प्रियंका गांधी की उपस्तिथि में लगे मोदी के नारे, देश की जनता का मूड कांग्रेस के खिलाफ है

प्रियंका गांधी

PC: Khabar India TV

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपने पूर्वांचल के दौरे पर हैं। वे कल मिर्ज़ापुर पहुंचीं जहां वे विंध्यवासिनी मंदिर में दर्शन करने के लिए आई थीं लेकिन लोगों ने उनका स्वागत ‘मोदी-मोदी’ के नारे से किया। दरअसल, जिस वक्त प्रियंका गांधी मंदिर में दर्शन कर रहीं थीं, ठीक उसी वक्त बाहर इकठ्ठा हुए भक्तों ने मोदी के समर्थन में नारे लगाना शुरू कर दिया। बाहर खड़े लोगों ने ‘प्रियंका गांधी मुर्दाबाद’ के नारे भी लगाए। इस घटना का पूरा वीडियो एएनआई ने अपने ट्विटर पेज पर शेयर किया है।

इससे पहले कर्नाटक में कल राहुल गांधी की रैली में भी कुछ लोगों ने मोदी के समर्थन में नारे लगाए थे, जिसके बाद वहां मौजूद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। कांग्रेस की रैलियों में भाजपा अथवा मोदी के समर्थन में नारे लगाना आगामी लोकसभा चुनावों की दिशा एवं दशा को भली भांति दर्शाता है। उत्तर प्रदेश समेत देश के सभी राज्यों में कांग्रेस की दयनीय स्थिति है, जिसके बाद कांग्रेस ने अपने सबसे आकर्षक चेहरे प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतारने का मन बनाया था, लेकिन ऐसी घटनाओं का लगातर सामने आना यह साबित करता है कि उत्तर प्रदेश में प्रियंका फैक्टर पूरी तरह फ्लॉप हो गया है।

प्रियंका गांधी ने मिर्ज़ापुर में बोट यात्रा भी की थी, जिसकी एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। इस वीडियो में प्रियंका गांधी चुनिंदा लोगों की तरफ बड़े जोर-शोर से हाथ हिलाते हुए दिखाई दे रहीं हैं।

इस पर एक यूज़र ने चुटकी लेते हुए लिखा “भयंकर भीड़।“

https://twitter.com/rishibagree/status/1107634591555215360

प्रियंका गांधी को कांग्रेस में लाने का एक बड़ा कारण पार्टी को मज़बूत नेतृत्व देना था, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके भाई राहुल की तरह ही उनका नेतृत्व पार्टी में किसी को रास नहीं आ रहा है। इसका नतीजा यह है कि पिछले कुछ समय से लगातार बड़े नेताओं द्वारा पार्टी से किनारा करने की वजह से कांग्रेस पार्टी की हालत पहले से काफी कमज़ोर हो चुकी है। देशभर के बड़े नेता पार्टी के आलाकमान से असंतुष्ट होकर पार्टी का ‘हाथ छोड़ रहें हैं जिससे एक तरफ तो पार्टी का जनाधार कमज़ोर हुआ है वहीं दूसरी ओर प्रचार अभियान को भी गहरा झटका पहुंचा है। कांग्रेस के नेतृत्व की कमज़ोरी का सबसे बड़ा सबूत तो यह है कि अब तक देश के 6 राज्यों के अब तक लगभग 17 बड़े नेता देश की सबसे पुरानी पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं।

अब जिस पार्टी से उनके खुद के नेता ही खुश ना हो, उससे आम जनता भला कैसे खुश रह सकती है? देश पहले ही कांग्रेस राज के 60 सालों में भारत की दुर्दशा देख चुका है। ऐसी घटनाओं से देश का मूड बखूबी भांपा जा सकता है। कांग्रेस पार्टी अपना वोटबैंक बढ़ाने के लिए एक तरफ तो गठबंधन की तलाश में है, तो वहीं दूसरी तरफ उसका अपना जनाधार खतरे में है, ऐसे में कांग्रेस आम चुनाव से पहले ही हारती हुई नजर आ रही है।

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