SC का सवाल, सबसे ज्यादा प्रदूषण वाहनों से होता है तो पटाखों पर ही पाबंदी क्यों?

सुप्रीम कोर्ट पटाखों प्रदूषण

PC: PTC News

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगाने की याचिका पर कड़ी टिपण्णी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आप पटाखों के पीछे क्यों पड़े हो जब इनसे ज्यादा प्रदूषण तो गाड़ियों से फैलता है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से भी कहा है कि पटाखों एवं गाड़ियों से फैलने वाले प्रदूषण का एक तुलनात्मक अध्ययन होना चाहिए। जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एसए नज़ीर की बैंच ने यह टिपण्णी की है।

सर्वोच्च न्यायालय ने पटाखों पर बैन से पैदा होने वाली बेरोज़गारी पर भी चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा ”हम पटाखों पर बैन लगाकर लाखों लोगों का रोज़गार नहीं छीन सकते, कुछ लोगों को होने वाली दिक्कत की वजह से बाकि लोगों को बेरोज़गार नहीं किया जा सकता”। कोर्ट ने कहा कि हम वैध व्यापार पर प्रतिबन्ध लगाने के पक्ष में नहीं हैं, सरकार को चाहिए कि पटाखों के उत्पादन की शर्तों को और कड़ा किया जाये। 

आपको बता दें कि पिछले वर्ष दिवाली के मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे जलाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था और सिर्फ दिवाली की दिन रात 8 बजे से रात के 10 बजे तक ही पटाखे जलाने की अनुमति दी थी। साथ ही अदालत ने पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सिर्फ ‘ग्रीन’ पटाखे जलाने की अनुमति दी थी। आपको बता दें कि तमिलनाडू का ‘सिवाकासी’ देशभर में पटाखों के उत्पादन का केंद्र माना जाता है जहां लगभग 5 लाख मज़दूर काम करते हैं। सर्वोच्च अदालत के इस फैसले के बाद पटाखा उद्योग भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और इस फैसले के बाद मज़दूरों पर पड़ने वाले गलत असर को अदालत के सामने प्रस्तुत किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी इस टिपण्णी से उन लोगों का मुंह बंद करने का काम किया है जो हर बार हिंदुओं  के त्योहारों  में किसी न किसी अड़चन को पैदा करने की फ़िराक में रहते हैं। दीवाली के समय ये लोग ख़राब हवा होने का रोना रोते हैं तो वहीं होली के समय ये लोग पानी की बर्बादी को लेकर अपनी छाती पीटते हैं।  धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं को बदनाम करना ऐसे लोगों का फैशन बन चुका है। ऐसे लोग अक्सर अहम मुद्दों पर अपनी आंखे बंद रखते हैं जबकि गैर-जरूरी मुद्दों का ढोल पीटने के लिए ये हमेशा तैयार रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लोगों को एक्सपोज़ करने का काम किया है।

हम मानते हैं कि प्रदूषण का खात्मा सबके हित में है, लेकिन उसके लिए गैर-जरूरी मुद्दों को हवा देना किसी के भी हित में नहीं! प्रदूषण के खात्मे के लिए प्रमुख रूप से वाहन अथवा उद्योग हैं, सबको चाहिए कि प्रदूषण के इन प्रमुख स्रोतों पर अपनी प्रगतिशील सोच के द्वारा प्रहार किया जाए । देश की राजधानी दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है जो कि हम सब भारतीयों के लिए शर्म की बात है। वायु प्रदूषण बेशक एक बड़ा मुद्दा है जिसको भारत सरकार द्वारा प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। इसी वर्ष केंद्र सरकार ने ‘नेशनल क्लीन एयर प्रोगाम’ को भी शुरू किया है जिसके तहत आने वाले 5 सालों में देश के तमाम बड़े शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने के उचित कदमों को उठाने का प्रयास किया जायेगा।

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