जल्द ही भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता में बढ़ोत्तरी होने वाली है। इसके लिए सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के एक नए लाइटर संस्करण को भारतीय वायुसेना के फ्रंटलाइन फाइटर जेट्स, यानी सुखोई 30 एमकेयू में एकीकृत किया जाएगा। यह न केवल भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में बढ़ोत्तरी करेगा, बल्कि पाकिस्तान और चीन दोनों दुश्मन देशों द्वारा किये गए किसी भी संभाविकत हमले को विफल करते हुए उन्हें कड़ा जवाब देगा। यही नहीं इस मिसाइल का प्रयोग सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान कर भारत अपने दुश्मनों को तगड़ी क्षति पहुंचा सकता है। खास बात यह है कि, इस ब्रह्मोस एनजी मिसाइलों की कीमत मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल की आधी है।
बता दें कि, ब्रह्मोस मिसाइलें भारत और रूस के संयुक्त सहयोग से बनाई गई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें हैं। ब्रह्मोस-एनजी, जिसे वर्तमान में भारतीय वायुसेना में एकीकृत किया जाएगा, उसी का एक नया और हल्का संस्करण है। यह न केवल भारतीय वायुसेना की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करेगा, बल्कि दुश्मन सेनाओं की किसी भी नापाक योजना के लिए एक कठिन चुनौती बनेगा।
ब्रह्मोस एनजी 290 किलोमीटर की रेंज के साथ और 2.9 मैक की गति के साथ है जिसे अधिकतम 3.5 मैक की गति तक बढ़ाया जा सकता है। ब्रह्मोस एनजी मिसाइल का पहले ही एक आईएएफ सुखोई 30-एमकेआई से सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत अगली पीढ़ी की 5 ऐसी मिसाइलों को एकीकृत करने के लिए तैयार है, जो वायुसेना को बेजोड़ अग्नि शक्ति प्रदान करेंगी। शुरुआत में, यह हल्के लड़ाकू विमान, एचएएल तेजस के साथ एकीकृत की जाएगी। बाद में इन मिसाइलों को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना के सुखोई लड़ाकू जेट के शस्त्रागार में शामिल किया जाएगा।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और एमडी, सुधीर मिश्रा ने बताया है कि, ‘नई ब्रह्मोस एनजी मिसाइलें भारतीय वायु सेना को भविष्य में विश्व भर में एक वायु प्रभुत्व प्रदान करेंगी। डीआरडीओ द्वारा ब्रह्मोस एनजी की डिजाइन और डेवलपमेंट पर काम हो रहा है। इसके लिए कुछ तकनीक रूस से आएगी, क्योंकि ब्रह्मोस एक इंडो-रशियन जॉइंट वेंचर है। फिर भी नई ब्रह्मोस एनजी मिसाइलें बड़े रूप से मेक इन इंडिया उत्पाद होंगे। नई ब्रह्मोस मिसाइल की लागत मौजूदा मिसाइल की आधी होगी।’ साथ ही सुधीर मिश्रा ने बताया कि इस मिसाइल को विभिन्न प्लेटफॉर्म से छोड़ा जा सकेगा। डीआरडीओ में इलेक्ट्रोनिक्स और संचार प्रणाली के महानिदेशक जे. मंजुला ने बताया कि डीआरडीओ लंबी दूरी के राडार पर काम कर रहा है जो 1000 किलोमीटर को कवर कर सके। वहीं डीआरडीओ वैज्ञानिक सलाहकार जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि उस एंटी टैंक मिसाइल पर काम किया जा रहा है जिसे हेलीकॉप्टर के साथ ही जमीन से भी दागा जा सके।
यही नहीं, ब्रह्मोस-एनजी पूरी तरह से यूनीक और अद्वितीय है। यह मिसाइल AWACS (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोलिंग सिस्टम), दुश्मन के विमानों के परिवहन और ईंधन भरने की सुविधाओं से उत्पन्न खतरों को बेअसर करने में भी सक्षम है। यह मिसाइल देश की सैन्य शक्ति में एक बड़ा कदम हैं। आतंकवाद के मौजूदा खतरों से निपटने में भी यह बेहद कारगार रहेगी। ब्रह्मोस-एनजी भारत को ’बियॉन्ड द विजुअल रेंज’ की एक फायरिंग क्षमता भी देगी। इस तरह, बिना किसी परेशानी के बेहद घातक क्रास बॉर्डर सर्जिकल स्ट्राइक करने में ऐसी मिसाइलों का शामिल होना बेहद उपयोगी साबित होगा। सच कहें तो भारतीय वायु सेना के लिए इस तरह की सैन्य क्षमता की बड़े लंबे समय से आवश्यक्ता थी। केंद्र सरकार और डीआरडीओ द्वारा द्वारा उठाए गए इस कदम की लंबे समय से जरूरत थी। इसके बाद हम उम्मीद कर सकते हैं कि, भारतीय वायुसेना हमारी सीमाओं को किसी भी प्रकार के बाहरी खतरे से बचाए रखेगी।