जयाप्रदा के लिए अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने वाले नेता फिरोज खान के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए

जयाप्रदा फिरोज खान सपा

PC: Journalist Cafe

राजनीति अपनी जगह है और किसी महिला का सम्मान अपनी जगह। किसी नेता या किसी भी व्यक्ति को नारी का अपमान करने या उसके चरित्र पर हमला करने का कोई हक नहीं होता लेकिन आज की राजनीति में जब नेताओं को मुद्दे नहीं मिलते तो एक महिला नेता पर अभद्र टिप्पणी करना शुरू कर देते हैं। चाहे वो हेमा मालिनी हो स्मृति ईरानी। विपक्षी दल कोई मौका नहीं छोड़ते एक्टर से नेता बनी महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने या चरित्र पर हमला करने का। एक बार फिर से शर्मनाक तरीके से समाजवादी पार्टी के एक नेता यही किया है। संभल से सपा के जिलाध्यक्ष फिरोज खान बीजेपी द्वारा जयाप्रदा को रामपुर सीट से उम्मीदवार घोषित किये जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अब रामपुर की रातें काफी रंगीन हो जाएंगी।

इस विवादित बोल से जहां सपा नेता की गंदी मानसिकता सामने आई है वहीं, सपा हाई कमान और लेफ्ट लिबरल्स की चुप्पी ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। दरअसल, सपा से रामपुर से दो बार सांसद रही चुकीं जयाप्रदा के रामपुर से बीजेपी की प्रत्याशी घोषित होने के बाद सपा नेताओं के बिगड़े बोल सामने आने लगे हैं। अब संभल से सपा के जिलाध्यक्ष फिरोज खान ने अभिनेत्री से नेता बनी जया प्रदा को लेकर अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा, “रामपुर की शामें रंगीन हो जायेंगी अब जब चुनावी माहौल चलेगा। अब कोई अपने को गुंडी बतादे, कोई नाचने का काम करे वो उनका अपना पेशा है।” फिरोज खान ने ये तक कह दिया कि ‘रामपुर के लोग मज़े लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे क्योंकि उन्हें मौके एक बार मिला है।‘ फिरोज खान के इस अमर्यादित भाषा पर अभी तक सपा पार्टी के हाई कमान की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

वैसे ये कोई पहली बार नहीं है जब अभिनेत्री से नेता बनीं बीजेपी प्रत्याशी पर इस तरह से विपक्षी दलों की अभद्र टिप्पणी सामने आई हो। कांग्रेसी तो केंद्रीय वस्त्र और सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी पर खुलकर ‘बॉडी शेमिंग’ वाली टिप्पणी करते रहे हैं। वो उनपर अभद्र टिप्पणी करते रहे हैं ऐसी जो एक महिला के सम्मान को ठेस पहुंचता है।  साल 2015 में असम में एक बैठक के दौरान कांग्रेस के नेता नीलमणि सेन डेका और विधायक रूप ज्‍योति कुर्मी ने स्‍मृति ईरानी पर भद्दी टिप्पणी करते हुए उन्‍हें मोदी की दूसरी पत्‍नी कहा था। हिमाचल प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे नीरज भारती ने फेक न्यूज फैलाया और स्मृति ईरानी पर ‘बॉडी शेमिंग’ वाली टिप्पणी की और कहा, “कांग्रेसियों का बाद में देखेंगे.. पर पहले ये तो बता दो कि बीजेपी में किस-किस को नंगा किया है आजतक।”  यही नहीं सपा के फायरब्रांड नेता आजम खान तो केवल मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को ‘सुंदर महिला’ कहकर संबोधित कर चुके हैं और उनपर व्यंगात्मक लहजे में कटाक्ष भी कर चुके हैं। इसके अलावा आजम खान ने जयाप्रदा पर अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा था, “रामपुर में आई आम्रपाली की नाचने वाली भी सांसद बन गयी थी, पूरी दुनिया ने उनका डांस देखा, लेकिन कमनसीब रामपुर वाले उनका एक ठुमका भी नहीं देख पाए।”

शर्मनाक तरीके से ये नेता अक्सर स्मृति ईरानी और जयाप्रदा पर इस तरह की अभद्र टिप्पणी करते रह हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ जब बॉलीवुड एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर कांग्रेस में शामिल हुई और अपनी राजनीति की नयी पारी शुरू की तो कोई भी इनके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं कर रहा। कांग्रेस नेता और सपा को अब उर्मिला मातोंडकर नाचने वाली नहीं लगती बल्कि एक महिला नेता हैं। चूंकि गठबंधन है बीजेपी को हराना है तो सिनेमा के मैदान से सियासत के मैदान में उतरी उर्मिला मातोंडकर के खिलाफ कुछ भी कहना गलत होगा, इससे उनका मनोबल गिरेगा। या शायद इसलिए की वो अभी नयी नवेली हैं और अभी राजनीति में उनका ग्राफ शून्य के बराबर है। खैर, वजह जो भी हो हम ये नहीं कह रहे कि उर्मिला मातोंडकर या किसी भी महिला का अपमान करना सही है बस ये बताना चाह रहे हैं कि अगर सम्मान नहीं दे सकते तो कृपया किसी महिला के चरित्र पर भी चोट न ही करें तो अच्छा है।  वहीं, फेमिनिस्ट का राग अलापने वाला लेफ्ट-लिबरल गैंग और कुछ वामपंथी मीडिया इन नेताओं का विरोध नहीं करते।

वास्तव में बीजेपी जिस तरह से देश की जनता के दिलों में अपनी जड़ों को मजबूत कर रही है। बीजेपी महिला प्रत्याशी जिस तरह से काम कर अपने क्षेत्र में पार्टी की जड़ों को मजबूत करने का काम कर रही हैं उससे विपक्षी दलों में इतनी हलचल है कि वो अब इन्हें रोकने के लिए उनके उन्हें नीचा दिखाने के लिए उनके पहनावे तो कभी उनके चरित्र पर हमला करते रहे हैं। इसपर कभी खुलकर किसी भी वामपंथी मीडिया या फेमिनिस्ट के ठेकेदारों ने टिप्पणी नहीं की न ही इसका विरोध किया लेकिन क्यों? क्या वो एक महिला नहीं है? चूंकि वो एक नेता है तो क्या उनका अपना कोई सम्मान नहीं है? क्योंकि वो राजनीति में है इसका मतलब ये नहीं है कि उनके सम्मान पर की जा रही टिप्पणी सही है या राजनीति का हिस्सा है। किसी भी महिला के चरित्र और उसके पहनावे पर सवाल उठाना कभी राजनीति का हिस्सा नहीं हो सकता है। ऐसे में महिलाओं का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। 

अगर आपका कहना है कि ये राजनीति का हिस्सा है तो बता दें कि देश का कोई कानून या नियम किसी भी महिला का अपमान करने या उसपर अभद्र टिप्पणी करने या किसी भी अश्लील हरकत करने की इजाजत नहीं देता है।

राजनीति के नाम पर टीवी जगत या फिल्मी जगत से राजनीति में आयीं महिला नेताओं पर ये हमले बार-बार किये गये हैं।अब इस लोकसभा चुनाव में आपको तय करना है कि किसी भी महिला नेता पर इस तरह से खुलेआम हमले करने वाले फिरोज खान जैसे नेट जनता का प्रतिनिधित्व करने लायक हैं या नहीं।

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