पाक में हिन्दू लड़कियों के अगवा और धर्मांतरण मामले में मलाला युसुफ़ज़ई ने साधी चुप्पी

मलाला हिंदू

(PC: feminisminindia)

जब भारत होली के रंगो में सराबोर था, पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक हिंदू परिवार में मातम का माहौल था। इस घर की दो बेटियों का अपहरण कर के मुस्लिम पुरुषों से उनकी जबरन शादी करवा दी गयी। ऐसे में एक भारतीय ने ट्विटर और नोबेल प्राइज विनर और स्वघोषित विमेंस राइट्स एक्टिविस्ट मलाला युसुफ़ज़ई को टैग कर के पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों के यौन शोषण, धर्मान्तरण और जबरन शादी करवाए जाने का विरोध करने और आवाज उठाने के लिए कहा। इस ट्वीट पर एक्टिविस्ट मलाला युसुफ़ज़ई की प्रतिक्रिया उम्मीद के बिलकुल विपरीत थी। मलाला ने उस यूजर को ही ब्लॉक कर दिया!

https://twitter.com/dianoeticpriest/status/1109751239229820928

दरअसल, ट्विटर यूजर ने अपने ट्वीट में मलाला से कहा था, “आप की ही उम्र की दो हिंदू लड़कियों को उनके घर से अगवा कर लिया गया और उनके साथ बदसलूकी गयी। इसके बाद धर्म परिवर्तन कर उनका निकाह करवा दिया गया। पूरी  दुनिया ने इस्लामवादियों के इस बर्बरता को देखा। कृपया उन दो गरीब हिंदू लड़कियों का समर्थन करें। धन्यवाद! इस ट्वीट के बाद मलाला ने इस यूजर को ही ब्लॉक कर दिया। ताज्जुब की बात तो ये है कि नारी सशक्तिकरण की बता करने वाली मलाला युसुफ़ज़ई ने कोई जवाब देना जरुरी नहीं समझा और न ही इस मुद्दे की गंभीरता को समझा सीधे यूजर को ही ब्लॉक कर दिया।

इस वाकये के बाद कई सवाल उठते हैं कि क्या मलाला जिन्हें अक्सर नारी सशक्तिकरण के एक ज़िंदा मिसाल के तौर पर दिखाया जाता है। यहां तक कि  पाकिस्तान में नारियों को शिक्षित करने की उनकी मुहीम को बढ़ा-चढ़ा कर बताया जाता है वो सिर्फ एक दिखावा है? क्या मलाला सच में एक एक्टिविस्ट हैं या एक ढकोसला?

बता दें कि मलाला कश्मीरियों के ऊपर हो रहे सो-कॉल्ड ह्यूमन राइट्स वायलेशन की मुखर विरोधी रही हैं, लेकिन वहीं बलूचिस्तान में कत्ले आम पर कुछ बोलने से बचती हैं। रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार पर भी मलाला ने काफी कुछ कहा है लेकिन उन्हीं रोहिंगयाओं के द्वारा भारत और म्यांमार में की जाने वाली हिंसा पर कुछ भी बोलने से बचती रही हैं। इंग्लैंड में बैठ कर पाकिस्तान में नारी सशक्तिकरण का काम करने वाली मलाला का हिंदु लड़कियों के प्रति ये रुख होगा किसी ने नहीं सोचा था। 

जानी-मानी पत्रकार आरती टिकू सिंह ने भी मलाला से इस मामले पर बोलने के लिए अनुरोध किया। सिंह ने लिखा, “मलाला जी यदि आपके पास अपने बिजी शेड्यूल में थोडा भी खाली समय हो तो अपनी आवाज रवीना और रीना जैसी उन कई लड़कियों के लिए उठाएं जिनका जबरदस्ती धर्म परिवर्तित किया जाता है और निकाह करवा दिया जाता है। उनका रेप किया जाता है। कृपया उनके असहाय पिता की सुनें और पाकिस्तान आर्मी से इसपर जवाब मांगें।”

इस ट्वीट पर भी मलाला ने चुप्पी साधी रखी। इसके बाद अपने एक अन्य ट्वीट में सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मलाला के साथ खड़ा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या मलाला सिर्फ पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की उत्पीड़ित लड़कियों और महिलाओं के साथ खड़ी हैं? ऐसा लगता है कि पाकिस्तान में नारी सशक्तिकरण को लेकर भी भेदभाव किया जाता है। वहां अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। हिंदू महिलाओं के साथ भी भेदभाव किया जाता है। फिर भी मलाला उनके साथ खड़ी नहीं हैं।

वास्तव में अर्थशास्त्र और शान्ति के लिए दिया जाने वाला नोबेल पुरस्कार सिर्फ एक राजनैतिक टूल है। अब ये बाद मलाला की प्रतिक्रिया को भी देखकर साफ़ हो गयी है। ये शर्मनाक है कि नोबेल पुरस्कार विजेता इस तरह से एक गंभीर मामले से खुद को किनारे कर लिया।

Exit mobile version