समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कमज़ोर जनाधार को लेकर उसपर तंज कसा है। सपा के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने कहा कि जिस तरह राहुल गांधी अपनी परम्परागत सीट अमेठी के अलावा केरल की किसी सीट से भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, वह कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में ‘असल तस्वीर’ दिखाने के लिए काफी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के साथ मिलकर हम उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में लड़ चुके हैं लेकिन उससे हमें कोई फायदा नहीं हुआ। दरअसल, उनका इशारा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बेहद कमज़ोर जनसमर्थन की तरफ था। कांग्रेस एक तरफ तो अपने अध्यक्ष राहुल गांधी की अमेठी से जीत को लेकर आशंकित है तो वहीँ दूसरी तरफ वह उत्तर प्रदेश की 73 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने जा रही है, जो पड़ा हास्यास्पद है।
नंदा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हमने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए दो और राष्ट्रीय लोक दल के लिए तीन सीटें छोड़ी हैं। लेकिन कांग्रेस ने राज्य की 73 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हम चाहते हैं कि वह हमें कड़ी टक्कर दें।” आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने अपने गठबंधन में कांग्रेस को अमेठी एवं रायबरेली की दो सीटों को देने का ऐलान किया था जिसे कांग्रेस ने ठुकरा दिया था और 73 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को खड़ा करने का ऐलान किया था। कांग्रेस ने यह भी कहा था कि वे इन चुनावों में सबको चौंकाने का काम करेगी। कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों में अपनी परफॉरमेंस को लेकर काफी उत्साहित है लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि उत्तर प्रदेश की चुनावी जंग में वह कहीं नहीं ठहरती। एक तरफ सपा-बसपा में अपने गठबंधन को लेकर काफी आत्मविश्वास है तो वहीँ दूसरी तरफ भाजपा की भी अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाए हैं, ऐसे में कांग्रेस को अपने लक्ष्यों को पूरा करने में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि, इसका अहसास कांग्रेस को भी है और अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिए वह कई बार गठबंधन में शामिल होने की कोशिश कर चुकी है। इससे पहले कांग्रेस गठबंधन को लुभाने के लिए उन 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार ना उतारने की बात कह चुकी है जहाँ से सपा-बसपा के बड़े चेहरे चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन कांग्रेस को झटका देते हुए तब मायावती ने साफ किया था कि उनके गठबंधन में कांग्रेस के लिए कोई जगह नहीं है और कांग्रेस सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है। इसके बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव प्रियंका गांधी मायावती पर दबाव बनाने के लिए भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद रावण से भी जाकर मिली थी लेकिन कांग्रेस के इस कदम पर मायावती ने सख्त एतराज जताया और अखिलेश यादव से अमेठी और रायबरेली पर भी अपने उम्मीदवार उतारने को कह डाला। साफ है कि जब गठबंधन में कांग्रेस की दाल नहीं गली तो उसने मज़बूरी में राज्य की 73 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया लेकिन उसमे आत्मविश्वास की भारी कमी हैं।