राहुल का वायनाड सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय सिर्फ ईरानी के ही डर से नहीं बल्कि हिंदुओं के डर से भी है

राहुल गांधी वायनाड कांग्रेस

(PC: IndiaTVNews)

अमेठी से मौजूदा सांसद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब अपने दोबारा चुने जाने को लेकर इतने आशंकित है कि उन्होंने अब दक्षिण में पलायन करने का मन बना लिया है। इस बार वे केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने वाले हैं, इसका औपचारिक ऐलान ही अब बाकी रह गया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया ”दक्षिण राज्यों की कईं प्रदेश कांग्रेस कमेटी, लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु के लोगों ने राहुल गांधी को उनके राज्यों से चुनाव लड़ने का आह्वान किया है। कांग्रेस आपके प्यार एवं शुभकामनाओं की सदैव ऋणी रहेगी, हमें आपकी भावनाओं की कद्र है, पार्टी जल्द ही इसको लेकर कोई निर्णय लेगी।”

इसके बाद केरल कांग्रेस अध्यक्ष ने भी पूरे संकेत दिए हैं कि राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे। हालाँकि, इसका औपचारिक एलान आज यानि रविवार को हो सकता है। आपको बता दें कि राहुल गांधी पहले ही अमेठी से चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं जहाँ से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी उनको टक्कर दें रही हैं। दरअसल, राहुल अमेठी से जीतने को लेकर आशंकित हैं और एक सेफ सीट चाहते थे। यहां देखने वाली बात यह है कि, उन्हें अपने लिए सेफ सीट पूरे भारत में केरल में जाकर मिली वो भी मुस्लिम बहुल वायनाड लोकसभा सीट।

स्मृति ईरानी ने सुरजेवाला के इस ट्वीट के बाद राहुल गांधी पर व्यंग करते हुए लिखा ”अमेठी ने भगाया, जगह-जगह से बुलावे का स्वांग रचाया, क्योंकि जनता ने ठुकराया। सिंहासन खाली करो राहुल जी कि जनता आती है, ‘भाग राहुल भाग’!”

माना जा रहा की इस बार अमेठी में भाजपा की पकड़ बेहद मज़बूत है एवं राहुल को ईरानी द्वारा शिकस्त का सामना करना पड़ सकता है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 2009 में लगभग पौने चार लाख वोटों के फासले से एकतरफा जीत हासिल करने वाले राहुल गांधी वर्ष 2014 में ईरानी से मात्र एक लाख वोटों से जीत पाए थे। 2014 के पांच सालों को देखें तो ईरानी लगातार अमेठी के दौरे कर वहां के लोगों का दिल जीतती रही है। कांग्रेस को डर है कि, 2009-14 के बीच करीब 3 लाख वोट कम हुए थे और अब यदि इस बार 3 लाख और कम हो गए तो इस सीट से राहुल चुनाव हार जाएंगे।

राहुल गांधी का कांग्रेस के अध्यक्ष होने के नाते संसद में पहुंचना अत्यंत आवश्यक है और अमेठी में अबकी बार उनकी राह आसान नहीं होने वाली है, जिसके बाद अब उन्हें वायनाड सीट से भी वे उम्मीदवार बनाया जाएगा। राहुल गांधी अपनी हार को लेकर इतने डरे हुए है कि उन्हें वायनाड जैसी सीट चुननी पड़ी है जो कि राज्य में कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। आपको बता दें कि इस सीट से सांसद एमआई शनवास ने पिछले लोकसभा चुनाव में सीपीआई के नेता सत्यन मोकरी को हराया था। शनवास को यहां 41.21 फीसदी यानि 377035 मत हासिल हुए थे, जबकि सीपीआई के उम्मीदवार सत्यन मोकरी को 38.91 फीसदी यानि 365165 मत हासिल हुए थे। इसके अलावा वायनाड मुस्लिम एवं ईसाई समुदाय बहुल इलाका है, व इसकी सीमा तमिलनाडु एवं कर्नाटक राज्य से लगती है।

एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र से चुनाव लड़कर राहुल गांधी मुस्लिमों को रिझाने का प्रयास कर सकते हैं। वहीँ दूसरी तरफ उनके नेताओं द्वारा लगातार की जा रही हिन्दू-विरोधी बयानबाज़ी की वजह से भी वे किसी अन्य हिंदू बहुल सीट पर चुनाव लड़ने के लिए कॉंफिडेंट नहीं हैं। कांग्रेस पार्टी में वरिष्ठ नेता शशि थरूर का यह बयान भला कौन भूल सकता है जिसमें उन्होंने रामभक्तों को नसीहत देते हुए कहा था कि ‘अच्छा हिन्दू’ कभी किसी अन्य के पूजास्थल को तोड़कर राममंदिर नहीं बनवाना चाहेगा’!, जिसके बाद उनके इस बयान की कड़ी आलोचना की गई थी, और यह तो मात्र एक उदाहरण-भर था। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष अपने नेताओं के ऐसे बयानों के बाद क्या हिन्दुओं से वोट माँगने का अधिकार रखते हैं? शायद नहीं, और यही वजह है कि उन्हें दक्षिण भारत के दूर-दराज के मुस्लिम-बहुल ग्रामीण क्षेत्र वायनाड में अपने लिए सबसे सुरक्षित सीट मिली।

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