टॉम वडक्कन के बाद अब शशि थरूर के रिश्तेदारों ने ज्वाइन की बीजेपी, केरल में इस बार बीजेपी के लिए मौके ही मौके

PC : satyagrah

वो दिन अब लद गए हैं जब केरल को लेफ्ट का गढ माना जाता था। अब इस राज्य में भी बीजेपी अपने पैर पसार रही है। पिछले कुछ दिनों से बीजेपी के लिए केरल से बड़ी फायदेमंद खबरें आ रही हैं। गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के करिबी टॉम वडक्कन बीजेपी में शामिल हुए थे और कल कांग्रेस के कद्दावर नेता शशि थरूर के मौसा-मौसी ने भी भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। यही नहीं, शुक्रवार को 13 अन्य नेताओं ने भी बीजेपी की सदस्यता ली है।

भाजपा की केरल इकाई रके अध्यक्ष पी एस शशिधरन पिल्लै ने शशि के मौसा-सौसी को मीडिया की मौजूदगी में शॉल भेंट कर सम्मानित किया और उन्हें कोच्चि का क्रीम बताया। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पिल्लै ने पलक्कड़ जिले में थरूर परिवार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की भी सराहना की और कहा कि, ऐसे लोगों का बीजेपी का हिस्सा बनना स्वागत योग्य है।

बता दें कि, थरूर के कांग्रेसी नेता होने के बावजूद उनकी मौसी शोभना और उनके पति शशिकुमार लंबे समय से भाजपा के समर्थक रहे हैं। इससे शशि थरूर को एक बड़ा झटका लगा है। एक तरफ तो राहुल गाँधी कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं उनकी कोशिशों के असर होने की बजाय कांग्रेस पर एक के बाद एक कुठाराघात ही हो रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी, केपीसीसी प्रमुख एवं वर्तमान सांसद मुल्लापल्ली रामचंद्रन और वरिष्ठ नेता वीएम सुधीरन सहित कई वरिष्ठ कॉन्ग्रेसी नेताओं ने लोकसभा चुनाव लड़ने में अनिच्छा जाहिर की है। इससे केरल में कांग्रेसी नेतृत्व की मुश्किलें बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं। पहले कद्दावर नेता टॉम वडक्कन का बीजेपी में शामिल होना, फिर शशि थरूर के रिश्तेदारों का बीजेपी में आना और अब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का चुनाव लड़ने से मना कर देना, कांग्रेस के लिए बहुत बुरी खबरें हैं। लोकसभा की जंग शुरू होते ही कांग्रेस को झटके पर झटके लगते जा रहे हैं।

सबरीमाला विवाद से भी भारतीय जनता पार्टी को केरल में अच्छी-खासी बढ़त मिली है। केरल में अधिकतर वोटर भी मानते हैं कि सबरीमाला विवाद के कारण भारतीय जनता पार्टी को इस दक्षिणी राज्य में राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी है। इंडिया टुडे ग्रुप के लिए एक्सिस माई इंडिया की तरफ से कराए गए सर्वे से प्राप्त पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज डेटा के अनुसार राज्य के 45% वोटर मानते हैं कि बीजेपी केरल में सबरीमाला विवाद के कारण राजनीतिक ताकत के तौर पर उभरी है। वहीं 33% वोटरों की राय इससे अलग है। वहीं 22% प्रतिभागी इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट राय नहीं जता सके। सर्वे में जब पूछा गया कि, सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश कैसे देखते हो? तो इस सवाल के जवाब में पीएसई सर्वे के 42% प्रतिभागियों ने कहा कि इससे सबरीमाला मंदिर अपवित्र हुआ है। उधर 23% लोगों ने इसे लैंगिक समानता की जीत बताया।

कुल मिलाकर इस बार बीजेपी को केरल में अच्छी जीत मिलने की उम्मीद है। पार्टी ने यहां अपनी चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं। हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों को देखते हुए बीजेपी को केरल की महत्वपूर्ण सीट तिरुवनंतपुरम सीट पर भी जीत मिलने का भरोसा है। पिछले चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता ओ. राजगोपाल ने यहां के सांसद शशि थरूर को कड़ी टक्कर दी थी और मात्र 15 हजार वोटों से पिछड़ गए थे। आरएसएस के वरिष्ठ अधिकारी और भाजपा की प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख राजशेखरन ने भी कहा है कि, इस लोकसभा चुनव में केरल में बीजेपी के लिए बेहतर मौका नजर आ रहा है।

केरल के लोकसभा क्षेत्रों में हुए एक विस्तृत वोटिंग पैटर्न से पता चलता है कि इस चुनाव में 7 विधानसभा सीटों में 4 पर भारतीय जनता पार्टी की स्थिति काफी अच्छी है। बता दें कि, 2016 में तिरुवनंतपुरम में निमोम विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी ने जीत दर्ज कर इस राज्य में अपना खाता खोला था। अब देखना ये है कि क्या कॉन्ग्रेस लगातार लग रहे झटकों से उभर पाती है या बीजेपी उसे हर कदम पर पटखनी देती है।

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