सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर के त्राल सेक्टर में एक मुठभेड़ के दौरान दो आतंकियों को मार गिराया। इनमे से एक आतंकी पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। मुदस्सिर अहमद खान नाम का यह आतंकवादी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ था। पुलिस के मुताबिक यह आतंकी त्राल के ही मीर मोहल्ला का निवासी था। साल 2017 से पहले तक मुदस्सिर खान इस आतंकी संगठन के ग्राउंड वर्कर के तौर पर काम कर रहा था, जिसे बाद में कश्मीर के ही एक अन्य आतंकी नूर मोहम्मद तांत्रे द्वारा मुख्य आतंकवादी संगठन में शामिल किया गया था। अधिकारियों का कहना है कि वह आत्मघाती आतंकी आदिल अहमद डार के लगातार संपर्क में था। आदिल ने ही सीआरपीएफ के काफिले में चल रही बस में विस्फोटकों से लदी कार से टक्कर मारी थी।
बाद में साल 2017 में ही सुरक्षाबलों द्वारा आतंकी तांत्रे को मार गिराया गया जिसके बाद खान हताश होकर घर से भाग गया। आतंकी खान इससे पहले लेथपुरा में CRPF कैंप पर हुए हमले को लेकर भी सुरक्षा एजेंसियो के रडार पर आ चुका था। मुदस्सिर पेशे से एक इलेक्ट्रीशियन था तथा उसके पास ग्रेजुएशन की डिग्री भी थी। इसी साल फरवरी में खान के घर एनआईए ने रेड भी मारी थी। अधिकारियों के मुताबिक आतंकी हमले में इस्तेमाल की गई गाड़ी और विस्फोटक का इंतजाम उसी ने किया था। आज हुई इस मुठभेढ़ में सुरक्षाबलों द्वारा एक अन्य आतंकी खालिद भी मारा गया। आपको बतादें कि पुलवामा हमले के एक दिन बाद ही एक अन्य मास्टरमाइंड आतंकी अब्दुल रशीद ग़ाज़ी को सुरक्षाबलों द्वारा ढेर किया गया था।
आतंकी मुदस्सीर खान का मारा जाना बेशक हमारे सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी जीत है। लेकिन अभी भी जैश का वह आतंकी, सज्जाद भट्ट, फरार है जिसने पुलवामा हमले के मात्र 10 दिन पहले वह गाड़ी खरीदी थी जिसके द्वारा उस हमले को अंजाम दिया गया था। कुल मिलाकर कश्मीर में आतंक का सफाई अभियान जारी है जिससे कि देश में अशांति फ़ैलाने वाले तत्वों की अपनी शांति भंग हो चुकी है। पुलवामा हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी जो कि पाकिस्तान में आधारित है।
इससे पहले भारतीय सुरक्षाबलों ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए कश्मीर के बारामुला को ‘आतंक-मुक्त’ क्षेत्र घोषित किया था। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक बारामुला जिले में एक भी जीवित आतंकी नहीं बचा है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से कश्मीर समस्या का हल निकालने के लिए भाजपा ने सेना को खुली छूट दी है, जिसकी वजह से ही यह संभव हो पाया है कि वर्ष 2018 में 257 आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुँचाया गया, जो कि पिछले 10 वर्षों में सबसे ज़्यादा है। भारतीय सेना के मुताबिक इस वर्ष में भी अब तक 44 आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। पुलवामा हमले के बाद 21 दिनों में अब तक 18 आतंकी मारे जा चुके हैं जिनमें उस आतंकी हमले का मास्टरमाइंड भी शामिल हैं।