लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गयी है। भाजपा के राजनीतिक विरोधी जल्द से जल्द सीटों का बंटवारा कर गठबंधन करना चाहते हैं ताकि चुनाव अभियान पर अधिक ध्यान दिया जा सके। लेकिन राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस को यूपी के बाद अब बिहार जैसे बड़े राज्य से भी झटके मिलने शुरू हो गए है। दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस को धमकी दी है। दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार लालू ने कहा कि कांग्रेस को सीट बंटवारे को लेकर हवा में बात करने से गुरेज करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट शब्दों में ये भी कहा कि कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों का सम्मान करते हुए हैसियत के हिसाब से बात करनी चाहिए। अब महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर दिल्ली में अंतिम फैसला होगा।
दरअसल, सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस तथा राजद में पिछले ढाई महीने से माथापच्ची जारी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला था। माना जा रहा है कि आने वाले दो से तीन दिनों में बिहार राजनीति का पूरा चेहरा बदल सकता है, क्योंकि यह साफ हो जायेगा कि बिहार में कांग्रेस और राजद कोई गठबंधन करेंगे या नहीं, और अगर करते हैं तो कांग्रेस को गठबंधन में कितनी सीटें दी जाएंगी। फिलहाल, इन दोनों दलों में सीटों को लेकर काफी मतभेद नज़र आ रहे हैं। खबरों की मानें कि कांग्रेस बिहार में 15 सीटें चाहती है लेकिन राजद पार्टी बिहार में ग्रेस के मतदाता आधार को देखते हुए कांग्रेस 10-12 सीट से ज्यादा सीट नहीं देना चाहती है। कांग्रेस मनमुताबिक सीट के लिए लगातार बिहार में राजद पर दबाव बना रही है। हालांकि, राजद को अन्य घटक दलों को भी साथ लेकर चलना है ऐसे में कांग्रेस पार्टी है कि अपनी बात पर अड़ी हुई है। यही वजह है कि राजद अध्यक्ष ने साफ कह दिया कि अन्य क्षेत्रीय पार्टियों को देखते हुए हैसियत के हिसाब से बात करे।
दरअसल, पिछले साल दिसंबर में तीन राज्यों में जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस अपने आप को दोबारा एक बड़ा खिलाड़ी समझने लगी है, लेकिन राजद इससे सहमत नहीं है। राजद के मुताबिक बिहार में अभी भी वो सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। राजद विधायक और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता भाई वीरेंद्र यह पहले ही कह चुके हैं कि राजद ही बिहार में ‘बड़े भाई’ की भूमिका में रहने वाली है। राजद की यह शिकायत है कि कांग्रेस ने उन सीटों पर दावा ठोक रखा है जहां पर राजद का मज़बूत जनाधार है। उन सीटों में दरभंगा, मुंगेर, जहानाबाद, मोतिहारी, शिवहर, मधेपुरा, पूर्णिया और नवादा प्रमुख रूप से शामिल हैं।
लालू की कांग्रेस को यह धमकी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस को यूपी जैसे बड़े राज्य में सपा-बसपा के गठबंधन से पहले ही बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। कांग्रेस ने यूपी में अपने 11 उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है जिससे उसने भी यह साफ करने की कोशिश की है यूपी के चुनावी दंगल में वह अकेले ही कूदने वाली है। हालांकि, इस बात की भी गुंजाइश है कि कांग्रेस अपने साथ कुछ छोटे दलों को साथ ले सकती है।
एक अन्य बड़े राज्य पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस पार्टी का कोई खास जनाधार नहीं है जिससे की वहां भी कांग्रेस को कोई अहम भूमिका नहीं मिलने वाली है। कुल मिलाकर देश के सभी बड़े राज्यों में बने गठबंधन से ‘आउट’ होने वाली कांग्रेस ने एक महागठबंधन की रचना करने का मन बनाया था, लेकिन राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस ऐसा करने में विफल साबित हुई। कभी ‘गेमचेंजर’ बनने का ख्वाब देखने वाली कांग्रेस को अब अपनी रणनीति ‘चेंज’ करने पर विचार करना चाहिए।
वहीं अगर दूसरी तरफ भाजपा की बात करें तो उसे पश्चिम बंगाल में पहले से ‘बहुत बेहतर’ करने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में भी उसे कांग्रेस के अलग चुनाव लड़ने से फायदा होगा। वहीं बिहार में भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) ने अपनी सीटों के विभाजन की घोषणा कर दी है। भाजपा और जेडीयू ने गठबंधन में अपने लिए 17 -17 सीटों का ऐलान किया है। इसके साथ ही अपने साथी दल लोक जनशक्ति पार्टी के लिए भी 6 सीटें छोड़ी हैं। कुल मिलाकर भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले अपने घटक दलों को खुश करने में सफलता पाई है, और अपनी स्थिति मज़बूत करने में कामयाब हुई है।