न्यू यॉर्क टाइम्स ने कार्टून छाप उड़ाया था भारत का मजाक, मिशन शक्ति से मिला जवाब

न्यू यॉर्क टाइम्स भारत

कल पीएम मोदी ने देश के नाम अपने सम्बोधन में यह ऐलान किया था कि भारत ने सफलतापूर्वक ‘मिशन शक्ति’ का परिक्षण कर लिया है जिसमें भारत ने अंतरिक्ष में मौजूद एक निर्धारित सक्रिय उपग्रह को मार गिराया। भारत इस उपलब्धि के साथ ऐसी तकनीक विकसित करने वाला विश्व का चौथा देश बन चुका है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ऐसा करने में सफल हो चुके हैं। पीएम मोदी के इस ऐलान के बाद देशभर में बड़ी उत्सुकता से इस मिशन की चर्चा की जाने लगी।  पश्चिमी मीडिया की भी इस पर प्रतिक्रिया आई लेकिन अमेरिका के एक स्थापित अख़बार न्यू यॉर्क टाइम्स ने हमेशा की तरह अपने पूर्वाग्रहों के चलते भारत की इस सफलता को भी शक की निगाहों से देखा और इसका मज़ाक बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत के लोगों ने उसका ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया जिसे इस अख़बार के होश ठिकाने आ गए।

दरअसल, भारत की इस सफलता पर सवाल उठाते हुए न्यू यॉर्क टाइम्स ने ट्वीट किया ”भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने यह एलान किया है कि भारत ने अंतरिक्ष के ‘लोअर ऑर्बिट’ में मौजूद एक सक्रिय उपग्रह को मार गिराया है। अगर इसकी पुष्टि होती है, तो भारत तीन देशों के उस छोटे क्लब में शामिल हो जाएगा, जिनके पास अंतरिक्ष में अपने लक्ष्यों को तबाह करने की तकनीक है।”

अपने इस ट्वीट में उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया की कही बात पर संशय जताते हुए अभी पुष्टि न होने के बात कही है। अब यहां सवाल यह उठता है कि देश के पीएम की कही बातों पर सवाल उठाकर न्यू यॉर्क टाइम्स आखिर क्या साबित करना चाहता है? इतना ही नहीं, न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में इस परिक्षण की टाइमिंग पर भी सवाल उठाये हैं। अख़बार ने लिखा है कि ”बालाकोट में भारत द्वारा एयर स्ट्राइक्स के एक महीने बाद वह खबर पुरानी हो चुकी थी, इसलिए अपने वोटर्स में दोबारा जोश भरने के लिए पीएम मोदी ने खुद इस बात का ऐलान किया। हालांकि, भारत के लोग यह जल्द ही समझ गए की पीएम मोदी अपनी राजनीतिक जरूरतों के मद्देनजर ऐसा कर रहे हैं, उनकी रैलियों में आजकल भीड़ कम आ रही है।”

नई यॉर्क टाइम्स के इस आपत्तिजनक ट्वीट पर भारत के लोगों ने जमकर हमला बोला। ट्विटर यूज़र अमृता भिंडर ने इसके जवाब में लिखा ”इतिहास में अपने पूर्वाग्रहों के चलते खबरे छापने वाले न्यू यॉर्क टाइम्स के लिए सफल मिशन शक्ति की खबर चलाना बेहद मुश्किल रहा होगा, है ना?”

एक अन्य यूज़र ने लिखा ”अगर पुष्टि होती है?, पीएम के ऐलान के बाद भी इसको किसके प्रमाण की आवश्यकता है? थानोस की?”

 

जैसा हमने आपको बताया कि ऐसा पहली बार नहीं है जब न्यू यॉर्क टाइम्स ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को लेकर पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की है। इससे पहले वर्ष 2014 में जब भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपने पहले ही प्रयास में सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर अपना ऑर्बिटर भेजा था, तब भी न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक आपत्तिजनक कार्टून को छापकर भारत के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया था। दरअसल, अपने कार्टून में इस अख़बार ने भारत की गरीबी का मज़ाक उड़ाते हुए एक किसान को उसकी गाय के साथ उस ‘एलिट ग्रुप’ के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए दिखाया था जिसमें कुछ ‘अमीर’ लोग बैठकर भारत की इस सफलता की खबर पढ़ रहे थे। इस आपत्तिजनक कार्टून पर भारत के लोगों द्वारा इतना जबरदस्त विरोध जताया गया कि कुछ समय के बाद अख़बार को एक सफाई जारी करनी पड़ी ”हमारे कार्टूनिस्ट हेंग किम सॉन्ग बस यह दिखाना चाहते थे कि स्पेस एक्सप्लोरेशन सिर्फ अमेरिका, रूस जैसे अमीर देशों तक सीमित नहीं रह गया, फिर भी अगर किसी को हमारे इस कार्टून से ठेस पहुंची है, हम उससे माफ़ी मांगते हैं।”  

बात यहीं नहीं रुकी, इसके बाद वर्ष 2017 में ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ ने अपने अख़बार में एक कार्टून को छापकर न्यू यॉर्क टाइम्स को मुंहतोड़ जवाब दिया। दरअसल, इसरो ने अपने एक रॉकेट में एकसाथ 104 उपग्रहों को लॉन्च करके विश्व रिकॉर्ड बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया था। इससे पहले रूस की राष्ट्रीय स्पेस एजेंसी के नाम यह रिकॉर्ड दर्ज था जिसने एक बार में 37 उपग्रहों को लॉन्च किया था। इसरो ने रूस के एक साथ कार्टूनिस्ट संदीप अधवर्यु द्वारा बनाए गए इस कार्टून में एक भारतीय किसान को अपनी गाय के साथ ‘एलीट स्पेस क्लब’ में अकेले बैठे दिखाया गया जबकि दो ‘अमीर लोगों’ को बाहर खड़ा दिखाया गया, जिन्होंने अपने हाथ में मिसाइल पकड़ी हुई थी।

जाहिर है कि हमेशा पूरे विश्व को पश्चिमी देशों की जागीर समझने वाली पश्चिमी मीडिया को यह फूटी आंख भी नहीं सुहाता कि कोई भारत जैसा तथाकथित ‘गरीब एवं पिछड़ा देश’ अपने बल-बूते कोई ऐसी तकनीक हासिल कर ले जो उस देश को ‘ताकतवर’ पश्चिमी देशों के साथ लाकर खड़ा कर दे या उससे ज्यादा बेहतर हो। लेकिन हमें लगता है कि न्यू यॉर्क टाइम्स जैसे अख़बार को अब ऐसे ‘झटकों’ की आदत डाल लेनी चाहिए, क्योंकि ये नया भारत है, यह आंख दिखाना भी जानता है और सामने वाली की आंख बखूबी निकालना भी जानता है।

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