया जाता है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को गया के विष्णुपद और सूरजकुंड के लिए चुना गया है। गया नगर आयुक्त विजय कुमार ने कहा ”हमने एक परियोजना तैयार की है और इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा है।”

भारत के लिए 21वीं सदी शहरीकरण की सदी होगी। नए अवसरों की तलाश के लिए गांवों से शहरों की ओर जाने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। शहर शिक्षा, रोजगार, सूचना और सामाजिक सशक्तिकरण के मामले में बेहतर जीवन स्तर प्रदान करते हैं। भारत, चीन और ब्राजील जैसे दुनिया के विकासशील देश तेजी से शहरीकरण कर रहे हैं। गांवों में लोगों के पास कृषि और छोटे व्यवसायों जैसे रोजगार के सीमित अवसर हैं, लेकिन कृषि आबादी के एक बड़े हिस्से को रोज़गार नहीं दे सकती क्योंकि उत्पादकता बहुत कम है।

मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई शहरी विकास योजनाएं स्मार्ट सिटी मिशन हैं जिसके तहत देश भर के 100 शहरों को तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए चुना गया था। एक अन्य योजना हाउसिंग फॉर ऑल है, जिसका मकसद वर्ष 2022 तक योग्य कमजोर वर्ग, और कम आय वाले समूहों को किफायती आवास प्रदान करना है। केंद्र सरकार द्वारा शहरी बुनियादी ढांचे जैसे शहरों में सीवेज नेटवर्क, और पानी की आपूर्ति के निर्माण के लिए तथा कायाकल्प और शहरी परिवर्तन (एएमआरयूटी) के लिए वर्ष 2015 में अटल मिशन भी शुरू किया गया। तकनीक और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे से लैस शहरी क्षेत्रों में रहने के लिए भारतीय लोगों के मन में भरपूर आत्मविश्वास है। शहरीकरण का घातीय विकास बताता है कि भारतीय सभ्यता एक बार फिर से फल-फूल रही है। इस सभ्यता ने इतिहास में कईं तरह की वृद्धि और गिरावट देखी है और भविष्य भी ऐसा ही होने की उम्मीद है। हम उम्मीद करते हैं कि विकास और शहरीकरण का यह सिलसिला लंबा चले।

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